पटना:राजधानी पटना से सटे बिहटा के सिकंदरपुर के ईएसआईसी अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज का ईएसआईसी की डायरेक्टर जनरल अनुराधा प्रसाद ने निरीक्षण किया. निरीक्षण के उपरान्त उन्होंने चिकित्सकों एवं अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें आवश्यक निर्देश दिया और एक माह के भीतर अस्पताल को पूर्ण रूप से संचालित करने के लिए कहा. इसके अलावा उन्होंने मेडिकल कॉलेज के कैंपस के साथ-साथ कई अस्पताल के भवनों का भी निरीक्षण किया और चल रहे काम का भी जायजा लिया.
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मार्च से शुरू हो जाएगा अस्पताल
अस्पताल के निरीक्षण के उपरान्त उन्होंने कहा कि आगामी मार्च के अंत तक 330 बेड का अस्पताल और 100 सीट का मेडिकल कॉलेज पूर्ण रूप से संचालित हो जाएगा. जिसमें चिकित्सा शिक्षा के साथ-साथ इलाज के बेहतर प्रबंध होंगे. इस अस्पताल में अब पीएमसीएच की तरह जनरल मरीजों का भी जटिल से जटिल इलाज बिल्कुल मुफ्त में होगा. सुदूर इलाके के लोगों को परेशानी से निजात दिलाने के लिये पटना सहित अन्य जगहों से मुफ्त ट्रांसपोर्ट सुविधा भी बहाल होगी. मरीजों को आधुनिक सुविधाएं देने को लेकर चिकित्सकों स्टॉफ की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू है. करीब 150 चिकित्सक, 250 पैरामेडिकल स्टॉफ, 117 हाउस कीपिंग स्टॉफ की नियुक्ति कर ली गयी है.
आधुनिक सुविधा से किया गया है लैस
इस दौरान ईएसआईसी डीन डॉ. शौम्या चक्रवर्ती ने बताया की कोरोना महामारी के दरम्यान ईएसआईसी अस्पताल को कोविड-19 केयर अस्पताल में तब्दील कर दिया गया था. अब फिर से पूर्ण रूप से इसको आधुनिक सुविधा से लैस किया गया है. यह बिहार की जनता को फ्री सेवा देने के लिये तैयार है. हमारा प्रयास रहेगा कि हॉस्पिटल में न केवल उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो बल्कि चिकित्सा शिक्षा के लिए आने वाले विद्यार्थियों को भी अधिक से अधिक आधुनिक तकनीकी का लाभ मिल सके. इसी सत्र से ही विद्यार्थियों को मेडिकल कॉलेज आवंटित हो जाएगा और बिहार सहित देश के कोने-कोने से विद्यार्थी बिहटा के ईएसआईसी में चिकित्सा शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे.
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कोरोना काल में बनाया गया था कोविड केयर अस्पताल
गौरतलब हो कि बिहटा स्थित ईएसआईसी अस्पताल को 500 बेड का अस्पताल बनाया गया था, जिसमें मेडिकल कॉलेज भी है. हालांकि कुछ कमियों के कारण अस्पताल पूरी तरह संचालित नहीं हो पाया था. कोविड-19 में भारत सरकार के डीआरडीओ विभाग ने इस अस्पताल को कोविड केयर अस्पताल के रूप में तब्दील कर दिया था. अब कोविड केयर बंद होने के बाद इसे ईएसआईसी विभाग ने पूरी तरह से चालू करने का निर्णय लिया है. अब ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बड़ी बीमारी के लिए पटना पीएमसीएच का चक्कर नहीं लगाना होगा. इसमें अब इमरजेंसी केस भी देखे जाएंगे और एक साल तक सभी का इलाज मुफ्त में किया जाएगा.