पटना:बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान के स्टैंड से एनडीए में बखेड़ा खड़ा हो गया था. चिराग पासवान ने एकला चलो के राह पर राजनीति को अंजाम दिया. चिराग पासवान को सीटें भले ही एक आई हो, लेकिन चिराग के वजह से जदयू को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा.
चिराग पासवान को लेकर NDA में मतभेद लोक जनशक्ति पार्टी ने भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उचारे लेकिन हम और जदयू के खिलाफ अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे जिसे लेकर दोनों दलों में आज भी लोजपा को लेकर गुस्सा है और वह लोजपा को एनडीए में देखना नहीं चाहते हैं. वहीं, भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा था कि रामविलास पासवान अंबेडकर के बाद सबसे बड़े दलित नेता हुए हैं
''चिराग पासवान की मुखालफत कर रहे जदयू नेताओं का मानना है कि चिराग पासवान के वजह से एनडीए को नुकसान हुआ है. इसलिए लोजपा को एनडीए में नहीं रखा जाना चाहिए''- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता
दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम ''बेशक रामविलास पासवान बड़े दलित नेता थे, वह सबको साथ लेकर चलते थे और सभी दलों का उन पर भरोसा था. लेकिन चिराग पासवान जिस डाल पर बैठते हैं उसी डाल को काटते हैं''-दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम
डॉ. राम सागर सिंह, भाजपा प्रवक्ता ''वन नेशन वन कार्ड को रामविलास पासवान ने लागू करवाया और उनकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर है. जहां तक मंत्रिमंडल में चिराग पासवान को शामिल किए जाने का सवाल है तो उस पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है''- डॉ. राम सागर सिंह, भाजपा प्रवक्ता
अशरफ अंसारी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, लोजपा ''लोक जनशक्ति पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा थी और हिस्सा है. हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नीतियों के साथ हैं .जहां तक मंत्रिमंडल का सवाल है तो उस पर अंतिम फैसला भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को करना है. किसी भी दल के विरोध किए जाने का कोई मतलब नहीं है''- अशरफ अंसारी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, लोजपा