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समग्र संस्कृत विकास समिति की सरकार से मांग, वर्ग दसवीं तक संस्कृत की शिक्षा को अनिवार्य करें - ईटीवी भारत न्यूज

Samagra Sanskrit Vikash Samiti Patna की ओर से वार्षिक महोत्सव पर सम्मान समारोह मनाया गया. इस समारोह में बीजेपी नेता सह विधानपार्षद नवल किशोर यादव ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. इस सम्मान समारोह का एक ही विचार है कि सरकार के द्वारा संस्कृत को आवश्यक श्रेणी में दर्ज कर दसवीं तक पेपर के रुप में पढ़ा जाये. पढ़ें पूरी खबर.

संस्कृत की शिक्षा
संस्कृत की शिक्षा

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Published : Aug 29, 2022, 2:33 PM IST

पटना:रविवार को पटना स्थित सिंहा लाइब्रेरी रोड पर बीआईए सभागार में समग्र संस्कृत विकास समिति के वार्षिक सम्मान समारोह का आयोजन (Annual Ceremony Vikas Samiti In Patna) किया गया. जिसमें चाणक्य के विचारों का दार्शनिक अध्ययन के विषय में सेमिनार भी किया गया.

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संस्कृत को विकसित किया जाये: कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बीजेपी नेता सह बिहार विधान परिषद सदस्य डॉ नवल किशोर यादव मौजूद रहे और इस कार्यक्रम में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल भाषा ही नहीं है बल्कि संस्कृत एक संस्कार भी है. इस विषय के साथ हमारे देश भारत की संस्कृति बसती है. इसलिए हमें संस्कृत भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है. इस भाषा के साथ ही प्रचार प्रसार भी मजबूती से होनी चाहिए.

डॉ मिथिलेश ने बताया 'संस्कृत विषय जीवन का आधार': पटना में आयोजित समग्र संस्कृत विकास समिति के संयोजक डॉ मिथिलेश कुमार तिवारी (Dr Mithilesh Kumar Tiwary) ने कहा कि संस्कृत भाषा का ज्ञान जीवन में बहुत जरुरी है. यदि किसी को भारत की संस्कृति समझनी है तो उसे भारत का वैदिक संस्कृति समझना होगा. भारत के वेद और उपनिषद पढ़ने होंगे. इसके लिए संस्कृत भाषा का बेहतर ज्ञान होना बेहद जरुरी है. संस्कृत भाषा का बेहतर ज्ञान हर एक व्यक्ति तक पहुंचे, इसके लिए जरुरी है कि सरकार दसवीं तक के शिक्षा में संस्कृत भाषा को अनिवार्य विषय बनाये और इसके बाद छात्र चाहे भोजपुरी पढ़ें, हिंदी पढ़ें, या फिर अन्य भाषा पढ़ें.उन्होंने आगे कहा कि बीते कुछ वर्षों से संस्कृत भाषा अपने यहां सरकारी उपेक्षा का शिकार हो रहा है.

संस्कृत विषय बेहद उपयोगी: संयोजक मिथिलेश तिवारी ने आगे कहा कि 'संस्कृत भाषा ही नहीं बल्कि एक संस्कृति है' जो संस्कार विकसित करती है इसलिए बच्चों को संस्कृत का ज्ञान होना बेहद जरूरी है. पत्रकारों से मुखातिब होते हुए संयोजक मिथिलेश तिवारी ने बताया कि पहले संस्कृत भाषा में मध्यमा करने के बाद टीचर ट्रेनिंग नहीं करना पड़ता था. अगर कोई व्यक्ति अचार्य कर लेता था तो उसे बीएड नहीं करना पड़ता था. लेकिन अब यह सब नियम हटा दिया गया है.

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सरकार संस्कृत के प्रति उदासीन: सरकार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के प्रति भी उदासीन रवैया अपना रही है और संस्कृत के उत्थान और इसके प्रचार प्रसार के लिए कुछ नहीं कर रही. उन्होंने कहा कि 'बिहार संस्कार संस्कृति और संस्कृत के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध रहा है' और यहां से चमक के जैसा पंडित भी मिला है. ऐसे में हमें संस्कृत की रक्षा करनी होगी क्योंकि संस्कृत की रक्षा से सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा होगी और यह राष्ट्रीय प्रगति का आधार बनेगा.



'संस्कृत भाषा का ज्ञान जीवन में बहुत जरूरी है. यदि किसी को भारत की संस्कृति समझनी है, तो उसे भारत का वैदिक संस्कृति समझना होगा. भारत के वेद और उपनिषद पढ़ने होंगे और इसके लिए संस्कृत भाषा का बेहतर ज्ञान होना बेहद जरूरी है. संस्कृत भाषा का बेहतर ज्ञान सभी को मिले इसके लिए जरूरी है कि सरकार दसवीं तक के शिक्षा में संस्कृत भाषा को अनिवार्य विषय कर दें'-डॉ मिथलेश तिवारी, संयोजक, समग्र संस्कृत विकास समिति

'संस्कृत केवल एक भाषा ही नहीं है बल्कि संस्कृत एक संस्कार है. संस्कृत में भारत की संस्कृति बसती है ऐसे में हमें संस्कृत भाषा का अच्छा ज्ञान होना चाहिए और संस्कृत भाषा के ज्ञान का प्रचार प्रसार भी मजबूती से होनी चाहिए'.- डॉ नवल किशोर यादव, बिहार विधान परिषदसदस्य

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