पटना: पेट्रोल-डीजल को न तो केंद्र (Central Government) और न ही राज्य सरकारें (State Government ) जीएसटी के दायरे में लाना चाहती हैं. क्योंकि सरकारों को लगता है कि आम आदमी की जेब भरने के चक्कर में उसका ही खजाना खाली हो जाएगा. अगरपेट्रोल-डीजल (Petrol Diesel Price In Bihar ) को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो पेट्रोल-डीजल की कीमतें आधी हो जाएंगी.
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पेट्रोल और डीजल का प्राइस लगातार बढ़ता जा रहा है. इसके कारण महंगाई भी बढ़ती जा रही है. ऐसे में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाने की मांग होती रही है. लेकिन केंद्र सरकार ने इसे जीएसटी से बाहर रखा है. बिहार में पेट्रोल पर प्रति लीटर 16.65 रुपये वैट लगता है, तो वहीं केंद्र सरकार का 53.65 कस्टम और एक्साइज ड्यूटी लगता है. इस हिसाब से देखें तो पेट्रोल की कीमत बिहार में केवल 35 रुपये होनी चाहिए. लेकिन आज 103-104 रुपये के बीच पेट्रोल प्रति लीटर मिल रहा है. यही हाल डीजल का भी है. यदि जीएसटी में भी पेट्रोल-डीजल को शामिल कर लिया गया तो भी उसकी कीमत 35 से 45 रुपये के बीच ही होगी.
बिहार सरकार ने इस साल 40555 करोड़ राजस्व उगाही का अपना लक्ष्य रखा है. इसमें पेट्रोल और डीजल से मिलने वाले राजस्व का बड़ा हिस्सा होगा. बिहार में पेट्रोल 103 से 104 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है. उसमें केंद्र सरकार का कस्टम और एक्साइज ड्यूटी 53.35 रुपया है. वहीं बिहार का वैट 16.65 रुपये है.
विशेषज्ञ डॉक्टर विद्यार्थी विकास का कहना है यदि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल कर लिया जाए तो इससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. अगर 28% के स्तर में भी इसे रखा जाएगा तब भी पेट्रोल और डीजल की कीमत बिहार में 45 रुपये के आसपास ही रहेगी. डीजल की कीमत भी 35 से 45 रुपये के बीच ही रहेगी.
"पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे पर लाने से बिहार की इकोनॉमी पर असर पड़ सकता है. लेकिन दूसरी तरफ महंगाई कम होने से लोग अपनी राशि अन्य मदों में भी खर्च करेंगे और उससे भी सरकार को टैक्स प्राप्त हो सकता है. देश के लोगों को इससे बड़ी राहत मिलगी. महंगाई कम हो जाएगी."- डॉक्टर विद्यार्थी विकास, विशेषज्ञ, एएन सिन्हा शोध संस्थान
वहीं बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि जीएसटी काउंसिल में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल करने को लेकर कई राज्यों ने विरोध किया. इसे लेकर राज्यों में सहमति नहीं बनी, नुकसान की बातें कही गई थी.