पटना: बिहार में कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave Of Corona In Bihar) का कहर लगातार जारी है. प्रदेश में नए वैरीएंट ओमीक्रान की वजह से संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहे हैं कि हवा में कोरोना (Omicron Active In Air) का न्यू वैरिएंट ओमीक्रान कितने समय तक एक्टिव रहता है. कितने समय तक वायरस में संक्रमण फैलाने की क्षमता अधिक होती है. इन सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत के संवाददाता ने पटना आईजीआईएमएस की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. नम्रता कुमारी से बात की.
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आईजीआईएमएस के माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. नम्रता कुमारी ने बताया कि अगर कोई संक्रमित व्यक्ति कहीं से गुजरता है, तो उस जगह उसके सांस छोड़ने और खांसने या छींकने से वहां संक्रमण के वायरस एक्टिवेट रहने की क्षमता कई फैक्टरों पर निर्भर करती है. पहला यह है कि उस जगह एटमॉस्फेरिक कंडीशन कैसा है. दूसरा यह कि वायरस किस फॉर्म में है. वह ड्रॉपलेट है या फिर एरोसोल है. इसके अलावा वायरस किस सरफेस पर जा रहा है. इन सब बातों पर निर्भर करता है कि वायरस कितने समय तक एक्टिवेट रहता है.
डॉ. नम्रता कुमारी ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार 5 माइक्रोन से जो बड़े पार्टिकल होते हैं, उन्हें ड्रॉपलेट्स में कहा जाता है. इससे छोटे जो पार्टिकल होते हैं उन्हें एरोसोल कहा जाता है. उन्होंने बताया कि 0.5 माइक्रोन से 20 माइक्रोन तक के जो पार्टिकल होते हैं, वह रेस्पिरेट्री ट्रैक में जाकर अपना असर तुरंत दिखाते हैं. यह पार्टिकल सांस लेने की प्रक्रिया के दौरान रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट के सबसे लास्ट तक आसानी से चले जाते हैं. 20 माइक्रोन से जो बड़े पार्टिकल होते हैं, वह शरीर के रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट के अंत तक आसानी से नहीं पहुंच पाते हैं. कोरोना के ओमीक्रान वेरिएंट की बात करें तो इस वायरस के पार्टिकल काफी छोटे होते हैं और इस वजह से काफी आसानी से रेस्पिरेट्री ट्रैक में पहुंच जाते हैं.
'वातावरण में ह्यूमिडिटी अधिक है तो वायरस के एक्टिवेट रहने का समय बढ़ जाता है और वायरस यदि बड़े ड्रॉपलेट्स में है तो वह हवा में कुछ समय के लिए रहेगा और फिर ग्रेविटी के वजह से जमीन पर चला आता है. इसके अलावा अगर वायरस एरोसॉल के फॉर्म में है तो वह हवा में करीब 3 घंटे तक सस्टेन करता है. इस दौरान एरोसॉल फॉर्म में वायरस के संक्रमण फैलाने की क्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि आसपास वातावरण में कितना लिक्विड और ऑर्गेनिक मैटेरियल रखते हैं'-डॉ नम्रता कुमारी, माइक्रोबायोलॉजिस्ट
डॉक्टर ने बताया किअगर वायरस के सराउंडिंग में ऑर्गेनिक मैटेरियल ड्राई है तो वायरस के संक्रमण फैलाने की क्षमता घट जाती है. अगर सराउंडिंग में नमी अधिक है तो संक्रमण फैलाने की क्षमता अधिक रहती है. उन्होंने बताया कि वायरस का विभिन्न सरफेस पर एक्टिव रहने की क्षमता भी अलग-अलग होती है. देखने को मिलता है कि शीशे और प्लास्टिक पर वायरस 18 से 20 घंटे तक एक्टिव रहता है. जबकि कॉपर पर सबसे कम समय तक एक्टिव रहता है.