बिहार में रेल यातायात पर कोहरे का असर पटनाःबिहार में धुंध और कोहरे का असररेल यातायात पर (Effect of fog on rail traffic in Bihar ) पड़ रहा है. भारतीय रेल ने कोहरे से निपटने के लिए लंबी दूरी की कई ट्रेनों में फाॅग सेफ्टी डिवाइस लगाया है. फिर भी इसका असर नहीं दिख रहा है. कई राज्यों से पटना आने वाली कई ट्रेनें 5 घंटे से लेकर 10 घंटे लेट से पहुंची है. इसमें राजधानी, तेजस के संपूर्ण क्रांति और कई महत्वपूर्ण ट्रेन भी शामिल हैं. कोहरे में सुरक्षित रेल परिचालन के लिए ट्रेनों में लगी फॉग सेफ्टी डिवाइस भी बेअसर साबित हो रहा है.
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एक किमी पहले बजने लगता है अलार्मः रेल इंजन में रखे जाने वाले इस उपकरण से लोको पायलट सिग्नल को लेकर सचेत रहता है. इसमें लगा हुआ अलार्म सिग्नल आने के एक किलोमीटर पहले बजने लगता है. उपकरण के स्क्रीन पर भी सिग्नल आने की जानकारी मिलती है. इसके बावजूद भी ट्रेनों के परिचालन मैं कहीं न कहीं बदलाव करना पड़ रहा है. रिसिड्यूल करना पड़ रहा है और कई ट्रेन अपने गंतव्य तक 10 घंटे विलंब से भी पहुंच रही है.पूर्व मध्यरेल में एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों के साथ ही मालगाड़ियों के इंजन में भी यह उपकरण लगाया गया पर अधिकांश इंजन में फाग सेफ्टी डिवाइस लगने के बावजूद भी नेट से चल रही है और इसका खामियाजा रेल यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है.
50 हजार में आता है एक उपकरणःएक उपकरण की लागत लगभग 50 हजार रुपये है. पूर्व मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र कुमार का कहना है कि ट्रेन की रफ्तार अधिकतम 60 से 75 किलोमीटर प्रतिघंटा रखने के निर्देश दिया गया है. यदि दृश्यता बहुत कम है तो लोको पायलट अपने विवेक के अनुसार ट्रेन की गति कम कर सकता है. कई बार घना कोहरा रहने पर ट्रेन की रफ्तार 20 से 30 किलोमीटर प्रति घन्टा रखी जा रही है जिसका नतीजा है कि अपने गंतव्य तक विलंब से पहुंच रही है.
रेल पदाधिकारी बोले ट्रेनों में लगाई गई है फाॅग सेफ्टी डिवाइस डिवाइस की क्षमता बढ़ाने से मिल सकता है लाभः वहीं बिहार दैनिक यात्री संघ के महासचिव सह पूर्वमध्य रेल के जोनल सदस्य शोएब कुरैशी का कहना है कि भले ही पूर्व मध्य रेलवे प्रशासन के द्वारा ट्रेनों के परिचालन समय अनुसार कराने को लेकर फॉग सेफ्टी डिवाइस ट्रेनों में लगा दिया गया है. इसके बावजूद भी ट्रेन 10 घंटा 12 घंटा विलंब से अपने गंतव्य तक पहुंच रही है. कहीं ना कहीं रेलवे प्रशासन को पहले फॉग सेफ्टी डिवाइस का ट्रायल करना चाहिए तब जाकर के उसका विस्तार करना चाहिए. साथ ही फॉग सेफ्टी डिवाइस की जो क्षमता है कि एक किलोमीटर पहले चालक को सिंगल की जानकारी इंडिकेट मिलती रहेगी, उसकी क्षमता बढ़ानी चाहिए. इससे ट्रेन रफ्तार से अपने गंतव्य तक पहुंच पाए और रेल यात्रियों को ठंड के मौसम में अपने गंतव्य तक पहुंचने में परेशानी ना हो.
