पटना: बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) ने बिहार को विशेष राज्य को दर्जा दिलाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि अगर बिहार को ये स्पेशल स्टेटस मिल जाता है तो बिहार अगले दो सालों में देश के टॉप-5 राज्यों में शुमार हो जाएगा. तेजस्वी यादव ने कहा कि 15वीं अनुशंसा के आधार पर बिहार के 38 हेडक्वार्टर के हिसाब से 7 करोड़ 35 लाख रुपए मिल रहा है. ऐसे में बिहार का इससे कितना विकास होगा. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार मदद करे और बिहार को स्पेशल स्टेटस दे दे तो बिहार अगले दो साल में टॉप पांच राज्यों में पहुंच जाएगा. वैसे ही इन्फ्रास्ट्रक्टर के मामले में बिहार लीडिंग स्टेट है.
ये भी पढ़ें- तेजस्वी ने सुशील मोदी के बयान को बताया फालतू, कहा- उनकी बात का हम जवाब नहीं देते
''15 वीं अनुशंसा जो आई है उसमें हमारा 38 हेडक्वार्टर है, तो उसमें मात्र 7 करोड़ 35 लाख में बिहार को मिला है. इसमें बिहार का कहां कुछ होने वाला है. इन्फ्रास्ट्रक्चर में बिहार लीडिंग स्टेट है. केंद्र का सहयोग मिल जाए, बिहार को अगर विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए तो बिहार टॉप-5 राज्यों में पहुंच जाएगा''- तेजस्वी यादव, डिप्टी सीएम, बिहार
भेदभाव कर रहा केंद्र: तेजस्वी यादव ने कहा कि सच्चाई यह है कि बिहार के विकास के लिए केंद्रीय सहायता जो मिलनी चाहिए वह हमें नहीं मिल रही है. बावजूद इसके बिहार में विकास का काम तेजी से हो रहा है. आपको बता दें कि इससे पहले भी महागठबंधन सरकार के कई मंत्री ने केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया था और अब उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने खुलकर केंद्र सरकार पर सहायता राशि को लेकर भेदभाव करने का आरोप लगाया है.
किस राज्य को मिलता है विशेष का दर्जा? : बिहार के अलावे उड़ीसा और आंध्र प्रदेश सहित कुछ और राज्य लंबे समय से विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते रहे हैं लेकिन 14 वें वित्त आयोग ने विशेष राज्य के दर्जे को लेकर जो मापदंड में बदलाव किया उसके कारण अब राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिलना संभव नहीं है. अभी उन्हें ही विशेष राज्य का दर्जा मिल सकता है जिन राज्यों का दुर्गम क्षेत्रों वाला पर्वतीय भू-भाग हो. राज्य की कोई भी सीमा अगर अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगती हो तो उसे भी विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हो सकता है. राज्य की प्रति व्यक्ति आय और गैर कर राजस्व कम होने पर मिल सकता है. राज्य में आधारभूत ढांचा नहीं होने या पर्याप्त नहीं होने पर, राज्य की जनजातीय जनसंख्या की बहुलता हो अथवा जनसंख्या घनत्व बेहद कम होने पर, राज्य का पिछड़ापन, विकट भौगोलिक परिस्थितियां और सामाजिक समस्याएं भी विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का आधार है.
बिहार अहर्ताओं को नहीं करता पूरा: बिहार इन मापदंडों को पूरा नहीं कर पा रहा है. इसी कारण बिहार जैसे राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा हालांकि केंद्र सरकार ने 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के बाद राज्यों को दी जाने वाली राजस्व 32% से बढ़ाकर 42% कर दिया है. लेकिन बिहार में बाढ़ से हर साल हजारों करोड़ का नुकसान होता है. रोजगार नहीं होने के कारण लाखों लोग पलायन करते हैं और यह सब बड़ी समस्या है. बिहार में जनसंख्या घनत्व भी बहुत अधिक है और बिहार लंबे समय से पिछड़ा राज्य भी रहा है.
विशेष राज्य के मापदंड में बदलाव:एक समय लालू प्रसाद यादव भी केंद्र में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका में थे. उसके बावजूद बिहार को उस समय उन्होंने विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिलाया. नीतीश कुमार भी अटल बिहारी वाजपेई के सरकार में रेल मंत्री सहित कई मंत्रालय में रहे लेकिन उस समय भी उन्होंने प्रयास नहीं किया. राजनीतिक सियासत के कारण बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल पाया. अब जब मापदंड में बदलाव हुआ है तो ऐसे में विशेष राज्य के दर्जे को लेकर नई सियासत शुरू हुई है.
10 राज्य को विशेष दर्जा: बिहार के अलावा उड़ीसा, राजस्थान, गोवा और आंध्र प्रदेश विशेष राज्य के दर्जे की मांग लंबे समय से कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार ने विशेष राज्य के दर्जे के लिए जो बदलाव किए हैं, उसमें ये राज्य फिट नहीं बैठ रहे हैं. अभी देश में 29 राज्यों में से 10 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है. जम्मू कश्मीर को पहले विशेष राज्य का दर्जा मिला था. असम, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और उत्तराखंड शामिल हैं. जदयू की यह पुरानी मांग है अब एनडीए से अलग होकर नीतीश 2024 को लेकर इसे बड़ा मुद्दा बना रहे हैं. इसीलिए पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा केंद्र में सरकार बनने के बाद देने का पासा भी फेंका है.