पटनाः जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह जब से केंद्र में मंत्री बने हैं, तब से ललन सिंह से 36 का आंकड़ा है. ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से आरसीपी सिंह के सभी नजदीकियों को अलग-थलग कर दिया गया है और आरसीपी सिंह को भी बिहार में पार्टी के किसी कार्यक्रम में निमंत्रण (Dispute Between RCP Singh and Lalan Singh) नहीं दिया जा रहा है. पोस्टर से भी उन्हें गायब कर दिया गया है. आरसीपी सिंह जो कार्यक्रम चला रहे हैं उस पर भी ललन सिंह भारी पड़ रहे हैं.
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खुलकर दिखती है नाराजगीः कभी ललन सिंह और आरसीपी सिंह की खूब जमती थी लेकिन जब से केंद्र में आरसीपी सिंह मंत्री बने हैं, ललन सिंह की नाराजगी खुलकर दिखती रही है. ललन सिंह और आरसीपी सिंह के बीच विवाद भी कम नहीं हो रहा है. राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद आरसीपी सिंह के बनाए सभी प्रकोष्ठ को ललन सिंह ने भंग कर दिया. नए ढंग से प्रकोष्ठ का गठन किया गया और उसमें अपने नजदीकियों को जगह दी गई.
यूपी चुनाव से बढ़ने लगी थी दूरियांः उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर आरसीपी सिंह और ललन सिंह के बीच दूरियां बढ़नी शुरू हुई थी. बीजेपी से तालमेल नहीं होने का ठीकरा आरसीपी सिंह पर ही फोड़ा गया. पहले आरसीपी सिंह को स्टार प्रचारकों की लिस्ट में जगह नहीं दी गई. बाद में जगह भी दी गई, तब भी आरसीपी सिंह उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार करने नहीं गए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जन्मदिन 1 मार्च से आरसीपी सिंह ने पूरे बिहार में विकास दिवस को लेकर बड़ा अभियान शुरू करने की घोषणा की थी. कार्यक्रम के लिए जदयू कार्यालय में जगह नहीं दी और पार्टी के नेता और कार्यकर्ता को भी विशेष दिशा-निर्देश पार्टी मुख्यालय की तरफ से पत्र जारी कर दिया गया.
रद्द कर दिया गया कार्यक्रमः अब स्थिति यह है कि कोई भी प्रकोष्ठ कार्यक्रम करता है, उसमें आरसीपी सिंह को आमंत्रित नहीं किया जाता है. यहां तक कि पोस्टर बैनर से भी आरसीपी सिंह की तस्वीर गायब रहती है. ताजा मामला भामाशाह जयंती समारोह को लेकर भी है आरसीपी सिंह के समर्थक राजगीर में बड़ा कार्यक्रम करने जा रहे थे. आरसीपी सिंह को विशेष रूप से उसमें आमंत्रित किया गया था. 10 हजार लोगों को बुलाने की तैयारी थी, लेकिन अचानक कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया. लेकिन जो जानकारी मिल रही है, यह पार्टी के दबाव में ही किया गया है, क्योंकि पटना में भी भामाशाह जयंती समारोह हो रहा है. लेकिन उसमें न तो आरसीपी सिंह को आमंत्रित किया गया है और जो पार्टी कार्यालय में पोस्टर लगा है, उसमें भी आरसीपी सिंह कहीं नजर नहीं आ रहे हैं.
आरसीपी दिखाएंगे तेवरः पार्टी के नेता खुलकर इस पर बोलने से बच रहे हैं. लेकिन आरसीपी सिंह की नजदीकियों की मानें तो जुलाई में उनका राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. केंद्र में मंत्री हैं, इसलिए नीतीश कुमार फिर से उन्हें राज्यसभा में भेजेंगे यह तय है. हालांकि ललन सिंह अड़ंगा लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे, लेकिन राज्यसभा में चुने जाने के बाद आरसीपी सिंह अपने तेवर दिखाएंगे. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है कि पोस्टर को लेकर मुझे कोई जानकारी नहीं है, लेकिन हमारे पार्टी में सबके नेता नीतीश कुमार ही हैं.
दोनों मानते हैं नीतीश कुमार की बातः सहयोगी बीजेपी जदयू का बचाव कर रही है. बीजेपी के प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि यह जदयू का अंदरूनी मामला है. वहां नीतीश कुमार ही नेता हैं. ललन सिंह और आरसीपी सिंह नीतीश कुमार की बात मानते हैं. जदयू के दिग्गज नेताओं के विवाद का असर बिहार एनडीए पर नहीं पड़ेगा.
पार्टी में छिड़ा है घमासानः ललन सिंह और आरसीपी सिंह के बीच बढ़ते विवाद पर मुख्य विपक्षी दल आरजेडी की भी नजर है. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि जदयू में दिग्गज नेताओं के बीच घमासान छिड़ा है और अब तो विवाद खुलकर सामने भी आ रहा है. भामाशाह जयंती एक बहाना है. आने वाले राजनीति के लिए वहां शक्ति प्रदर्शन चल रहा है. बता दें कि पार्टी में जब से उपेंद्र कुशवाहा आए हैं, आरसीपी सिंह की उनसे बनती नहीं है. केंद्र में जब से आरसीपी सिंह मंत्री बने हैं, ललन सिंह के साथ उनका विवाद शुरू है. ऐसे तीनों नेता जदयू संगठन में अपनी पकड़ बनाना चाहते हैं और उसके लिए हर तरह की कवायद चल रही है. इस तरह से कह सकते हैं कि जदयू के अंदर दिग्गज नेताओं के बीच विवाद पार्टी में अपनी पकड़ बनाने को लेकर भी शुरू है.
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