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58 दिन बाद RJD ऑफिस पहुंचे जगदानंद सिंह: तेजस्वी यादव बोले- 'आप लोग उन्हें पहचानते नहीं'

RJD Leader Jagdanand Singh : दो अक्टूबर के बाद आखिरकार मंगलवार को आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पार्टी दफ्तर पहुंचे. इसी के साथ तमाम सियासी चर्चा पर विराम लग गया. पढ़े पूरी खबर

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Published : Nov 29, 2022, 5:11 PM IST

Updated : Nov 29, 2022, 6:07 PM IST

tejashwi yadav Etv Bharat
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पटना :आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह 58 दिन बाद मंगलवार को प्रदेश कार्यालय पहुंचे (jagdanand singh reached rjd office) हैं. इस दौरान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (deputy cm tejashwi yadav) भी उनके साथ थे. जगदानंद सिंह को तेजस्वी यादव खुद अपने गाड़ी में लेकर आरजेडी दफ्तर पहुंचे. बता दें कि जगदानंद सिंह ने लालू यादव के सिंगापुर जाने से पहले दिल्ली में उनसे मुलाकात की थी. इससे पहले उनके नाराज होने की खबरें सामने आ रही थी.

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उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का बयान.

''आपलोग जगदानंद सिंह को पहचानते ही नहीं है. आप लोग जैसा सोच रहे थे, वैसे कोई बात नहीं है. यहां कोई नाराजगी वाली बात ही नहीं थी, ऐसे में इस पर क्या बहस किया जाए. आप जानते हैं कि पार्टी कार्यक्रम में दो मंत्री लोगों की समस्या सुनते है, वही देखने मैं यहां आया हूं.'' - तेजस्वी यादव, उप मुख्यमंत्री, बिहार

'कुढ़नी में महागठबंधन की जीत तय' :तेजस्वी यादव ने कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव को लेकर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि कल हम लोग विधानसभा के उपचुनाव के चुनाव प्रचार में जा रहे हैं. कुढ़नी में कल सभा करेंगे, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जी हमारे साथ रहेंगे. कुढ़नी में जेडीयू उम्मीदवार को महागठबंधन के सभी लोग समर्थन कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन की जीत हो. इस उपचुनाव में निश्चित तौर पर महागठबंधन के उम्मीदवार का ही जीत होगी.

जब तेजस्वी ने थामा जगदा बाबू का हाथ : बता दें कि पार्टी कार्यालय में प्रवेश करते समय तेजस्वी जगदानंद सिंह का हाथ थामे हुए थे, दिलचस्प बात यह रही कि राजद प्रदेश अध्यक्ष तेजस्वी की कार से पहुंचे. जगदानंद ने अपना पुराना अंदाज दिखाते हुए सुरक्षा गार्डों से कहा कि किसी को भी चेंबर में जाने नहीं दिया जाए. तेजस्वी और जगदानंद दोनों चेंबर में दाखिल हुए. कुछ मिनटों के बाद जगदानंद सिंह चैंबर से बाहर आए और कार्यालय के चारों ओर घूमने लगे, जहां मीडिया कर्मियों ने उनसे बात करने की कोशिश की. हालांकि, जगदानंद ने कहा कि उनके पास अभी बहुत काम है और किसी से बात नहीं कर सकते.

आखिर क्यों नाराज थे जगदा बाबू? : पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता जगदानंद काफी दिनों से नाराज थे. उनके बेटे सुधाकर सिंह को अपने विभाग में लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप के बाद कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. जगदानंद सिंह के गुस्से का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक महीने पहले दिल्ली में हुए राजद के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी वे शामिल नहीं हुए थे. जगदानंद सिंह रोजाना पार्टी कार्यालय में बैठते थे, लेकिन जब से उनके बेटे के इस्तीफे की घटना हुई थी, तब से उन्होंने एक महीने से अधिक समय तक पार्टी कार्यालय में बैठना बंद कर दिया था.

जगदा बाबू से लालू ने क्या कहा था ? : पिछले 58 दिनों से बिहार के राजनीतिक गलियारे में जगदानंद को लेकर पार्टी से इस्तीफा देने और लालू यादव ने नया प्रदेश अध्यक्ष चुनने समेत कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थी. हालाकि, तस्वीर तब साफ हो गई जब जगदानंद सिंह दिल्ली में लालू यादव से मिले थे. राजद के सूत्रों ने कहा कि यह लालू ने जगदानंद को पार्टी कार्यालय में काम फिर से शुरू करने और अतीत में जो हुआ उसे भूल जाने का अनुरोध किया था. लालू से मुलाकात के दौरान डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी मौजूद थे.

लालू के भरोसेमंद 'जगदा बाबू' : लालू यह निर्णय लेने के लिए बाध्य थे, क्योंकि पार्टी नेतृत्व विशेष रूप से रघुवंश प्रसाद सिंह प्रकरण के बाद जगदानंद को खोने का जोखिम नहीं उठा सकता थी. लालू यादव जब अपने शिखर पर थे तब से वो लालू के सबसे करीबी नेता माने जाते रहे है. इस बात का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है की जब लालू यादव चारा घोटाला में जेल जा रहे है तब उन्होंने जगदा बाबू को ही कहा था की वो राबड़ी देवी को उनके फैसले को लेकर गाइड करते रहेंगे.

जगदानंद सिंह RJD के लिए जरूरी और मजबूरी? : राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ संजय कुमार ने बताया कि क्यों जगदानंद सिंह आरजेडी के लिए जरूरी और मजबूरी भी हैं और पार्टी उन्हें खोने का जोखिम नहीं उठा सकती. "राजद में जगदानंद एक बड़ा चेहरा हैं और तेजस्वी हमेशा ए टू जेड की बात करते हैं और इसे वास्तविकता में भी प्रतिबिंबित होना चाहिए. रघुवंश बाबू और जगदानंद ने राजद के साथ जिस तरह की वफादारी दिखाई है, वह अभूतपूर्व है. पार्टी पहले ही रघुवंश बाबू को खो चुकी है और राजद राजपूत समुदाय के दूसरे बड़े चेहरे को खोने का जोखिम नहीं उठा सकता है. राजद को यह आशंका है कि अगर पार्टी जगदानंद को छोड़ देती है तो सवर्ण जाति के मतदाताओं का एक बड़ा नाराज़ हो जाएगा.''

''जगदा बाबू राजद की जरूरत हैं और मजबूरी भी है क्योंकि राजद केवल कागज पर नहीं बल्कि हकीकत में भी ए टू जेड वाली पार्टी बनना चाहती है. एक तरफ तेजस्वी के रूप में युवा चेहरा और दूसरी ओर जगदा बाबू के रूप में वरिष्ठों का मार्गदर्शन. इससे राजद के वोटरों में बड़ा अच्छा संदेश जाएगा.'' - डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विशेषज्ञ


Last Updated : Nov 29, 2022, 6:07 PM IST

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