2024 में बिहार में नौकरी बनेगा बड़ा मुद्दा पटना: बिहार में 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर माहौल तैयार होने लगा है. बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने 10 लाख नौकरी पहले कैबिनेट में देने का वादा किया था. हालांकि उस समय तो सरकार नहीं बनी लेकिन नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने के बाद जब सरकार बनी तो तेजस्वी यादव, पहली कैबिनेट में 10 लाख नौकरी नहीं दे पाए लेकिन नीतीश कुमार ने 15 अगस्त को 10 लाख नौकरी के साथ 10 लाख रोजगार देने की भी घोषणा कर दी.
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नौकरी-रोजगार बनेगा बिहार में बड़ा मुद्दा: नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की ओर से लगातार कहां जा रहा है कि अधिक से अधिक नौकरी और रोजगार देने की कोशिश हो रही है. लगातार नियुक्ति पत्र बांटा जा रहा है और वैकेंसी भी निकाली जा रही है. वहीं महागठबंधन के नेता नौकरी को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने की कोशिश में हैं. बीजेपी से पूछ रही है कि 9 साल में 18 करोड़ नौकरी का क्या हुआ? दूसरी तरफ बीजेपी कह रही है कि हमने जो वादा किया उससे अधिक नौकरी और रोजगार दे रहे हैं.
महागठबंधन सरकार गिना रही अपनी उपलब्धियां: बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद कई विभागों में पदों के सृजन के साथ नियुक्ति के लिए वैकेंसी निकाली जा रही है. कई विभागों में नियुक्ति पत्र वितरित भी किया गया है. हालांकि सरकार ने 10 लाख नौकरी और 10 लाख रोजगार देने का वादा किया है और यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इसके लिए बिहार सरकार को एक बड़ी राशि की व्यवस्था करनी पड़ेगी. अभी तक महागठबंधन सरकार की ओर से शिक्षक बहाली के लिए एक लाख 70000 वैकेंसी निकाली गई है. पुलिस विभाग में भी 75000 बहाली करने का कैबिनेट से फैसला हो चुका है.
कई विभागों में वैकेंसी लाने की तैयारी: आने वाले दिनों में डेढ़ लाख के करीब स्वास्थ्य विभाग में भी वैकेंसी निकालने की तैयारी है. वहीं 50 हजार के करीब अन्य विभागों में भी पदों का सृजन किया गया है. अभी तक 25000 के करीब विभिन्न विभागों में नियुक्ति पत्र भी बांटा गया है. इससे उत्साहित महागठबंधन के नेता बीजेपी पर नौकरी और रोजगार को लेकर निशाना साध रहे हैं. वहीं बीजेपी भी महागठबंधन सरकार पर पलटवार कर रही है.
"2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा किया था. पिछले 9 साल में 18 करोड़ नौकरी का क्या हुआ है, इसका तो जवाब देना चाहिये. हमारी सरकार में बड़े पैमाने पर नियुक्ति के साथ नई नौकरी दी जा रही है."-उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जदयू
"महागठबंधन के घटक दल के नेताओं को जानकारी नहीं है कि कुएं के मेंढक हैं. सारा समुद्र उनको यही लगता है. रोजगार की बात है तो ईपीएफओ के नए सदस्यों को देखना चाहिए 7 करोड़ से अधिक नए सदस्य बने हैं. नए सदस्य किन को बनाया जाता है, जिन्हें नौकरी मिलता है. स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया , मुद्रा ऋण योजना सहित अन्य योजनाओं में भी बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला है. लोगों को अपने पैरों पर खड़ा किया जा रहा है. "-प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता बीजेपी
BJP का दावा- NDA की सरकार में बहाली की प्रक्रिया हुई थी पूरी:बीजेपी की ओर से महागठबंधन सरकार बनने के बाद नियुक्ति पत्र जो बांटा गया उस पर सवाल खड़ा किए जाते रहे हैं. बीजेपी नेताओं का तो यहां तक कहना है कि जब एनडीए की सरकार थी उसी समय बहाली की प्रक्रिया पूरी हो गई थी. कुछ विभागों में तो दोबारा नियुक्ति पत्र बांटा गया. नियुक्ति पत्र देने के नाम पर महागठबंधन की सरकार लोगों की आंख में धूल झोंक रही है. वहीं जो उन्होंने वादा किया है 10 लाख नौकरी का वह तो पूरा होता दिख नहीं रहा है. तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कहा था कि सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का फैसला होगा.
बीजेपी ने कही ये बात: बीजेपी के तरफ से दावा किया गया है कि 9 साल में ईपीएफओ में 7 करोड़ से अधिक नए सदस्य बने. स्टार्टअप इंडिया से भी बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार मिला है. स्किल इंडिया मुद्रा ऋण योजना से भी देश के बड़ी संख्या में लोग रोजगार प्राप्त किए हैं और अपने पैरों पर खड़े हुए हैं. प्रधानमंत्री 10 लाख लोगों को नियुक्ति पत्र लगातार बांटने के लिए समारोह कर रहे हैं. 18 करोड़ नौकरी को लेकर सवाल : बीजेपी और महागठबंधन के घटक दल के नेताओं की ओर से अपने- अपने तरीके से दावे हो रहे हैं. दोनों तरफ से आंकड़ें भी बताए जा रहे हैं लेकिन यह भी सच्चाई है नौकरी और रोजगार एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है और महागठबंधन की ओर से भी 2024 में इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी हो रही है. विशेषकर दो करोड़ नौकरी हर साल देने की बात पर बीजेपी को घेरने की कोशिश हो रही है.