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कोरोना काल में बढ़े महिलाओं पर घरेलू हिंसा के मामले, महिला थाने में दर्ज रिपोर्टों से खुलासा - महिलाओं पर घरेलू हिंसा

तकरीबन हर जिलों में महिला थाने खुल जाने से अब महिलाओं में कॉन्फिडेंस आया है कि वह अपनी समस्याओं को महिला पुलिस अधिकारी के सामने रख पाती हैं. पहले ज्यादातर मामले को दबाया जाता था. लेकिन अब महिलाएं घर से निकलकर थाने तक पहुंच रही हैं. जिस वजह से महिलाओं का रजिस्ट्रेशन अब थानों में बढ़ गया है.

Domestic violence cases on women increased during the Corona period
Domestic violence cases on women increased during the Corona period

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Published : Dec 24, 2020, 5:19 PM IST

पटनाःकोरोना काल के दौरान राजधानी पटना के महिला थाने में वैसे तो महिलाओं से जुड़े दहेज के लिए मानसिक शारीरिक प्रताड़ना, दुष्कर्म, प्रेम विवाह जैसे मामले आते रहते हैं. लेकिन इन दिनों महिला थाना में ज्यादातर करोना काल में पति और पत्नियों के बीच झगड़े और घरेलू हिंसा के मामले ज्यादा आ रहा है. ज्यादातर महिलाओं का ये भी आरोप है कि दूसरी महिला के साथ अवैध संबंध होने की जानकारी के बाद विरोध करने पर उन्हें पति द्वारा घर से निकाला जाता है और तलाक देने की धमकी दी जाती है.

बिहार में 40 महिला थाने
महिलाओं के साथ लगातार बढ़ रहे शारीरिक शोषण की शिकायतों को लेकर 2011 में बिहार 40 महिला थाना बनाया गया. जहां पर महिला थाना प्रभारी के साथ महिला पुलिसकर्मी की तैनाती की गई है. इन महिला थानों में पीड़ित महिलाओं को अपनी समस्याएं महिला के समक्ष रखने में आसानी होती है. इन महिला थानों में राज्य सरकार की तरफ से काउंसलर की भी व्यवस्था की गई है.

ताकि समझा-बुझाकर भी कुछ मामलों का निष्पादन किया जा सके. महिला थानों के साथ-साथ बिहार के सभी जिलों में एसी-एसटी थाने भी कार्यरत हैं. जहां पर SC-ST से जुड़े मामलों का निष्पादन किया जाता है और मामले भी दर्ज किए जाते हैं.

विभाग से जारी आंकड़ा

2020 में अब तक 140 मामले दर्ज
2020 में महिलाओं से जुड़े अब तक के कुल 140 मामले दर्ज हुए हैं. पिछले साल के बचे कुछ मामलों को मिलाकर अब तक 143 मामलों का निष्पादन ससमय किया गया है. शारीरिक शोषण की शिकायत को लेकर पीड़ित को अब महिला पुलिसकर्मी के सामने अपनी समस्या बताने में कोई तकलीफ नहीं होती है. वहीं महिला थाना के द्वारा पीड़ित के द्वारा केस के अनुसंधान का फॉलोअप भी फोन और व्हाट्सएप के माध्यम से किया जाता है.

यह व्यवस्था खासकर करोना काल में शुरू हुई है. कुछ मामलों में जहां पीड़िता के साथ दूर व्यवहार का मामला सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त होता है तो ऐसे मामले में थाना खुद पीड़िता के घर जाकर मामला दर्ज भी करता है और आरोपी को भी पकड़ने का काम किया जाता है.

विभाग से जारी आंकड़ा

क्या कहते हैं एडीजी सीआईडी
विनय कुमार की मानें तो बिहार पहला ऐसा राज्य है जहां सभी जिले और पुलिस जिले में महिला थाना स्थापित किया गया है. देश भर में कुल 137 महिला थाने हैं. जिनमें से 40 महिला थाना बिहार में स्थापित है. समाज में जिस तरह से महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है उस तरह बिहार सरकार ने भी बिहार के सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण देने का निर्णय लिया है. जिस वजह से अब ज्यादातर महिलाओं को भी पुलिस विभाग में ज्वाइंनिंग हो रही है.

पेश है रिपोर्ट

पिछले साल 6000 महिलाओं की पुलिस में नियुक्ति
एडीजी सीआईडी विनय कुमार के मुताबिक पिछले साल 11000 पुलिस कर्मियों की बहाली में 6000 महिलाओं की नियुक्ति हुई है तो वही बिहार के राजगीर ट्रेनिंग सेंटर में 700 महिला अफसरों की ट्रेनिंग चल रही है जो कि जल्द ही समाप्त होने के बाद महिला अफसरों को हर थाने में प्रतिनियुक्ति की जाएगी. फिलहाल पुलिस फोर्स में 17% महिलाओं का योगदान है.

