पटना: बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक से विवाद के 27 दिन बाद शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर सिंह अपने कार्यालय पहुंचे. हालांकि इस दौरान केके पाठक मौजूद नहीं थे. जिस वजह से ये विवाद हुआ उसकी जड़ भी शिक्षा मंत्री अपने साथ लेकर विभाग में दाखिल हुए. दरअसल, केके पाठक ने नोटिफिकेशन के जरिए शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव कृष्णानंद यादव को ये निर्देश दिया था वो कार्यालय में प्रवेश न करें. इसी के बाद विवाद गहरा गया था.
KK Pathak से विवाद के 27 दिन बाद शिक्षा मंत्री कार्यालय आए, प्रतिबंधित आप्त सचिव को भी साथ लाए - प्रतिबंधित आप्त सचिव
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक से विवाद के 27 दिन बाद बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह कार्यालय पहुंचे. खास बात ये थी कि जिसको लेकर ये पूरा विवाद था उसे भी अपने साथ लेकर पहुंचे हुए थे. पढ़ें पूरी खबर-
आप्त सचिव के साथ दफ्तर पहुंचे शिक्षा चंद्रशेखर: शिक्षा मंत्री आज न सिर्फ कार्यालय आए बल्कि मिली जानकारी के मुताबिक, उन्होंने अफसरों के साथ मीटिंग भी की. इस दौरान केके पाठक मौजूद नहीं थे. जिस तरीके से आप्त सचिव के मामले ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी थी, जो 27 दिनों में ठंडी होती दिख रही थी, एक बार फिर मुद्दा गरमा गया है. क्योंकि प्राप्त जानकारी के मुताबिक उस वक्त जारी हुए विभागीय नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया गया हो, ऐसी कोई जानकारी शिक्षा विभाग की ओर से नहीं दी गई.
केके पाठक के क्या निर्देश थे: जिस लेटर पर विवाद था उसमें कहा गया है कि''पिछले एक हफ्ते में उनके द्वारा पीत पत्रों में अलग-अलग तरह के निर्देश विभाग और विभागीय पदाधिकारयों को भेजे गए हैं. इस संबंध में उनको आगाह किया गया है कि वह आप्त सचिव (बाह्य) तौर पर हैं. लिहाजा नियमत: सरकारी अधिकारियों को सीधे पत्राचार नहीं करना चाहिए.''
इसको लेकर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने लालू यादव से भी अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. जब उनसे पूछा गया था तब उन्होंने कोई बात डायरेक्ट तो नहीं कही लेकिन संविधान का हवाला देकर पूछा था कि इस मुद्दे पर संविधान में कौन बड़ा है?