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मदर्स डे पर अपनी मां को याद कर भावुक हुए चिकित्सा जगत में मुकाम हासिल कर चुके डॉक्टर - dr. became emotional after remembering his mother on mother's day

पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विमल कारक ने मदर्स डे पर अपने माता जी को याद करते हुए बताया कि उनकी मां ही उनकी दुनिया थी और उनका निधन हाल के ही दिनों में हुआ है. उन्होंने बताया कि वह 90 वर्ष की आयु में इस दुनिया से विदा ली. डॉ विमल कारक ने बताया कि उनका जन्म मधुबनी के एक छोटे से गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था. आज वह जिस मुकाम पर हैं अपनी मां की बदौलत ही हैं.

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Published : May 10, 2020, 1:27 PM IST

पटनाः चिकित्सा जगत के क्षेत्र में एक मुकाम हासिल कर चुके चिकित्सकों ने मदर्स डे के मौके पर अपनी मां को याद किया और इस दौरान वह काफी भावुक हो गए. डॉक्टरों ने कहा कि उनकी जीवन में उनकी माताजी का योगदान काफी अहम रहा है और यह योगदान अतुलनीय है. डॉक्टरों ने बताया कि आज वह जिस मुकाम पर हैं, यह उनकी माता जी का ही सपना था.

पूरा देश मना रहा मदर्स डे
पीएमसीएच के इमरजेंसी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अभिजीत ने बताया कि उनकी माता जी का देहांत काफी कम समय 54 वर्ष की आयु में हो गई थी. उन्होंने बताया कि वह जब अपनी मां को याद करते हैं तो उनकी आंखें भर आती हैं. उनका जन्म पीएमसीएच के प्रसूति विभाग में ही हुआ है और उनकी माता जी को कम उम्र में ही डायबिटीज हो गया था. जिससे शरीर के कई अंग प्रभावित हो गए थे. उन्होंने बताया कि वह अपनी माताजी का इलाज कराने के लिए देश के कोने-कोने तक गए थे और पीएमसीएच परिसर में स्थित इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में वह अपनी माताजी का जब इलाज कराने आया करते थे, तो वह महीने में 10 दिन पीएमसीएच परिसर के जमीन पर ही सोते थे. उन्होंने कहा कि उनके जीवन में उनकी माताजी का योगदान बहुत बड़ा रहा है.

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डॉ. भी अपनी मां को याद कर हो गए भावुक
पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विमल कारक ने मदर्स डे पर अपने माता जी को याद करते हुए बताया कि उनकी मां ही उनकी दुनिया थी और उनका निधन हाल के ही दिनों में हुआ है. उन्होंने बताया कि वह 90 वर्ष की आयु में इस दुनिया से विदा ली. डॉ विमल कारक ने बताया कि उनका जन्म मधुबनी के एक छोटे से गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था. आज वह जिस मुकाम पर हैं अपनी मां की बदौलत ही हैं.

वहीं, उन्होंने बताया कि एक बार गांव में एक महिला ने उनकी मां से कहा था कि उनका बेटा तो डॉक्टर है. वह अपने बेटे को कैसे डॉक्टर बना पाएंगे, जिसके बाद उनकी मां ने एक-एक पैसा सहेजना शुरू किया और पैसा जुटा कर उनका एडमिशन नालंदा मेडिकल कॉलेज में कराया. डॉ विमल कारक ने बताया कि आज वह और उनके सभी भाई डॉक्टर हैं और यह सिर्फ और सिर्फ उनके माता-पिता के बदौलत ही संभव हो सका है.

दुनिया में मां का नहीं ले सकता कोई स्थान
पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ. विद्यापति चौधरी ने मदर्स डे के मौके पर अपनी मां को याद करते हुए कहा कि इस दुनिया में मां का स्थान कोई भी नहीं ले सकता. बच्चे के हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीजों के बारे में मां ध्यान रखती है. किसी भी बच्चे के जीवन को दशा दिशा देने में मां का योगदान काफी अहम होता है. उन्होंने बताया कि वह जब बच्चे थे तो उनकी माताजी उनके लिए खाने पीने वाली चीजें छुपा कर रखी थी और जब वह कोचिंग से आते थे तो उन्हें खाने के लिए देती थी. मां की जब भी याद आती है तो आंखें भर जाती हैं. उन्हें इस बात का मलाल रहता है कि काश उनकी मां भी जिंदा होती और आज वह चीज जगह पर हैं उन्हें देख कर गर्व महसूस करती.

कामयाबी के पीछे मां का योगदान अतुलनीय
पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. नीतेश कुमार ने मदर्स डे के मौके पर अपनी मां को याद करते हुए बताया कि उनकी जीवन में उनकी कामयाबी के पीछे माता जी का योगदान अतुलनीय रहा है. उनके पिताजी काम करते थे. इसलिए वह घर पर नहीं रहते थे और उनकी माताजी ही उन्हें तैयार कराकर स्कूल के लिए बस स्टॉप तक छोड़ने जाती थी, दिन भर उनकी देखभाल करती थी. उन्होंने बताया कि उनकी माताजी गांव में रहती हैं और आज वह पतंजलि केंद्र में जिस मुकाम पर हैं सिर्फ और सिर्फ अपने माता-पिता के बदौलत ही हैं.

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