फॉग सेफ्टी डिवाइस का नहीं दिख रहा असरःकुल मिलाकर देखा जाए तो पूर्व मध्य रेलवे प्रशासन के द्वारा ठंड और घने कोहरे को ध्यान में रखते हुए थोक में सेफ्टी डिवाइस ट्रेनों के इंजन में लगाया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी ट्रेन घंटों विलंब से चल रही है. जिससे कि रेल यात्रियों को भी अपने गंतव्य तक पहुंचने में लेट हो रही है .कहीं ना कहीं फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाना ट्रेनों में भी दिखावा साबित हो रहा है. क्योंकि पटना राजधानी तेजस एक्सप्रेस आज 11 घंटा विलंब से पहुंची है. 12394 नई दिल्ली राजेंद्र नगर संपूर्ण क्रांति 6 घंटा विलंब से चल रही है.13240 कोटा मथुरा पटना एक्सप्रेस 14 घंटा विलंब से चल रही है, इस्लामपुर पटना रांची हटिया एक्सप्रेस 10 घंटा 30 मिनट लेट से चल रही है.
घंटों विलंब से चल रही है ट्रेनेंः 12274 नई दिल्ली हावड़ा दुरंतो एक्सप्रेस 13 घंटा लेट से चल रही है, 12332 जम्मू तवी हावड़ा हिमगिरी सुपरफास्ट 8 घंटा विलंब से चल रही है. 12368 आनंद विहार भागलपुर विक्रमशिला 7 घंटा 30 मिनट लेट से चल रही है. 15 484 दिल्ली अलीपुरद्वार महानंदा एक्सप्रेस 9 घंटा लेट से चल रही है. 12318 अमृतसर कोलकाता अकाल तख्त सुपरफास्ट 5 घंटा लेट चल रही है. 12436 आनंद विहार जयनगर गरीब रथ 4 घंटा विलंब से चल रही है. 12392 नई दिल्ली राजगीर श्रमजीवी सुपरफास्ट तीन घंटा लेट से चल रही है. 13005 हावड़ा अमृतसर पंजाब मेल से 4 घंटा विलंब से चल रही है. 13483 मालदा दिल्ली फरक्का एक्सप्रेस 5 घंटा लेट चल रही है. हावड़ा जम्मू तवी हिमगिरी 6 घंटा लेट, हावड़ा देहरादून कुंभ एक्सप्रेस को रद्द किया गया है. आनंद विहार राजनगर गरीब रथ 8 घंटा लेट से चल रही है.
क्या है फॉग सेफ्टी डिवाइसः यह डिवाइस सुरक्षित रेल परिचालन के लिए ट्रेनों में लगाया जाता है. इसमें जीपीएस की भी सुविधा होती है. यह बैटरी ऑपरेटेड यंत्र होता है. इसे ट्रेन के इंजन में रखा जाता है. इसकी मदद से कोहरे में भी ट्रेनों की हाई स्पीड बनी रहती है. कोहरे के कारण ट्रेनों की रफ्तार धीमी न पड़े, इसके लिए फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाई जाती है. जीपीएस से रेलवे ट्रैक का मैप, सिग्नल, स्टेशन और क्रॉसिंग की पूरी जानकारी जुड़ी होती है. यह सिस्टम लोको पायलटको ट्रेन चलने के दौरान क्रॉसिंग और सिग्नल की जानकारी देता है. ट्रेन चलाने के दौरान जब ड्राइवर को फॉग सेफ्टी डिवाइस से पता चल जाता है कि ट्रैक पर आगे कोई दिक्कत नहीं है तो वह उसी हिसाब से ट्रेन की गति बढ़ाता है.
कैसे काम करता है डिवाइस: जीपीएस आधारित इस डिवाइस में एक मेमोरी चिप लगी होती है जिसमें रेलवे के रूट की सारी जानकारी फीड कर दी जाती है. इसमें खास बात यह होती है कि इसमें रूट में पड़ने वाले लेवल क्रॉसिंग, जनरल क्रॉसिंग सिग्नल और रेलवे स्टेशन तक की जानकारी पहले से ही फीड होती है. इस यंत्र में एक वायर वाला एंटीना होता है. इसे इंजन के बाहरी हिस्से में लगा दिया जाता है. यह एंटीना इस डिवाइस में सिग्नल को रिसीव करने के लिए लगाया जाता है. घने कोहरे के चलते सिग्नल दिखाई नहीं देता है. ऐसे में इस डिवाइस के माध्यम से लोको पायलट को न सिर्फ आगे आने वाले सिग्नल की जानकारी मिल जाती है बल्कि रास्ते में पड़ने वाले तमाम तरह के क्रॉसिंग और रेलवे स्टेशनों की भी जानकारी पहले ही मिल जाती है. इससे निर्बाध रूप से ट्रेन आगे चलती रहती है.