पटनाः बिहार को केंद्र से मिलने वाली जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि अब बंद (Amount of GST compensation to Bihar closed) हो चुकी है. देश में जीएसटी ( गुड्स सर्विसेज टैक्स) एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था. तय हुआ था कि जीएसटी लागू होने से राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई अगले पांच साल तक केंद्र करेगी. इसके तहत हर साल 4000 करोड़ के आसपास राशि बिहार को मिल रही थी. अब जब यह राशि नहीं आएगी, तो इसका सीधा प्रभाव बिहार की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगी. इस कारण बिहार के बजट और विकास योजनाओं पर भी असर पड़ सकता है.
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पांच सालों में मिला 17087 करोड़ः बिहार को पांच सालों में 17087 करोड़ जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में मिला है. अंतिम किस्त 91 करोड़ का इसी साल नवंबर में जारी हुआ है, लेकिन अब बिहार को बड़ा नुकसान होने जा रहा है. इसलिए वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि अगले पांच साल यानी 2027 तक बढ़ाई जाय. क्षतिपूर्ति अवधि नहीं बढ़ायी गयी, तो बिहार को बड़ा नुकसान होगा और विकास की कई योजनाएं प्रभावित होगी.
बिहार के ऋण मद में बढ़ोतरीःबिहार जैसे राज्यों के राजस्व मद में जीएसटी मद की राशि का बड़ा योगदान है. कोविड के दौरान राज्य के राजस्व संग्रह पर असर पड़ा था. हालांकि, वित्तीय वर्ष 2021-22 में राजस्व संग्रह 35846 करोड़ हुआ था. इसमें जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि भी शामिल है. राज्य अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए ऋण ले रहा है. ऋण मद की राशि में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वर्ष 2020-21 में राज्य का कुल लोक ऋण 35915 था, जो वर्ष 2022-23 में बढ़ कर 40756 करोड़ हो जाने का अनुमान है. अगर क्षतिपूर्ति नहीं मिलती है ,तो लोक ऋण की इस राशि में और बढ़ोतरी हो सकती है. बिहार सरकार पर यह एक बड़ा बोझ होगा.
बिहार के आंतरिक संसाधनों में जीएसटी की महत्वपूर्ण भूमिकाः आर्थिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र सरकार की ओर से पांच साल की अवधि के लिए ही क्षतिपूर्ति देना तय हुआ था. यह सही है कि पहले से तय था, लेकिन बिहार जैसे गरीब राज्यों के लिए संसाधन जुटाना एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में बिहार को तत्काल तो इसका बड़ा नुकसान होगा और बिहार पर इसका असर भी पड़ेगा. वहीं जेडीयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन का कहना है बिहार के आंतरिक संसाधनों में जीएसटी की भूमिका महत्वपूर्ण है. क्षतिपूर्ति की राशि के माध्यम से कई वित्तीय दायित्व को बिहार सरकार पूरी करती रही है. अब यदि क्षतिपूर्ति की राशि को बंद किया जाता है तो बिहार के लिए आर्थिक मुश्किलें पैदा होगी.