पटना: बिहार में प्राथमिक शिक्षकों का नियोजन एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. इसमें 90 हजार से ज्यादा शिक्षक पदों पर पिछले एक साल से ज्यादा समय से नियोजन की प्रक्रिया चल रही है. हाल ही में पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब तलब करते हुए इस पर रोक लगाई है. वहीं अब डीएलएड अभ्यर्थी मामले में देरी होते देख आशंका से घिरे हुए हैं. साथ ही उन्होंने पटना हाईकोर्ट में इसी मामले में इंटरव्यू करते हुए जल्द सुनवाई की अपील दायर की है.
बिहार के डीएलएड शिक्षक अभ्यर्थियों ने पटना हाईकोर्ट में शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करने की गुहार लगाई है. दरअसल इन अभ्यर्थियों को आशंका है कि चुनाव की घोषणा होते ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा. वहीं पटना हाईकोर्ट ने शिक्षक नियोजन प्रक्रिया पर रोक लगाई है. जिस पर सरकार द्वारा उचित प्रयास नहीं होते देख प्राथमिक शिक्षक अभ्यर्थियों ने मामले में जल्द सुनवाई के लेकर अपने एडवोकेट के माध्यम से इंटरवीन किया है.
'जल्द सुनवाई के लिए हस्तक्षेप'
डीएलएड शिक्षक अभ्यर्थी पप्पू कुमार ने कहा कि हमें सरकार पर बिल्कुल भरोसा नहीं रह गया है. इसलिए हम लोग खुद पटना हाईकोर्ट में गुहार लगा रहे हैं कि जल्द से जल्द सुनवाई करके मामले को डिस्पोज किया जाए ताकि प्राथमिक शिक्षकों का नियोजन जल्द से जल्द पूरा हो सके. वहीं डीएलएड शिक्षक अभ्यर्थियों के वकील प्रिंस कुमार मिश्रा ने बताया कि 3 जुलाई को ही पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में रोक लगाई थी. साथ ही कोर्ट ने सरकार को 7 सितंबर तक वक्त दिया गया है. अगली सुनवाई 7 सितंबर को होनी है, लेकिन अभ्यर्थी यह चाहते हैं कि मामले की जल्द सुनवाई हो ताकि नियोजन की प्रक्रिया समय से पूरी हो सके. इसीलिए पप्पू कुमार ने कोर्ट में जल्द सुनवाई के लिए हस्तक्षेप किया है.
शिक्षक अभ्यर्थियों के वकील प्रिंस कुमार मिश्रा 'सरकार बहाली को पूरा करने के लिए प्रयासरत'
इस मामले में प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ. रणजीत कुमार मिश्रा ने फोन पर जानकारी देते हुए कहा कि सरकार की ओर से बहाली को समय पर पूरा करने के तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. पटना हाईकोर्ट में सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है और हमारी कोशिश है कि यह प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी हो जाए.
डीएलएड शिक्षक अभ्यर्थी पप्पू कुमार जानें क्या है मामला?
मामला प्राथमिकता शब्द को लेकर है. बीएड अभ्यर्थियों ने पटना हाईकोर्ट में सरकार की अधिसूचना के खिलाफ मामला दायर किया है. जिसके अनुसार नियोजन प्रक्रिया के बीच में ही सरकार ने प्राथमिक शिक्षकों के नियोजन में डीएलएड अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देकर बीएड अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया है.