पटनाःबिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का मानना है कि बिहार में जो क्राइम की घटनाएं होती हैं, उनमें ज्यादातर घटनाएं भूमि विवाद के कारण होती हैं. ये बात उन्होंने कई बार दोहराई है. इसे लेकर कई बार समीक्षा बैठक भी की गई. एक बार फिर बिहार में अपराध चरम पर है. आए दिन हत्या और लूट की घटनाएंसामने आ रही हैं, जिस पर एक बड़ी चर्चा शुरू हो गई है. ईटीवी भारत संवाददाता ने बढ़ते अपराध को लेकर अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास से बात की. अर्थशास्त्री विकास भी ये मानते हैं कि भूमि विवाद भी अपराध का सबसे बड़ा कारण है. उन्होंने कहा कि भूमि विवाद बढ़ने का कारण (Reason Of Crime Increase In Bihar) संस्थागत है, जिसके सही नहीं होने के कारण पूरा सिस्टम गड़बड़ है और अपराध में वृद्धि हो रही है. अर्थशास्त्री विकास ने इसकी कई वजहें बताई हैं.
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राजस्व कर्मचारियों की कमी से काम में देरीःबिहार में बढ़ रहे अपराध की सबसे बड़ी वजह रंगदारी और भूमि विवाद निकल कर सामने आ रही है. जो अपराध का एक बड़ा कारण माना जा रहा है. ज्यादातर हत्याएं भूमि विवाद के कारण हो रही हैं. अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास (Economist vidyarthi vikas) का कहना है कि कहीं ना कहीं इसमें भूमि एवं राजस्व विभाग की बड़ी कमी है. उन्होंने बताया कि बिहार में कुल 8445 पंचायत हैं, उतना ही हल्का भी है. जिस वजह से प्रत्येक हल्के में एक राजस्व कर्मचारी होना चाहिए लेकिन मौजूदा वक्त में महज 2000 कर्मचारी से पूरा पंचायत चल रहा है. जिस वजह से मौजूदा वक्त में भी चार से छह हल्का पर एक कर्मचारी मौजूद है. यही नहीं बिहार में कम से कम 2000 सरकारी अमीन होना चाहिए लेकिन मौजूदा वक्त में महज 300 सरकारी अमीन हैं. कहीं ना कहीं कर्मचारियों और अमीन की कमी के वजह से काम समय पर नहीं हो पा रहा है और कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिल रहा है.
क्या कहते हैं अर्थशास्त्री -राजस्व कर्मचारी की नियुक्ति एसएससी के माध्यम से होती है, जिस वजह से कहीं ना कहीं कई तरह की समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं. जरूरत है कि अब बिहार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के कर्मचारियों की नियुक्ति भी बीपीएससी के माध्यम से कराया जाए. ताकि किसी भी तरह की अनियमितता सामने नहीं आए. इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी बताया कि मौजूदा वक्त में राज्य सरकार के पास अमीन को ट्रेनिंग देने का कोई भी प्रॉपर इंस्टिट्यूट नहीं है. ट्रेनिंग भी एक बड़ी समस्या है, जिस वजह से अमीन को ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही है. जिस वजह से भूमि और राजस्व विभाग के काम करने का जो परफॉर्मेंस है, बहुत ही खराब है.
पब्लिक प्रॉसिक्यूटरकी कमी से केस निपटारे में देरीः इसके अलावा उन्होंने बताया कि बिहार में पुलिस प्रॉसिक्यूटर अचल पूर्ण रूप से प्रभावी नहीं है. बिहार में महज 400 पब्लिक प्रॉसिक्यूटर है. जिस वजह से अपराधियों को कहीं ना कहीं स्पीडी ट्रायल चलाकर सजा दिलवाने में मुश्किलें हो रही है. उन्होंने बताया कि बिहार में कम से कम 1400 पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की जरूरत है. इसके अलावा आम पब्लिक का कहीं ना कहीं पुलिसप्रॉसिक्यूटर और ज्यूडिशरी पर से विश्वास उठता जा रहा है. उन्होंने बताया कि बिहार में अपराध बढ़ने का एक और बड़ा कारण यह है कि बिहार में पब्लिक और पुलिस के बीच का रेशियो कम से कम डेढ़ सौ होना चाहिए यानी कि एक लाख पर 150 पुलिस होना अनिवार्य है. लेकिन मौजूदा वक्त में एक लाख की आबादी पर महज 77 पुलिसकर्मी हैं. तो कहीं ना कहीं पुलिस की कमी की वजह से अपराधिक वारदातों में वृद्धि हो रही है.
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देश में बढ़ती बेरोजगारी भी अपराध का बड़ा कारणः अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास की मानें तो बिहार ही नहीं पूरे देश में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. जिस वजह से युवा वर्ग बेरोजगारी के कारण गलत रास्ते को अपना रहे हैं, यही नहीं युवा वर्ग का ड्रग एडिक्शन की ओर झुकाव बढ़ रहा है. जिस वजह से उन्हें नशे की लत के लिए पैसे की जरूरत होती है. यह भी एक बड़ा कारण है कि बिहार में अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है. आंकड़ों की मानें तो साल 2020 में कुल आपराधिक वारदात 257506 दर्ज किए गए थे. जिसमें से 3149 हत्या के मामले दर्ज हुए थे, इनमें से ज्यादातर मामले भूमि विवाद और रंगदारी से जुड़े हुए हैं. साल 2021 की बात करें तो कुल 282067 मामले दर्ज हुए थे. जिसमें से 2799 मामले हत्या के दर्ज हुए थे, इनमें से भूमि विवाद के मामले सबसे ज्यादा हैं.