महिलाओं को आरक्षण

सभी थानों में महिला मैनेजर की प्रतिनियुक्ति
महिलाओं और बच्चों के साथ सामान्य थाने में आ रही समस्याओं को देखते हुए बिहार सरकार और पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर हर थाने में महिला मैनेजर की प्रतिनियुक्ति की गई है. महिला मैनेजर जो कि थाना में कार्यरत हैं इनको सशक्त बनाने के लिए टेबलेट, डेक्सटॉप और मोबाइल की भी व्यवस्था की गई है. जिसे विमेन एंड चाइल्ड डेक्स के नाम से बिहार में जाना जाता है.

एनसीआरबी के 2019 के डाटा के अनुसार जो मामले दर्ज किए गए हैं उनमें अधिकांश पति-पत्नी या रिश्तेदार से जुड़े हुए हैं.

  • 2019 में सबसे ज्यादा पति-पत्नी के झगड़े
  • पति-पत्नी या रिश्तेदार से जुड़े मामले 30.9 फ़ीसदी
  • महिलाओं की इज्जत लुटने के मामले 21. 8 फीसदी
    सबसे ज्यादा पति पत्नी के बीच झगड़े
  • अपहरण व अन्य मामले 17.9 फीसदी
    आईजीसी के आंकड़े
  • बिहार में महिलाओं की भूमिका
  • पुलिस फोर्स में फिलहाल 17% की भागीदारी निभा रही हैं
  • पुलिस फोर्स में महिलाओं के लिए 35% आरक्षण का प्रावधान है
    महिलाओं को आरक्षण
  • जनसंख्या में 50 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी हो गई है

विगत कुछ दिन पहले SCRB के द्वारा साल 2019 का डाटा जारी किया गया है.

एससीआरबी के आंकड़े

SCRB के आंकड़े

  • 2019 में 730 दुष्कर्म की घटनाएं
  • 2018 में 651 दुष्कर्म की घटनाएं
    एससीआरबी के आंकड़े

इन जिलों में सबसे ज्यादा दुष्कर्म

दरभंगा, सुपौल, अररिया, किशनगंज, खगड़िया, पूर्णिया, कटिहार भागलपुर, शेखपुरा, नवादा, गया, अरवल, जहानाबाद और पटना में सबसे ज्यादा दुष्कर्म.

इन 6 जिलों में सबसे ज्यादा एसिड अटैक

इन जिलों में दुष्कर्म की ज्यादा घटनाएं

पूर्वी चंपारण, मधुबनी, कैमूर, खगड़िया, मुंगेर और कटिहार शामिल

इन जिलों में अपहरण की ज्यादा घटनाएं

सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, सारण, वैशाली, पटना, रोहतास, जहानाबाद नालंदा, लखीसराय, भागलपुर समेत 15 जिले शामिल हैं.

इन जिलों में अपहरण की ज्यादा घटनाएं

हदेज हत्या के मामलों में भी वृद्धि

साल 2018 में दहेज हत्या की 1107 घटनाएं

दहेज हत्या के आंकड़े

2019 में दहेज हत्या की 1120 घटनाएं

पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सिवान, सीतामढी, पटना समेत कुल जिलों में सबसे ज्यादा दहेज हत्या

ऑल ओवर अपराध के आंकड़ों पर ध्यान दें तो कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि 2018 के मुकाबले 2019 में अपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. 2019 में कुल 269109 मामले दर्ज किए गए. जिसमें आईपीसी की धाराओं में दर्ज मामले 197935 हैं

2018-19 में अपराध के आंकड़े

  • अपराध 2018 2019
  • हत्या 2934 3138
  • अपहरण 9935 10707
  • बलात्कार 651 730
  • दहेज हत्या 1109 1120
  • बिहार में 43.2 प्रतिशत महिलाएं पति से परेशान
    अपराध के आंकड़े

महिलाओं पर पति के जरिए ज्यादा अत्याचार
कुछ दिनों पहले इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर आद्री की ओर से आयोजित सेमिनार में यह बातें सामने आई थीं कि देश में घरेलू हिंसा से प्रभावित महिलाओं का अनुपात बढ़कर इन दिनों 24% हो गया है.

बिहार में 43.2 प्रतिशत महिलाओं को अपने पति के जरिए हिंसा झेलनी पड़ती है.महिला थाना प्रभारी आरती जायसवाल की माने तो पति पत्नी के बीच झगड़े की मुख्य वजह एक दूसरे की बातें नहीं सुनना और शक करना होता है.

शिकायत के लिए महिलाएं पहुंच रहीं हैं थाने
एडीजी सीआईडी विनय कुमार के मुताबिक पहले की तुलना में अब थानों में महिला से जुड़ी समस्याओं के मामले इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि हर जिले में महिला थाना स्थापित किया गया है. लिहाजा अब महिलाओं में कॉन्फिडेंस आता है कि वह अपनी समस्याओं को महिला पुलिस अधिकारी के सामने रख पाती हैं. पहले ज्यादातर मामले को दबाया जाता था. लेकिन अब महिलाएं घर से निकलकर थाने तक पहुंच रही हैं. जिस वजह से महिलाओं का रजिस्ट्रेशन अब थानों में बढ़ गया है.

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