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बिहार की सियासत में 3 दशकों से रहा है 'लालू एंड फैमली' का दबदबा, पढ़ें परिवार की विधानसभा सीटों का हाल

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Published : Sep 30, 2020, 3:40 PM IST

Updated : Oct 1, 2020, 10:31 AM IST

चुनावी साल में बिहार में सियासत गरमाई हुई है. सत्तापक्ष जहां आरजेडी को वंशवाद को बढ़ावा देने वाली पार्टी मानता है वहीं आरजेडी की ओर से भी लगातार निशाना साधा जा रहा है.

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पटना:बिहार की सियासत में पिछले तीन दशकों से लालू एंड फैमिली का दबदबा रहा है. बिहार की सबसे वीआईपी सीटों में छपरा और राघोपुर का नाम शामिल है. छपरा से लालू यादव चुनाव लड़ते रहे हैं जबकि राघोपुर सीट से पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उसके बाद अब तेजस्वी यादव विधायक बने. एक बार फिर छपरा और राघोपुर क्षेत्र पर सबका ध्यान है. इधर लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप ने पिछली बार महुआ से चुनाव लड़ा था. लेकिन इस बार उनका विधानसभा क्षेत्र समस्तीपुर का ताजपुर हो सकता है.

लालू परिवार से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा सीट की अगर बात करें तो यह छपरा विधानसभा सीट है जो लालू यादव और उनके परिवार का गढ़ माना जाता है. लेकिन पिछले 5 चुनाव की बात करें तो राजद को सिर्फ 2014 के उपचुनाव में जीत मिली थी जबकि भाजपा और जदयू दो-दो बार इस सीट पर जीत हासिल कर चुके हैं.

आरजेडी का पोस्टर

अब तक का समीकरण
साल 2010 विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार जनार्दन सिंह सिग्रीवाल विधायक बने थे. बाद में 2014 में हुए लोकसभा चुनाव लड़कर सिग्रीवाल महाराजगंज से सांसद चुने गए. उनके जाने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ तो उसमें राजद को जीत मिली. लेकिन 2015 में विधानसभा चुनाव में इस सीट पर फिर से भाजपा का कब्जा हो गया.

देखें रिपोर्ट.

2015 में बीजेपी की जीत
वहीं, 2015 में भाजपा प्रत्याशी सी एन गुप्ता ने राजद के उम्मीदवार रणधीर सिंह को 11000 वोटों से हराया था. पिछले चुनाव में छपरा विधानसभा सीट पर 51.87 फीसदी वोटिंग हुई थी. जिसमें से बीजेपी को सबसे ज्यादा 45 फीसदी वोट मिले थे. जबकि राजद को महज 38 फीसदी वोट मिले थे.

'राघोपुर का रण'
लालू यादव के लिए दूसरी महत्वपूर्ण विधानसभा सीट राघोपुर है. वैशाली जिले की राघोपुर विधानसभा 1995 में चर्चा में आई थी जब तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने इसे अपने क्षेत्र चुन लिया था. लालू यादव के लिए यह सीट भोला राय ने छोड़ी थी जो अब हाल ही में जदयू में शामिल हो गए हैं. पहली बार 1995 में जनता दल के टिकट पर लालू यादव राघोपुर से चुनाव लड़े थे. जिसमें उन्हें जीत मिली थी.

लालू के बाद राबड़ी ने किया नेतृत्व
1997 में चारा घोटाला मामले में लालू के जेल जाने पर राबड़ी देवी जब मुख्यमंत्री बनी तो 2010 तक उन्होंने ही इस इलाके का प्रतिनिधित्व किया. 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू के सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को हरा दिया था. लेकिन वर्ष 2015 में लालू ने अपने छोटे बेटे तेजस्वी को राघोपुर से लांच किया और तेजस्वी ने यहां बड़ी जीत हासिल की. एक बार फिर तेजस्वी यादव इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने को तैयार हैं. लेकिन यहां से लगातार तीन बार विधायक रहे भोला राय के जदयू में शामिल होने से इस बार मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

राबड़ी देवी (फाइल फोटो)

2015 से अलग हैं इस बार हालात
राघोपुर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो इस बार परिस्थितियां बिल्कुल विपरीत हैं. पिछली बार जदयू और राजद ने मिलकर चुनाव लड़ा था. लेकिन इस बार दोनों अलग-अलग हैं और ऐसे में हाई प्रोफाइल शीट होने के कारण तेजस्वी यादव का मुकाबला एनडीए के किसी तगड़े उम्मीदवार से हो सकता है. वर्ष 2015 विधानसभा चुनाव की बात करें तो तेजस्वी यादव ने अपना पहला चुनाव लड़ा और इसमें उन्होंने बीजेपी के सतीश कुमार को 23 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था.

तेजस्वी यादव (सोशल मीडिया)

महुआ सीट पर मुकाबला दिलचस्प
वैशाली में एक और महत्वपूर्ण सीट महुआ विधानसभा सीट है. जिस पर एक बार फिर दिलचस्प मुकाबला होने की पूरी उम्मीद है. हालांकि इस बार लालू के बेटे तेज प्रताप महुआ की बजाय समस्तीपुर के हसनपुर से ताल ठोकने का दावा कर रहे हैं. 2015 में पहला चुनाव लड़ने वाले तेज प्रताप यादव ने हम के रविंद्र राय को करीब 28000 वोटों से हराया था. वर्ष 2005 में दो बार चुनाव हुए थे और दोनों बार राजद के शिवचंद्र राम ने यहां से जीत हासिल की थी. हालांकि 2010 के चुनाव में जदयू के रविंद्र राय को जीत मिली थी. सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय जनता दल एक बार फिर शिवचंद्र राम को महुआ से उम्मीदवार बना सकता है जबकि तेज प्रताप यादव समस्तीपुर के हसनपुर से राजद के उम्मीदवार हो सकते हैं.

Last Updated : Oct 1, 2020, 10:31 AM IST

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