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H3N2 Virus: क्या है H3N2 Virus.. किसे है खतरा और क्या है बचाव? देखिए

बिहार में H3N2 इनफ्लुएंजा वायरस (H3N2 Influenza Virus In Bihar) ने दस्तक दे दी है. आरएमआरआई में 21 सैंपलों की जांच की गई है, जिसमें एक महिला का रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इसे लेकर ETV Bharat संवाददाता ने डॉक्टर से खास बातचीत की और जानने की कोशिश की है कि इससे कैसे लड़ा जाए और किस तरह से इसे रोका जाए. आगे पढ़ें पूरी खबर...

बिहार में H3N2 वायरस
बिहार में H3N2 वायरस

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Published : Mar 12, 2023, 11:44 AM IST

H3N2 इनफ्लुएंजा वायरस से बचाव

पटना:बिहार में H3N2 इनफ्लुएंजा वायरस(H3N2 Influenza Virus) की पहली मरीज पटना में मिली है. राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में 21 सैंपल की जांच में एक महिला का सैंपल में H3N2 से पीड़ित होने की पुष्टि हुई है. इस बात की जानकारी आरएमआरआई के निदेशक डॉ कृष्णा पांडेय ने दी है. बता दें कि देश के विभिन्न राज्यों में H3N2 के बढ़ते मामले को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर सतर्कता बरतने की अपील की है. वहीं बिहार में स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस बाबत कोई निर्देश और एडवाइजरी जारी नहीं हुई है. आईसीएमआर के रिपोर्ट के मुताबिक H3N2 से संक्रमित लोग जो अस्पतालों में एडमिट है उनमें 27% को सांस लेने में तकलीफ है. चिकित्सकों की मानें तो H3N2 के लक्षण कोरोना से मिलते जुलते हैं और यह वायरस भी फेफड़े को सबसे पहले प्रभावित करता है. कोरोना एक वैरीअंट बदलने वाला वायरस है जबकि H3N2 इनफ्लुएंजा वायरस है जो वायरसों का झुंड है.

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दो लोगों की वायरस से हुई मौत:देश में 4000 से अधिक H3N2 के एक्टिव मामले हैं और इस बीमारी से दो लोगों की अब तक मौत दर्ज की जा चुकी हैं. प्रदेश के प्रख्यात चिकित्सक डॉ दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि H3N2 इनफ्लुएंजा वायरस का सबटाइप है और अभी के समय यह काफी तेजी से फैल रहा है. यह एक रेस्पिरेटरी वायरस है इसलिए एक दूसरे के करीब होकर बोलने से, खांसने से, छिंकने से फैलता है और यह बहुत तेजी से फैलने की क्षमता रखता है. जो लोग मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी संबंधित बीमारी, अस्थमा सीओपीडी जैसी बीमारियों से ग्रसित है अथवा ऑर्गन ट्रांसप्लांट कर आए हुए हैं उनके लिए यह घातक और जानलेवा हो सकता है. डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि हालांकि H3N2 की मोर्टिलिटी रेट काफी कम है लेकिन हृदय रोग के मरीजों, एचआईवी मरीजों और जो लोग इम्यूनोसप्रेशन से जूझ रहे हैं उनमें इस बीमारी के लक्षण गंभीर हो सकते हैं.

कोरोना से मिलते हैं लक्षण:डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि इस बीमारी का भी लक्षण वही है जो कोरोना का है. सर्दी जुखाम, हल्का बुखार, बदन दर्द, गले में खराश, सिर दर्द, भूख ना लगना, बार बार उल्टी जैसा महसूस होना. उन्होंने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि जो लोग भी इस समय सर्दी जुखाम और ऐसे लक्षण से संक्रमित हो रहे हैं वह चेहरे पर मास्क का प्रयोग करें और खुद को कुछ दिनों के लिए आइसोलेट कर ले. बुखार लगने पर पेरासिटामोल का सेवन कर सकते हैं और 4 से 7 दिन में ऐसे लक्षण से संक्रमित व्यक्ति आराम से ठीक हो जाएंगे. अगर नहीं ठीक होते हैं तो चिकित्सक से परामर्श करें और प्रिस्क्राइब की गई दवाइयों का सेवन करें. उन्होंने बताया कि इनफ्लुएंजा वायरस में एंटीबैक्टीरियल दवा अधिक काम नहीं करता है इसलिए बेवजह का खुद से एंटीबैक्टीरियल दवाओं का सेवन ना करें और आईसीएमआर ने भी इस बाबत एडवाइजरी जारी कर दी है उसका पालन करें. फर्स्ट लेवल की इन्फेक्शन में एंटीबैक्टीरियल दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती है लेकिन यदि इनफ्लुएंजा वायरस का इन्फेक्शन लेवल टू में चला गया है तो चिकित्सक देखकर एंटीबैक्टीरियल दवाएं देते हैं.

"इनफ्लुएंजा वायरस में एंटीबैक्टीरियल दवा अधिक काम नहीं करता है इसलिए बेवजह का खुद से एंटीबैक्टीरियल दवाओं का सेवन ना करें और आईसीएमआर ने भी इस बाबत एडवाइजरी जारी कर दी है उसका पालन करें. फर्स्ट लेवल की इन्फेक्शन में एंटीबैक्टीरियल दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती है लेकिन यदि इनफ्लुएंजा वायरस का इन्फेक्शन लेवल टू में चला गया है तो चिकित्सक देखकर एंटीबैक्टीरियल दवाएं देते हैं."-डॉ दिवाकर तेजस्वी, चिकित्सक

स्वास्थ्य विभाग हो जागरूक:डॉक्टर ने बताया कि H3N2 के मामले जिस प्रकार देश में बढ़ रहे हैं जरूरी है कि प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग इसको लेकर सक्रियता दिखाएं और लोगों को जागरूक करें. इस बीमारी के लक्षण और बचाव के उपायों से लोगों को अवगत कराएं और बैनर पोस्टर होर्डिंग और ऑडियो अपीलिंग के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करें. इन दिनों सर्दी जुखाम और वायरल फीवर के मामले भी बढ़े हुए हैं ऐसे में अस्पतालों में भी पर्याप्त व्यवस्था मौजूद रखे और अधिक से अधिक सैंपल की जांच कराएं. जो लोग वायरल फीवर और इनफ्लुएंजा वायरस से पीड़ित है उन्हें चेहरे पर मास्क लगाकर रहने की सलाह दें ताकि दूसरे लोग इनफेक्टेड होने से बचे. गुनगुने पानी का गलाला करना इसमें भी फायदेमंद होता है, सांस लेने में तकलीफ होने पर प्राणायाम और योगा फायदेमंद रहता है. बच्चे, बुजुर्ग, प्रेग्नेंट महिला और कोमोरबिड पेशेंट इस प्रकार के वायरस के हाई रिस्क जोन में रहते हैं. ऐसे में सरकार ऐसे लोगों को बीमारी से बचाव को लेकर जागरूक करें और इनके लिए विशेष व्यवस्था रखें.

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