पटना: आश्विन पूर्णिमा को लेकर बाढ़ अनुमंडल के विभिन्न गंगा घाटों पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. श्रद्धालु के गंगा स्नान, पूजा पाठ और जयकारे से पूरा इलाका भक्तिमय हो गया. हिन्दू शास्त्र और विद्वानों के अनुसार आश्विन पूर्णिमा का दिन वर्षा ऋतु के समाप्त होने पर मनाया जाता है. वहीं, अगले दिन से कार्तिक पूर्णिमा शुरू हो जाती है. इसी कारण हिंदू धर्म में आश्विन पूर्णिमा काफी महत्व है.
हिंदू धर्म में आश्विन पूर्णिमा काफी महत्व
वहीं, सोमवार से कार्तिक का प्रारंभ होगा. कार्तिक मास में ही दीपावली और छठ पूजा की जाती है. आश्विन पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने के बाद महिलाओं ने मंदिर और गंगा में पूजा-अर्चना की. इस दौरान स्थानीय लोगों की ओर से गंगा घाटों पर फल, फूल और पूजा सामग्री सहित श्रृंगार की दुकानें लगाई गईं.
गंगा घाटों पर पूजा सामग्री की लगाई गई दुकान भजन कीर्तन का होता है आयोजन
बताया जाता है कि कार्तिक महीने में महिलाएं लहसुन प्याज, मांस, मछली कुछ नहीं खाती है. क्योंकि इस महीना में लोक आस्था का छठ महापर्व और दीपावली है. आश्विन पूर्णिमा से कार्तिक महीने तक मंदिरों में भजन कीर्तन और कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.
आश्विन पूर्णिमा पर गंगा स्नान का आयोजन चंद्रमा से होती है अमृत वर्षा
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि आश्विन पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है. इसलिए आश्विन पूर्णिमा की रात्रि में लोग खीर बनाकर रात्रि में खुले आसमान के नीचे रख देते हैं और ठंडा होने पर इसे प्रसाद के रूप मे ग्रहण करते हैं. बताया जाता है कि इस खीर को खाने से पेट की सारी बीमारी दूर होती है. लोगों का मानना है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि जो मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं, उसे धन्य-धान्य की कभी कमी नहीं होती है.