पटना:एक वक्त था जब वशिष्ठ नारायण सिंह ने अपने रिसर्च और प्रतिभा से नासा और आईआईटी सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था. लेकिन अचानक वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि वह अपने ही राज्य में एक गुमनाम जिंदगी जीने पर मजबूर हो गए. अपने जवानी में वो 'वैज्ञानिक जी' के नाम से मशहूर थे. जानिए महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के जीवन का सफर.
कैसा रहा गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का सफर
वशिष्ठ नारायण सिंह( जन्म- 2 अप्रैल 1942) (मृत्यु- 14 नवंबर 2019)
⦁ वशिष्ठ नारायण सिंह जन्म बिहार के भोजपुर जिला में बसंतपुर नाम के गांव में हुआ था.
⦁ नेतरहाट विद्यालय से उन्होंने प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूल की शिक्षा प्राप्त की.
⦁ डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह ने सन् 1962 बिहार में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की.
⦁ मैट्रिक और इंटरमीडिएट दोनों कक्षाओं में बिहार टॉपर रहे.
⦁ 1965 में बर्कली के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से शोध के लिए चले गए.
⦁ साल 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए.
⦁ चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धांत पर किये गए उनके शोध कार्य ने उन्हें भारत और विश्व में प्रसिद्ध कर दिया.
⦁ इसके बाद नासा के एसोसिएट साइंटिस्ट प्रोफेसर के पद पर बहाल हुए.
भारत लौटने के बाद का सफर
⦁ 1971 में नासा से भारत लौटे.
⦁ 1972 में हमेशा के लिए भारत आ गए और आईआईटी कानपुर के लेक्चरर बने.
⦁ 1973 में उनकी शादी वंदना रानी सिंह से हो गई.