पटना:पेशे से इंजीनियर मयंक हर साल मां सरस्वती की मूर्ति बनाते हैं. हर साल विधि विधान के साथ उनकी पूजा करते हैं. पिछले 26 साल से लगातार वो इस अनुष्ठान को करते आ रहे हैं. उनकी भक्ति देखकर दंग है. मयंक न तो मूर्तिकार हैं और न ही कुम्हार लेकिन कलाकारी में वो किसी से मूर्तिकार से कम नहीं हैं. उनकी बनी प्रतिमा भी लाजवाब होती है.
पढ़ें:सरस्वती पूजा के पूर्व संध्या पर तैयारी में जुटे में मूर्तिकार, शिक्षण संस्थानों में मचेगी धूम
पटना में लोग बसंत पंचमी को लेकर जुटे
राजधानी पटना अनीसाबाद उड़ान टोला में मूर्तिकार मां की प्रतिमा का अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. मंगलवार को पूजा है. इसको लेकर भक्त भी अपनी पूरी तैयारी कर रहे हैं. बसंत पंचमी की पूजा को लेकर लोग जोरों से तैयारी में जुटे हैं. इसी दौरान राजधानी पटना के अनीसाबाद उड़ान टोला के रहने वाले कुमार मयंक जो पेशे से इंजीनियर हैं. इस साल उनके पूजा का 27 वां साल है.
26 सालों से बनाते रहे हैं सरस्वती की प्रतिमा
कुमार मयंक पिछले 26 सालों से खुद ही मां की प्रतिमा बनाते हैं और खुद ही पूजा का पूरे आयोजन का जिम्मा अपने उठाते है. आश्चर्य की बात यह है कि इस अनोखे आयोजन को मूर्त रूप देने वाले कुमार मयंक न तो कुम्हार हैं और ना प्रोफेशनल मूर्तिकार. वे इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन से इंजीनियर हैं.
पढ़ें:समस्तीपुर: सरस्वती पूजा में मूर्तियों की मांग कम होने से मूर्तिकार चिंतित
मयंक द्वारा बनाई गई प्रतिमा में मां का तीसरा नेत्र
17 फीट ऊंची महा सरस्वती की इस प्रतिमा के एक तरफ लक्ष्मी और दूसरी तरफ गणेश विराजमान हैं. आठ भुजाओं वाली सरस्वती मां के हाथ में वीणा के साथ घंटा, शंख, चक्र, मूसल, धनुष और बाण लगाए गए हैं. विद्या की देवी की मूर्ति में तीसरा नेत्र आम तौर पर नहीं दिखता है, लेकिन मयंक की बनी मूर्ति में तीसरा नेत्र भी है. नेत्र के नीचे जो बिंदी लगती है, वह हीरे की होती है. मयंक ने अपनी कमाई से हीरे की बिंदी मां के लिए खरीदी हैं.
मयंक कहते हैं कि महा सरस्वती आदिशक्ति हैं इसलिए त्रिनेत्रधारिणी होती हैं. पूरी प्रतिमा को वे मां दुर्गा के रूप में बनाते हैं. देखने वाले सिर्फ वीणा से ही फर्क कर सकते हैं.
पढ़ें:पटनाः सरस्वती पूजा को लेकर मूर्तियों को फाईनल टच देने में जुटे मूर्तिकार
कुल लगा खर्च 1 लाख 30 हजार रुपये
कुमार मयंक बताते हैं कि बंगाल शैली की प्रतिमाओं में चेहरा नेचुरल दिखता है. प्रतिमा का परिधान बंगाल जैसा होता है. प्रतिमा का मुकुट काफी बड़ा होता है. प्रतिमा पर कुल 1 लाख 30 हजार रुपये का खर्च पड़ जाता है. यानी पूजा के आयोजन पर कुल 3 लाख रुपये खर्च आता है. ये सारे खर्च मयंक खुद वहन करते हैं.
कुमार मयंक की इस कलाकारी पर उनके परिवार के साथ आसपास रहने वाले लोग भी काफी प्रसन्न रहते हैं. मंगलवार को सरस्वती की पूजा है. जिसको लेकर कुमार मयंक दिन-रात प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं ताकि समय पर विधिवत पूजा की जा सकें.