पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी जोर शोर से चल रही है. चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के लिए चुनाव प्रचार को लेकर गाइडलाइंस भी जारी कर दी है. गाइडलाइंस के अनुसार जनसंपर्क के लिए जहां कई तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं. वहीं, वर्चुअल संवाद पर ज्यादा जोर रहेगा. इसे लेकर जहां बीजेपी और जदयू के साथ कांग्रेस सहित तमाम अन्य दल भी वर्चुअल संवाद और वर्चुअल रैली की तैयारी कर रहे हैं. दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल ने अब तक वर्चुअल संवाद और वर्चुअल रैली की कोई घोषणा नहीं की है.
बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद है. सत्ताधारी गठबंधन का सीधा मुकाबला राजद कांग्रेस गठजोड़ से होना है. ऐसे में जाहिर तौर पर सवाल उठता है कि आखिर चुनाव में जब महज कुछ दिनों का वक्त बचा है, तो फिर विभिन्न दलों की चुनावी तैयारी कैसे हो रही है? एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी की तैयारी काफी पहले से हो रही है. वर्चुअल कार्यकर्ताओं से संवाद और अमित शाह की रैली भी हो चुकी है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए ऐसा दावा बीजेपी ने किया था. जदयू की ओर से नीतीश कुमार की वर्चुअल रैली 7 सितंबर को हो रही है. कांग्रेस ने भी करीब 100 वर्चुअल संवाद की लिस्ट घोषित कर दी है. वहीं, हम और वीआईपी जैसी पार्टियां भी वर्चुअल रैलियां कर रही हैं. लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी होने के बावजूद राष्ट्रीय जनता दल ने अब तक किसी वर्चुअल रैली की घोषणा नहीं की है.
बीजेपी ने साधा निशाना
बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल कहते हैं कि वर्चुअल और एक्चुअल की समझ ही राजद के नेताओं में नहीं है. हालांकि वे दोनों तरीके से संवाद कर रहे हैं. फिर भी जनता के बीच जाने में उन्हें डर लग रहा है. जनता जब ये पूछेगी कि हमारी मुश्किल घड़ी में आप हमें छोड़कर क्यों चले जाते हैं? तो उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं होगा. वहीं, राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि हमारी पार्टी और हमारे नेता हर समय जनता के लिए उपलब्ध हैं. जनता की सेवा में लगे रहते हैं, ऐसे में हमें किसी वर्चुअल संवाद, वर्चुअल रैली की जरूरत नहीं है.
'वर्चुअल संवाद से बेहतर एक्चुअल संवाद'
हालांकि सोशल मीडिया पर तेजस्वी की ओर से कैंपेन जरुर चल रहा है. अब तक के राष्ट्रीय जनता दल की चुनावी तैयारी पर ध्यान दें, तो पिछले कुछ महीनों में तेजस्वी की सक्रियता ज्यादातर पार्टी कार्यालय और कई बाढ़ प्रभावित इलाकों में देखने को मिली है. पार्टी के नेता भी मानते हैं कि वर्चुअल संवाद से बेहतर एक्चुअल संवाद है. वर्चुअल संवाद की तैयारी की जरूरत ऐसे दलों को पड़ रही है, जो आमतौर पर जनता से दूर रहते हैं. जून और जुलाई महीने में राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश कार्यालय में कई मिलन समारोह और पार्टी की बैठकें आयोजित हुई, जिनमें तेजस्वी यादव भी शामिल हुए, कार्यकर्ताओं और नेताओं से सीधा संवाद किए. इसके अलावा हाल के दिनों में वे गोपालगंज, मधुबनी, दरभंगा और सारण के दौरे पर भी गए, जहां बाढ़ प्रभावित इलाकों का उन्होंने दौरा किया. लोगों से अपील करते दिखे कि इस बार चुनाव में राजद को वोट करिए.
सीधा संवाद पर जोर वहीं, तेजस्वी की अपनी सोशल मीडिया टीम भी उनकी कैंपेनिंग में लगी है. लेकिन वर्चुअल रैली को लेकर अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. अब तक की तैयारियों से और राजद नेताओं के बयान से ये लग रहा है कि पार्टी वर्चुअल और डिजिटल संवाद से ज्यादा सीधा संवाद करना चाहती है. यही वजह है कि उनके नेता लगातार पार्टी ऑफिस में लोगों से मिल रहे हैं. अपने सरकारी आवास पर भी लगातार बैठकर कर रहे हैं और अलग-अलग बाढ़ और कोरोना प्रभावित जगहों पर जाकर लोगों से सीधे जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं.