पटना: साल 2019 में भाषण बारिश के कारण पटना में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हुई थी. इसमें बिहार सरकार की काफी किरकिरी भी हुई थी. आलम ये हो गया था कि खुद उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को रेस्क्यू करना पड़ गया था. वहीं, इस साल मानसून के दस्तक देते ही जिला प्रसासन और नगर निगम की टीम नालों की उड़ाही में लग गई है. ताकि पिछले साल जो बिहार सरकार की बदनामी हुई, इस साल उसकी भरपाई की जा सके.
जलजमाव से निपटने के लिए नालों की हो रही उड़ाही पटना के डीएम कुमार रवि खुद मौके पर मौजूद होकर नालों की उड़ाही और अतिक्रमण हटवा रहे हैं. साथ ही साथ इससे दोबारा शहर में जलजमाव की स्थिति न हो सके. इसके लिए डीएम कुमार रवि नालों के एक्जिट पाइंट पर जमे गाद को साफ करा रहे हैं. अभी तक बालू पर बने पक्के 40 मकान को तोड़ा गया है.
DM ने दी जानकारी
डीएम कुमार रवि ने बताया कि पिछले साल की घटना से सबक लेकर जिला प्रशासन की टीम लगातार काम कर रही है. उन्होंने कहा कि नालों में जमे अतिक्रमण को मुक्त करवाया गया है. शहर का सबसे प्रमुख पईन बादशाही पईन की साफ-सफाई करा ली गई है. डीएम ने आगे कहा कि शहर के प्रमुख 9 नालों के चौड़ीकरण और सफाई का कार्य शुरू कर दिया गया है. इसके अलावा संप हाउस के संचालन को लेकर कई कदम उठाए गए हैं. जिसका लाभ इस साल जरूर देखने को मिलेगा.
अपनी निगरानी में नाला साफ कराते डीएम 2019 में हुआ था पटना जलमग्न
बता दें कि साल 2019 में बिहार में भीषण बारिश हुई थी. जिसका सबसे बुरा असर पटना में पड़ा. पटना में हुए वॉटर लॉगिंग की समस्या ने लोगों को काफी परेशान किया. कंकड़बाग, रामकृष्ण नगर, मछुआटोली, राजेंद्र नगर जैसे कई रिहायशी इलाके पानी में डूब गए थे. जिसमें आम से लेकर खास लोगों को जलजमाव का शिकार होना पड़ा. हालात तो ऐसे खराब हुए कि कमर तक पानी जम जाने के कारण लोगों का घरों से निकलना बंद हो गया. जिससे लोगों को खाने के लाले पड़ने लगे. लगभग सभी दुकानें बंद हो गई. जिससे राशन मिलना बंद हो गया. मालूम हो कि ऐसी स्थिति में सड़कें नदियां में तब्दील हो गई और नाव चलने लगे.
विपक्ष रहा नीतीश सरकार पर हमलावर
इस जलजमाव में जाप प्रमुख पप्पू यादव लगातार लोगों की मदद करते दिखें थे. पप्पू यादव नाव के सहारे लोगों के पास जाकर उन्हें राशन और राहत सामग्री बांटते दिखें. बता दें कि इस जलजमाव को लेकर विपक्ष ने नीतीश सरकार की जमकर आलोचना की. जलजमाव की समस्या खत्म होते ही इस मामले की जांच बैठी. जिसमें 25 से अधिक अधिकारियों को कटघरे में रखा गया. जिसमें तत्कालीन कमिश्नर अनुपम कुमार सुमन शामिल थे, उनपर भी कार्रवाई की गई. साथ ही लापरवाही करने वाले 14 इंजिनियरों को निलंबित भी कर दिया. अब ऐसे में ये देखना होगा कि बिहार सरकार और जिला प्रशासन पिछली घटनाओं से कितनी चिंतित है. प्रशासन की टीम लगातार काम तो कर रही है. लेकिन इस काम का कितना फायदा मिलता है, ये तो आने वाला समय ही बताएगा.