पटनाःबिहार हिंसा मामले में आर्थिक अपराध इकाई (Economic Offenses Unit) की एंट्री हो हो चुकी है. अब EOU की जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. विभाग घटना की जांच के लिए पूरी तरह से कमर कस चुकी है. विभागीय सूत्रों से पता चला है कि EOU के द्वारा FIR का मजमून तैयार किया जा चुका है. इसमें कई बड़े चेहरे भी शामिल है. मोबाइल चैट, व्हाट्सएप मैसेज और सीसीटीवी को एविडेंस के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. ईओयू सूत्रों के अनुसार तीन दर्जन से ज्यादा लोग रडार पर हैं, जिसमें कई बड़े हस्ती भी शामिल हैं.
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तीन दर्जन लोग चिह्नितः बिहार के नालंदा और सासाराम में हिंसा की घटना सरकार के लिए चुनौती बन गई है. सरकार इसकी जांच का जिम्मा अब आर्थिक अपराध इकाई को सौंपा है. ऐसे में आर्थिक अपराध इकाई एफआईआर दर्ज कर नए सिरे से जांच की तैयारी में जुट गई है. इस जांच में सब कुछ साफ हो जाएगा. दोनों जिलों में किस तरीके से सांप्रदायिक तनाव बढ़ा?, जिम्मेदार कौन लोग हैं?, राजनीतिक साजिश तो नहीं? इसी तरह सवाल को लेकर विभाग ने तीन दर्जन लोगों को चिह्नित किया है.
हिंसा फैलाने वालों चेहरा आएगा सामनेःआर्थिक अपराध इकाई हिंसा की साजिश में शामिल लोगों की कुंडली खंगाल रही है. सोशल मीडिया से साक्ष्य इकट्ठा किए जा चुके हैं. आईटी एक्ट के अलावा आईपीसी के धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने की तैयारी है. इसके बाद आर्थिक अपराध इकाई FIR दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी. सूत्रों के हवाले से यह भी पता चला है कि इसमें कई बड़े-बड़े लोग फंस सकते हैं, जिनको EOU ने टार्गेट कर लिया है. जल्द की हिंसा फैलाने वालों के चेहरे को सरकार के सामने लाया जाएगा.
क्या है मामलाःबता दें कि बिहार के नालंदा के बिहारशरीफ और रोहतास के सासाराम में रामनवमी के बाद 31 मार्च को हिंसा की घटना हुई थी. इस मामले में दो पक्षों के बीच जमकर झड़प हुई थी. दोनों जिलों में हिंसा की आग इस तरह से भड़क गई थी कि कई गाड़ी को आग के हवाले कर दिए गया था. इसमें कई लोग और पुलिसकर्मी घायल हुए थे. घटना के अगले दिन सासाराम में बमबाजी और नालंदा में गोलीबारी की घटना सामने आई थी. जिसमें नालंदा में एक युवक की मौत हो गई थी. घटना के कुछ दिन बाद सासाराम में भी बम से झुलसे युवक की मौत हो गई थी.
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173 लोगों की गिरफ्तारीः घटना के बाद दोनों जिलों में पुलिस लगातार कैंप कर रही थी. सेंट्रल फोर्स की कई कंपनी को बिहार में तैनात किया गया था. इस मामले में पुलिस ने दोनों जिलों में कुल 18 FIR दर्ज की थी, जिसमें कुल 173 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी. दोनों जिले में इंटरनेट सेवा कुछ दिन के लिए बंद कर दिया गया था. घटना के कुछ दिनों बाद तक हर रोह किसी न किसी क्षेत्र से हिंसा की खबरें आ रही थी. इस मालमे में नालंदा में 8 अप्रैल को एक आरोपी ने अररिया के फारबिसगंज में सरेंडर किया है.
हिंसा पर राजनीतिः बिहार के दोनों जिलों में हिंसा के बाद से राजनीतिक माहौल भी बिगड़ने लगा था. विपक्ष की सरकार बिहार सरकार पर इस हिंसा को लेकर आरोप लगा रही थी. महागठबंधन के नेता इसे BJP की साजिश बता रहे थे. इसी बीच नीतीश कुमार ने एक बयान जारी कर कहा था कि जल्द ही इस मामले में खुलासा हो जाएगा कि इसमें किसका हाथ है. इसी को देखते हुए नीतीश कुमार ने अब जांच का जिम्मा आर्थिक अपराध इकाई को सौंपा है. EOU को जांच का जिम्मा मिलने से बिहार के कई बड़े लोग का हाल खराब होने लगा है.