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पटना: कार्तिक की षष्ठी पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, गंगा स्नान के बाद की पूजा-अर्चना

उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान का इस महीने काफी महत्व होता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है. जो आषाढ़ महीने के अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक की पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है.

पूजा-अर्चना

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Published : Oct 19, 2019, 9:09 AM IST

पटना: शरद पूर्णिमा के समाप्त होते ही कल्पवास मेला की शुरुआत हो गई है. जिसे कार्तिक स्नान कहा जाता है. कार्तिक महीने के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक महिलाएं गंगा स्नान और पूजा-पाठ में लीन हो जाती है.

धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार 12 महीनों में कार्तिक महीने को सबसे पवित्र महीना माना जाता है. क्योंकि इस महीने में सारे देवी देवताओं का पृथ्वी पर पदार्पण होता है. इस महीने में लक्ष्मी पूजा, छठ पूजा, सूर्य पूजा, विष्णु पूजा जैसे उत्सव मनाए जाते है, इसलिए इस महीने को त्यौहार का महीना भी कहा जाता है.

घाट पर उमड़ी भक्तों की भीड़

श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
कार्तिक महीने के षष्ठी के दिन शनिवार को श्रद्धालुओं की भीड़ सभी घाटों पर उमड़ पड़ी है. सुबह-सुबह दूर-दूर से महिलाएं आकर अलखनाथ घाट में गंगा स्नान कर पूजा करती हैं और अपने परिवार के लिए सुख और समृद्धि की कामना करती हैं. वहीं, स्थानीय लोगों ने घाटों पर पूजा-पाठ, श्रृंगार सहित कई तरह के दुकानें लगाई है.

श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर की पूजा-अर्चना

गंगा स्नान का है काफी महत्व
वहीं, अलखनाथ घाट पर भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया है. जैसे-जैसे कार्तिक महीने के दिन बीत रहे और छठ नजदीक आ रहा है. वैसे पूरा माहौल भक्तिमय होता जा रहा है. उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान का इस महीने काफी महत्व होता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है. जो आषाढ़ महीने का अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक की पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है.

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