पटना:कोविड-19 जैसे महामारी से आए दिन पूरी दुनिया में लगातार लाखों की संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन इस बीमारी का अब तक कोई भी तोड़ नहीं निकल सका है. कोरोना वायरस अब भी पूरे विश्व के लिए एक अज्ञात पहेली बनी हुई है और इस बीमारी से जुड़े हुए रोज नए-नए रिसर्च सामने आ रहे हैं.
हाल के दिनों में बिहार में संक्रमण के मामले में काफी अच्छी गिरावट देखने को मिली है, लेकिन चिकित्सक नवंबर और दिसंबर के माह में फिर से कोरोना के पीक पर होने की चिंता जाहिर कर रहे हैं.
बता दें कि जुलाई और अगस्त के महीने में संक्रमण के मामले काफी तेजी से बड़े थे. जिसके बाद डॉक्टरों ने उस समय सितंबर के माह से संक्रमण की रफ्तार कम पड़ने की बात कर रहे थे जो अब दिख भी रहा है. मगर एक बार फिर चिकित्सक अब फिर से कोरोना के पिक को लेकर नए तर्क दे रहे हैं और उनका कहना है कि एक बार फिर राज्य में कोरोना संक्रमण तेजी में बढ़ने की प्रबल संभावना बन रही है.
नवंबर-दिसंबर में संक्रमण बढ़ने की प्रबल संभावना
पीएमसीएच के कोविड-19 के प्रभारी चिकित्सक और अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ अरुण अजय ने बताया कि वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण के मामले कम हुए हैं और सीवियर केसेस की संख्या पहले से काफी कम हुई है. उन्होंने कहा कि राज्य में अब कोरोना से मोर्टिलिटी रेट भी काफी कम हुई है और यह बहुत बड़ी राहत की बात है. वहीं कहा कि संक्रमण अभी कम हुए हैं लेकिन नवंबर-दिसंबर के माह में कोरोना संक्रमण के चरम पर होने की प्रबल संभावना बन रही है.
तापमान के गिरावट से बढ़ सकता है संक्रमण
डॉ अरुण अजय कहा कि अब तक की कोरोना की केस स्टडी को देखे तो चाइना में जिस समय संक्रमण का शुरुआत हुआ था. उस समय वहां का तापमान काफी कम था और अगर एशिया की बात करें तो दक्षिण पूर्व एशिया में संक्रमण का फैलाव जिस अनुपात में हुआ, जहां तापमान कम था वहां संक्रमण का फैलाव ज्यादा हुआ. वहीं जो भी गर्म देश और प्रदेश हैं वहां तापमान ज्यादा रहा जिससे कारण से संक्रमण तेजी से फैला चाहिए है लेकिन यहां कम फैला है. उन्होंने कहा कि इन्हीं सब बातों को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जब यहां का तापमान 18 से 20 डिग्री के आसपास होगा तब एक बार फिर संक्रमण का तेज लहर आएगा और संक्रमण अपनी चरम पर होगा.
ठंड में रेस्पिरेट्री सिंड्रोम बीमारियां ज्यादा एक्टिव
उन्होंने कहा कि संक्रमण की चरप पर होने का दो वजह है जिसमें एक वजह यह है कि ठंड के मौसम में सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम से जुड़ी हुई बीमारी जैसे निमोनिया, टीबी और अन्य बीमारियां वह ठंड में ज्यादा एक्टिव होते हैं. इन बीमारियों के वायरस ठंड में ज्यादा एक्टिव होते हैं और कोरोना भी रेस्पिरेट्री सिंड्रोम से जुड़ी हुई बीमारी है. इस कारण संक्रमण बढ़ने का खतरा बन रहा है हालांकि नवंबर-दिसंबर में फिर से चरप आएगा यह भी सुनिश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता.
पीएमसीएच में की गई है तैयारी
डॉक्टर अरुण अजय ने बताया कि नवंबर-दिसंबर में कोरोना के कारण आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए पीएमसीएच अस्पताल में काफी अच्छी तैयारी कर ली गई है और टेस्टिंग पर विशेष जोर दिया जा रहा है. पहले इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी इस कारण डॉक्टर भी डरते थे. लेकिन वह कोरोना पेशेंट को रेगुलर चेकअप कर रहे है और उनका इलाज भी कर रहे हैं. ऐसे में बीमारी के बारे में काफी कुछ जानकारी मिल गई है कि कैसे अपने काम को करते हुए इस बीमारी से बचा रहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना के सीवियर केसेस की संख्या कम हुई है इसका श्रेय टेस्टिंग को ही जाता है क्योंकि अधिक संख्या में टेस्टिंग हुई है. जिसके बाद पॉजिटिव मिले व्यक्तियों को स्वस्थ व्यक्ति से अलग किया गया और संक्रमण को फैलने से रोका गया.