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सुशासन में बेबस DGP- नीतीश के अधिकारियों पर लगाया षड्यंत्र का आरोप

नीतीश कुमार सुशासन के दावे करते हैं, लेकिन राज्य में बढ़ रही आपराधिक घटनाओं ने सुशासन की पोल खोलकर रख दी है. हर रोज हत्या, लूट, डकैती की घटनाएं दिनदहाड़े हो रही हैं और पुलिस हाथ पर हाथ रख कर बैठी है.

गुप्तेश्वर पांडेय, डीजीपी

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Published : Jun 24, 2019, 9:29 PM IST

पटना: बिहार में आपराधिक घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. राजधानी पटना भी महफूज नहीं है. हर रोज हत्या लूट और डकैती की घटनाएं हो रही हैं. इधर डीजीपी पूरी तरह बेबस नजर आ रहे हैं और पुलिस विभाग के कुछ अधिकारियों के खिलाफ वह षड्यंत्र का आरोप लगा रहे हैं.
गुप्तेश्वर पांडे का आरोप है कि
नीतीश कुमार के चहेते अधिकारी ही उनके खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं और उन्हें कमजोर करने की साजिश की जा रही है. फेसबुक के जरिए गुप्तेश्वर पांडे ने जहां अपनी व्यथा सुनाई वहीं अधिकारियों को भी चेतावनी दी.

पिछले DGP ने भी लगाया था आरोप
बता दें इसके पहले बिहार के पूर्व डीजीपी के.एस. द्विवेदी ने भी अपनी व्यथा पत्र के जरिए बताई थी. द्विवेदी ने कहा था कि पुलिस अधीक्षक मेरी बात नहीं मानते हैं. उन्होंने पत्र लिखकर तमाम अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि उनके आदेश का क्रियान्वयन किया जाए.

पटना से संवाददाता रंजीत कुमार की रिपोर्ट

'DGP को मिले फ्री हैंड'
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय ने कहा कि डीजीपी को फ्री हैंड मिलना चाहिए. डीजीपी अपने हिसाब से अधिकारियों की पोस्टिंग करा पाएं. अपने मुताबिक टीम बना पाएं तभी अपराध पर नियंत्रण हो पाएगा. उन्होंने कहा कि पुलिस मुख्यालय में बड़े पैमाने पर गुटबाजी है और राजनीतिक दल से जुड़े नेता अधिकारियों को संरक्षण भी देते हैं. ऐसे में डीजीपी के लिए स्वतंत्र होकर काम करना आसान नहीं है.

पूर्व DGP रामचंद्र खान की राय
वहीं पूर्व डीजीपी रामचंद्र खान ने बढ़ रहे अपराध पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि डीजीपी के पास पूरा अधिकार है कि वह अपने अधिकारियों को कंट्रोल करें. रामचंद्र खान ने सरकार को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों को शराबबंदी और वीवीआईपी सुरक्षा में लगा दिया जाता है. एक अधिकारी या नेता के इर्द-गिर्द दर्जनों पुलिसकर्मी होते हैं. तमाम पुलिसकर्मियों को गांव में सड़कों पर और शहर में होने चाहिए.

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