पटना : बिहार में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद बिहार सरकार ने आर्थिक सर्वे रिपोर्ट भी प्रकाशित कर दी. उसके बाद इस आधार पर आरक्षण की सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया गया. दोनों सदनों से सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजे गए. सरकार नेआरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75%कर दिया और प्रस्ताव को केंद्र के पास भेजा गया बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि आरक्षण पर राज्य सरकार द्वारा लिए गए फैसले को संविधान की नौवीं अनुसूची में डाला जाए.
आरक्षण को नौवीं अनुसूची में डालने की मांग : आपको बता दें कि शीतकालीन सत्र के दौरान 9 नवंबर को दोनों सदनों में आरक्षण की सीमा 75% बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. राज्यपाल ने भी रिजर्वेशन बिल 2023 पर मुहर लगा दी. बिहार सरकार ने प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया और मामले को नौवीं अनुसूची में डालने का अनुरोध किया. महागठबंधन नेताओं का मानना है कि आरक्षण के मामले को अगर नौवीं अनुसूची में डाल दिया जाएगी तो इसे कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी. इसी सोच के साथ 22 नवंबर को कैबिनेट ने प्रस्ताव पारित किया.
'आरक्षण देना नहीं चाहती बीजेपी' : प्रस्ताव के जरिए केंद्र से अनुरोध किया गया कि आरक्षण बनाए जाने के फैसले को नौवीं अनुसूची में शामिल कर लिया जाए. राष्ट्रीय जनता दल ने आरक्षण के मसले पर भाजपा पर हमला बोला पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि "भारतीय जनता पार्टी आरक्षण देना नहीं चाहती है. इतने दिन हो गए लेकिन आरक्षण के मसले को नौवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया. महागठबंधन सरकार ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने का ऐतिहासिक फैसला लिया और राज्य के अंदर ईडब्ल्यूएस के लिए भी आरक्षण का प्रावधान किया गया."