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मकर संक्रांति 2022: बिहटा और बिक्रम के तिलकुट बाजारों में दिख रहा कोरोना का असर, दुकानदार निराश

मकर संक्रांति के पर्व ( Makar sankranti 2022 ) के दौरान बाजारों में गुड़, तिल और तिलकुट की सौंधी खुशबू बढ़ती जाती है. इस बार भी हर तरफ सड़क किनारे तिलकुट, लाई, चूड़ा और तिल की दुकानें सज गई हैं. पटना में भी तिलकुट मार्केट सजकर तैयार है लेकिन इस बार भी कोरोना महामारी का असर तिलकुट के कारोबार (Effect of corona on Tilkut) पर साफ देखने को मिल रहा है.

Effect of corona on Tilkut
Effect of corona on Tilkut

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Published : Jan 12, 2022, 4:07 PM IST

पटना: जैसे-जैसे मकर संक्रांति का पर्व करीब आ रहा है, वैसे-वैसे बाजारों में गुड़, तिल और तिलकुट की सौंधी खुशबू बढ़ती जा रही है. हर तरफ सड़क किनारे तिलकुट, लाई, चूड़ा और तिल की दुकानें सज गई हैं. लेकिन मकर सक्रांति को लेकर बिहटा एवं बिक्रम ( Patna Tilkut Market For Makar Sakranti ) के तिलकुट बाजारों में कोरोना का असर साफ दिखा. महामारी के डर के कारण दुकानों पर पहले की तरह रौनक (demand for tilkut is less due to corona in patna) नहीं दिख रही है.

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राजधानी पटना से सटे बिहटा एवं बिक्रम के बाजारों की रौनक पर कोरोना का काला साया छा गया है. तीसरी लहर के तेजी से फैलने के कारण लोग बाजारों से दूरी बना रहे हैं, जिसका सीधा असर तिलकुट के बाजारों पर पड़ने लगा है. दुकानदारों का कहना है कि,उम्मीद थी कि इस बार कारोबार अच्छा होगा. शुरुआती दौर में बिजनेस हुआ भी लेकिन अब पटना में बढ़ते संक्रमण के कारण बाजारों की रौनक फीकी पड़ रही है.

कोरोना महामारी का तिलकुट कारोबार पर असर

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मकर संक्रांति को लेकर हर तरफ तिलकुट, गुड़, काला तिल और अन्य सामग्री से पूरी तरह बाजार से सज चुका है. विशेष मिष्ठान के रूप में तिलकुट की एक अलग पहचान होती है, सर्द मौसम आते ही इसकी मांग और बढ़ जाती है. खासकर मकर सक्रांति के दिन इसका काफी बड़ा महत्व होता है. यही कारण है कि कई दिनों से दुकानदार इसकी तैयारी करते हैं. तिलकुट बनाने के लिए कारीगर भी बाहर से मंगवाए जाते हैं.

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कोरोना के पहले और दूसरे लहर में दुकानदारों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. तीसरे लहर में भी तिलकुट का कारोबार अच्छा नहीं हो पा रहा है. दुकानदारों को इस बार अच्छ कारोबार होने के पूरी उम्मीद थी लेकिन कोरोना ने पानी फेर दिया है. तीसरी लहर के आने के बाद बाजारों में पहले की तरह रौनक नहीं दिख रही है.

तिलकुट के व्यापारी और कारीगर तिलकुट बनाने में लगे हुए हैं ,इसके बावजूद भी पहले की तरह दुकानों पर भीड़ नहीं देखी जा रही है. कारीगर बताते हैं कि, हर साल जनवरी माह में तिलकुट बनाने के लिए अपने घर को छोड़कर दूसरे जिले और राज्य में जाते हैं. लेकिन इन तीन सालों में कोरोना के कारण हमारे भी परिवार को काफी परेशानी हुई. इस साल उम्मीद थी कि, काम अच्छा होगा लेकिन तीसरी लहर ने भी तिलकुट के बाजारों पर असर दिखाना शुरू कर दिया है.

तो वहीं दूसरी ओर ग्राहकों को लुभाने के लिए तिलकुट व्यापारी लोगों को नए नए तरह के स्कीम दे रहे हैं. जैसे बिक्रम के तिलकुट बाजार में दुकानदार लोग एक किलो के तिलकुट पर मास्क फ्री दे रहे हैं ताकि ग्राहकों को भी इस महामारी से बचाया जा सके और दोबारा से दुकान पर खरीदारी करने पहुंच सके. फिलहाल दुकानों पर खरीदार तो आ रहे हैं लेकिन यह तिलकुट कारोबारियों की उम्मीद से काफी कम है.

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वहीं तिलकुट के व्यापारी जीतू कुमार बताते हैं कि, पिछले दो सालों से कोरोना के कारण तिलकुट का बाजार काफी प्रभावित हुआ है. इस साल भी तीसरी लहर को लेकर व्यापारी लोग काफी डरे हैं और इस साल भी तिलकुट के बाजार में काफी असर देखने को मिला है. ग्राहकों की भी संख्या दुकानों पर काफी कम है. जिसके कारण माल काफी स्टॉक हो चुका है. डर भी है कि, कहीं सरकार लॉकडाउन लगाती है तो हमारा काफी नुकसान होगा और हम बर्बाद हो जाएंगे.

दुकानदारों का कहना है कि, तिलकुट के कारखाने में पूरी तरह कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. सभी कारीगरों को समझाया गया है कि, चेहरे पर मास्क और दूरी बनाकर ही काम करें. शुद्धता का भी ध्यान रखा जा रहा है और चारों तरफ साफ सुथरा रखकर ही तिलकुट बनाया जाता है. हमारे यहां हर तरह के तिलकुट बनाए जाते हैं.

बरहाल, प्रदेश में बढ़ते कोरोना के मामले के बीच राज्य सरकार ने 21 जनवरी तक नाइट कर्फ्यू लगा दिया है. कई तरह के पाबंदी भी लागू है. लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश में लगातार संक्रमण के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. संभावना जताई जा रही है कि, प्रदेश में साप्ताहिक लॉकडाउन लगाया जा सकता है.

इधर तिलकुट के कारीगर एवं व्यापारियों को डर सताने लगा है कि अगर प्रदेश में लॉकडाउन लगता है तो काफी नुकसान होगा. उन्हें उम्मीद है कि, इस साल जो पैसा व्यापारियों ने अपने व्यापार में लगा रखा है वह कम से कम निकल जाए और उनका परिवार भी चल सके. पिछले दो सालों से तिलकुट के बाजार में काफी प्रभाव देखने को मिला है. ऐसे में कारीगर भी परेशान दिखे तो वहीं व्यापारी लोग भी कोरोना महामारी से परेशान दिखे.

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