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बैकुंठ चतुर्दशी के स्नान को लेकर घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, इस दिन की है खास मान्यता

​​​​​​​बैकुंठ चतुर्दशी में महिलाएं घर की आकृति बनाकर पूजा करती हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां पर जो भी आकृति बनाकर घर बनाए गए हैं. बैकुंठ में भी ऐसे ही घर मिलेंगे.

घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़

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Published : Nov 11, 2019, 10:10 AM IST

पटनाःबाढ़ के अलखनाथ घाट पर बैकुंठ चतुर्दशी के मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. बैकुंठ चतुर्दशी को लेकर दूर-दूर से श्रद्धालु घाट पर पहुंचकर गंगा स्नान कर पूजा पाठ कर रहे हैं. पूजा का समय 8:29 बजे तक होने के कारण अहले सुबह से ही लोगों की भीड़ घाट पर जमा हो गई थी.

घर की आकृति बनाकर पूजा करती हैं महिलाएं
बैकुंठ चतुर्दशी में महिलाएं घर की आकृति बनाकर पूजा करती हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां पर जो भी आकृति बनाकर घर बनाए गए हैं, बैकुंठ में भी ऐसे ही घर मिलेंगे. आज महिलाएं तुलसी पूजन करती हैं, जिससे विशेष लाभ मिलने की मान्यता है. कहा जाता है कि कार्तिक मास बैकुंठ चतुर्दशी को तुलसी पूजन करने से सुख समृद्धि और विजय की प्राप्ति होती है.

पूजा-अर्चना करते श्रद्धालु

शाम को गंगा नदी में दिया दान करने की है प्रथा
वहीं, कई महिलाएं आज दान पुण्य करती हैं. बैकुंठ चतुर्दशी की शाम को गंगा नदी में दिया दान करने की प्रथा है. यहां सुबह से ही गंगा स्नान करने के लिए महिलाओं की भीड़ अलखनाथ घाट, उमानाथ घाट और बाढ़ के विभिन्न घाटों में उमड़ पड़ी है. महिलाएं स्नान कर पूजा पाठ कर अपने परिवार के सुख समृद्धि की कामना कर रहीं है. कई महिलाएं लगातार एक महीने तक गंगा स्नान कर पूजा पाठ करती हैं.

घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़

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इस महीने में देवी देवताओं का पृथ्वी पर होता है पदार्पण
बता दें कि शरद पूर्णिमा की समाप्ति होते ही कल्पवास मेले की शुरुआत हो जाती है, जिसे कार्तिक स्नान भी कहा जाता है. कार्तिक माह के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक अनवरत गंगा स्नान और पूजा-पाठ का दौर शुरू हो जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 12 माह में कार्तिक माह को सबसे पवित्र महीना माना जाता है. क्योंकि इस महीने में सारे देवी देवताओं का पृथ्वी पर पदार्पण हो जाता है.

पूजा-अर्चना करते श्रद्धालु और जानकारी देते पुजारी

गंगा स्नान का इस महीने में काफी है महत्व
उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान का इस महीने में इतना महत्व है कि लोग 1 महीने के लिए बनारस सिमरिया, बाढ़ के उमा नाथधाम, अलखनाथ धाम चले आते हैं. 1 महीने तक लगातार गंगा स्नान पूजा पाठ करते हैं. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है. जो आषाढ़ महीने का अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक की पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है.

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