पटना:आम बजट 2022 (Union Budget 2022) में बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग (Demand of Special Status for Bihar) की कोई चर्चा नहीं है. इससे एक तरह से जेडीयू के पूरे अभियान की हवा निकल गई. पिछले 15-16 सालों से चल रहे अभियान के बावजूद प्रदेश को स्पेशल स्टेटस हासिल नहीं हो पाया है. अब इस मुद्दे पर पार्टी में अब एक राय भी नहीं है. योजना विकास एवं ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने पिछले साल ही कहा था कि विशेष राज्य का दर्जा कब तक मांगते रहेंगे, केंद्र विशेष मदद ही दे दे. अब वही बात बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने भी कही है. उनका कहना है कि अब इस मुद्दे को हमें त्याग देना चाहिए. आखिर केंद्र असमर्थ है देने में तो हम लोगों को विशेष मदद की ही मांग करनी चाहिए. हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह लगातार इसको लेकर अभियान चला रहे हैं.
ये भी पढ़ें: मंत्री मदन सहनी का बड़ा बयान- केंद्र विशेष राज्य का दर्जा देने में असमर्थ, तो मुद्दा अब त्याग देना चाहिए
उधर, जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का भी कहना है कि जब तक हमें विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता है, तब तक यह अभियान चलता रहेगा. उनका यह भी कहना है कि पार्टी के नेशनल एक्सक्यूटिव का भी यही डिसीजन है. इस डिसिजन के अनुकूल हम लोग तब तक अभियान चलाते रहेंगे, जब तक कि बिहार को स्पेशल स्टेटस नहीं मिल जाता है. वहीं, जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार का भी कहना है कि हम लोगों की मांग पुरानी है. तार्किक ढंग से आगे भी हम लोग अपनी बात रखते रहेंगे. वे कहते हैं कि चाहे सरकार एनडीए की हो या यूपीए की, उसकी चिंता हम लोग नहीं करते हैं.
जेडीयू की ओर से बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर सहयोगी बीजेपी उसके साथ नहीं दिख रही है. बिहार बीजेपी के प्रवक्ता संतोष पाठक कहते हैं कि पहले ही साफ किया जा चुका है कि किसी भी राज्य को स्पेशल स्टेटस नहीं मिल सकता है. वे तो यहां तक करते हैं कि नियम कानून से ही सब कुछ हो सकता है लेकिन जिस तरह से लोग विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं, उनकी मंशा कुछ और लगती है.