पटना:बदलते परिवेश में एक ओर जहां नई-नई टेक्नोलॉजी का इजाद हो रहा है. अंग्रेजी इस कदर सिर चढ़कर बोल रहा है कि हर चीज में अंग्रेजी का जोर पड़ गया है. तो वहीं दूसरी तरफ पटना हाईकोर्ट अस्पताल में कार्यरत डॉ सुधांशु आज भी मरीजों की पर्ची हिंदी में ही लिखते हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि हिंदी हमारे दिल में है. हिंदी हर भाषाओं की जननी है और हिंदुस्तान की भाषा है. इसे ज्यादा से ज्यादा फैलाने की जरूरत है.
मरीजों को होती थी परेशानी
डॉ सुधांशु जब 1983 में पीएमसीएच में पढ़ाई कर रहे थे, तो अपने सीनियर डॉक्टरों को अंग्रेजी में उसके डायग्नोसिस का तरीका लिखते थे. तब मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. मरीज दूसरों से वह पर्ची पढ़ाने के लिए देते थे. ऐसे में उसी वक्त से उन्होंने संकल्प किया कि जब भी मैं कभी पर्ची लिखूंगा, तो दवा खाने के तरीके और सारे डायग्नोसिस हिंदी में ही लिखूंगा. ताकि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके. दवाई का नाम तो अंग्रेजी में होता ही है, लेकिन दवा खाने का तरीका हिंदी मे लिखेंगें. तब से आज तक वह हिंदी मे ही मरीजों की पर्ची लिखते है.