पटना: बिहार सरकार ने सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत शहरी इलाकों में ताड़ी और शराब के धंधे से जुड़े हुए लोगों को वैकल्पिक रोजगार के लिए एक लाख रुपये उपलब्ध कराने का फैसला लिया है. सरकार के फैसले को लेकर आज बुधवार को मुख्य सचिव आमिर सुबहानी और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव बाला मुरुगन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी. साथ ही नीरा उत्पादन (Neera production in Bihar) को लेकर भी कहा कि डेढ़ करोड़ लीटर उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है.
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क्या है सतत जीविकोपार्जन योजनाः ग्रामीण विकास विभाग के सचिव बाला मुरुगन ने कहा कि सतत जीविकोपार्जन योजना (Sustainable Livelihood Scheme) 5 अगस्त 2018 को शुरू हुई थी. इस योजना के अंतर्गत अब तक 1,47,277 निर्धन परिवारों का चयन किया जा चुका है. चयनित परिवारों में 95,921 अनुसूचित जाति जनजाति और 51,356 अन्य वर्गों के हैं. अब तक 1,45,998 निर्धन परिवारों को क्षमता वर्धन विषयों पर प्रशिक्षित किया जा चुका है. बाला मुरुगन ने कहा योजना अंतर्गत 40,893 ताड़ी तथा देसी शराब से जुड़े परिवारों को सतत जीविकोपार्जन से जोड़ा गया है. इनमें से 30619 परिवार ताड़ी तथा 10,274 परिवार देसी शराब के उत्पादन एवं बिक्री में पारंपरिक रूप से जुड़े थे.
नीरा परियोजना से जोड़ा गयाः नगर विकास एवं आवास विभाग अंतर्गत राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन एवं जिला प्रशासन के सहयोग से शहरी क्षेत्रों में ताड़ी तथा देसी शराब से जुड़े 12258 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया है. बाला मुरुगन ने कहा कि 2017 से ताड़ी उत्पादन एवं बिक्री से जुड़े परिवारों को स्वयं सहायता समूह के माध्यम से नीरा परियोजना से जोड़ा गया है. 2017 से अब तक कुल 89 लाख 46380 लीटर नीरा का उत्पादन किया जा चुका है. जिसके विक्रय से नीरा उत्पादकों को 69.45 करोड़ का आय हुआ है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में 75 लाख 17287 लीटर नीरा का उत्पादन हुआ है.
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