पटना: कारगिल में एक गांव है लात्तू, जो समुद्र तल से लगभग 8700 फीट की उंचाई पर है. यहां जिंदगी को जीना ही किसी जंग से कम नहीं है. ठंड से हालत खराब रहती है. वहीं, कोरोना की बीमारी का खौफ लोगों की जिंदगी को बेपटरी कर दिया है. लेकिन गांव वालों की जिंदादिली कम नहीं है. यहां के लोग किसी भी हालात से हार मानने को तैयार नहीं है. अपने गांव और गांव के लोगों को जिंदगी को बचाने के लिए काम करना शुरू कर दिया है. गांव के बाहर पानी की टंकी लगा दी गयी है और साबुन भी रख दिया गया है. ताकी गांव के बाहर से आने वाले और गांव वाले भी यहां पर अपने हांथ को धो सके और कोरोना को रोक सके.
गांव में है जिंदगी
यह एक गांव की तैयारी है जिस गांव में जिंदगी सहज और सरल नहीं है. कुछ भी करने के लिए जिंदगी को जददोजहद करना पड़ता है. लेकिन उस गांव ने अपने लिए संकल्प ले लिया है. लॉक डाउन के बाद शहर के जो हालात बने और उसके बाद जिस तरह से लोगों गांव के तरफ निकले हैं. दिल्ली, गुड़गांव और यूपी की सीमा पर सिर्फ देश की राजधानी से जो तस्वीर मिली है. वह साफ साफ बता रही है कि हालात किस तरह के हैं.. लोग किसी कीमत पर अपने गांव जाने को तैयार हैं. यह एक मजबूरी भी और लोगों को यह लग रहा है कि गांव में उनकी जिंदगी है.
खेत से खलिहान तक डर
कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए ही लॉक डाउन किया गया. लेकिन गांव जाने के लिए जिस तरह से लोग भीड़ बन गए उसे रोकना मुश्किल है. लोग अपने गांव जाएंगे. गांव से आए भी थे. अब सरकारें भी तैयारी कर रही हैं कि जो लोग गांव जाना चाह रहे हैं उन्हें उनके गांव भेजा जाय. लेकिन सतर्क होकर. अपने गांव में अपने आ रहे हैं, लेकिन अपनों को ही डर लग रहा है. घर वापसी कर रहे लोगों को शक की नजर से देख जा रहा है. इसलिए नहीं की डर केवल दिल्ली के महानगर में है. कोरोना का खौफ तो गांव के खेत की मेड़ से लेकर खलिहान तक आ गया है. लोगों अपनों के चेहरे को देखने के लिए तैयार तो हो रहे हैं, लेकिन कोरोना के डर से खुशी ही खामोश हो जा रही है.
जागरुकता की जरूरत
डॉ. अखिलेश पांडे बताते हैं कि आज से कुछ साल पीछे चले तो शहर से गांव आने वाले की कुशलक्षेम पूछने पूरा गांव चला आता था, लेकिन कोराना ने हालात को पूरी तरह से उलट दिया है.. गांव के लिए चले लोगों की सूचना से गांव के लोगों को अपनी कुशलता पर डर लगने लगा है... भय कुछ ऐसा ही है... आज फिर से बार सबको सजगता के साथ जगने की जरूरत है... और इसमें छात्रों की भूमिका सबसे ज्यादा है.