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कोरोना के कारण दुर्गा पूजा प्रभावित, मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग का हो रहा पालन

पूर्ण रूप से ज्योतिर्मय मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी का है, जो मां ब्रह्मचारिणी सदैव शांत और संसार से विरक्त होकर तपस्या में लीन रहती हैं. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है.

Patna
कोरोना के कारण दुर्गा पूजा प्रभावित

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Published : Oct 18, 2020, 1:14 PM IST

पटना: शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजा के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है. नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के लिए जाना जाता है. इस दिन उन्हीं की पूजा-अर्चना की जाती है. मां के नाम में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली. हालांकि कोरोना वायरस का असर दुर्गा पूजा पर देखने को भी मिल रहा है.

कोरोना के बीच श्रद्धालु कर रहे दुर्गा मां की पूजा
कोरोना काल को देखते हुए श्रद्धालु पटना सिटी स्तिथ शक्तिपीठ छोटी पटनदेवी मंदिर में मास्क और सेनिटाइजर के साथ प्रवेश कर रहे हैं. वहीं, मंदिर समिति की ओर से श्रंद्धालुओं के लिए मास्क और सैनिटाइजर भी अनिर्वाय किया गया है. बताया जाता है की आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, साथ ही आज की पूजा से भक्तों को मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

मां का दिव्य स्वरूप
पूर्ण रूप से ज्योतिर्मय मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी का है, जो मां ब्रह्मचारिणी सदैव शांत और संसार से विरक्त होकर तपस्या में लीन रहती हैं. कठोर तप के कारण इनके मुख पर अद्भुद तेज और आभामंडल विद्यमान रहता है. उनके हाथों में अक्ष माला और कमंडल होता है. मां को साक्षात ब्रह्म का स्वरूप माना जाता है. मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की उपासना कर सहज की सिद्धि मिलती है.

मां ब्रह्मचारिणी की पौराणिक कथा
मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था. उन्होंने नारद जी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की. इस कठिन तपस्या के कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा.

कैसे करें पूजा
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में सबसे पहले मां को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पण करें. उन्हें दूध, दही, घृत, मधु व शर्करा से स्नान कराएं और इसके देवी को प्रसाद चढ़ाएं. प्रसाद पश्चात आचमन कराएं और फिर पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें. पूजा करने के समय हाथ में फूल लेकर इस मंत्र से मां की प्रार्थना करें-

'दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

इसके बाद अक्षत, कुमकुम, सिंदूर आदि अर्पित करें.

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