पटना:बिहार में लाउडस्पीकर विवाद (Loudspeaker Controversy in Bihar) अभी शांत भी नहीं हुआ कि एक और विवाद ने सियासत को गरमा दिया है. ऐसा लगता है कि पूरे देश के साथ ही प्रदेश में भी धार्मिक मसलों पर राजनीति की दिशा और दशा तय करनी की कोशिश में तमाम राजनीतिक दल जुटे हुए हैं. बिहार के कानून मंत्री प्रमोद कुमार (Law Minister Pramod Kumar) ने मौलवियों की तरह ही मंदिर और मठों के पुजारियों के लिए वेतनमान (Demand for salary of priest in bihar) की मांग कर सूबे में सियासी भूचाल ला दिया है.
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बिहार के पुजारियों के पक्ष में खड़ी भाजपा:पहले लाउडस्पीकर और अजान को लेकर विवाद हुआ और अब बिहार में पुजारी को तनख्वाह देने की मांग जोर शोर से उठने लगी है. भाजपा कोटे के विभागीय मंत्री ने मामले को जोर-शोर से उठाया है. प्रमोद कुमार ने कहा है कि मंदिरों के पुजारियों के लिए भी वेतन की व्यवस्था होनी चाहिए. अभी तक ऐसी व्यवस्था बिहार में कायम नहीं है. मंदिर से जो आमदनी होती है उससे एक निश्चित राशि वेतन के तौर पर मंदिर के पुजारियों को दिया जाना चाहिए ताकि उनका जीवन का भरण पोषण हो सके.
पुजारियों के लिए वेतनमान की मांग: मस्जिद में काबिज मौलाना को तनख्वाह तो मिलती है लेकिन मंदिर के पुजारी के लिए तनख्वाह की व्यवस्था नहीं है. बिहार में बड़ी संख्या में मस्जिदों में नमाज पढ़ने वाले मौलवी और मोअज्जिन अजान देने वाले नियुक्त किए गए हैं. उन्हें 5 से 8000 प्रति माह उनको वेतन दी जाती है. बिहार के सुन्नी वक्फ बोर्ड उनके वेतन की व्यवस्था करती है. इसके अलावा शिया वक्फ बोर्ड भी है. बोर्ड के जरिए भी मौलवी को वेतन दिया जाता है.
प्रति वर्ष तीन करोड़ का अनुदान :बिहार के मस्जिदों में जहां दुकान या अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठान है या फिर दान मिलता है उसी रकम से मौलवी के मानदेय या वेतन की व्यवस्था होती है. मगर ज्यादातर मस्जिदों में मौलवी के वेतनमान की व्यवस्था सुन्नी वक्फ बोर्ड के जरिए होती है. सुन्नी वक्फ बोर्ड को बिहार सरकार की ओर से हर साल 3 करोड़ रुपए अनुदान मिलते हैं और इसी से कर्मचारियों का वेतन भी चलता है. पश्चिम बंगाल, हरियाणा, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में वहां के सुन्नी बोर्ड मानदेय दे रहे हैं.
करनी होगी 4000 पुजारियों के लिए तनख्वाह की व्यवस्था: पुजारियों की अगर बात कर लें तो उनका खर्चा भगवान भरोसे है. दान से ही उनकी रोजी-रोटी चलती है. बिहार के धार्मिक न्यास बोर्ड में लगभग 4000 मंदिर निबंधित हैं और फिलहाल 4000 पुजारियों के लिए तनख्वाह की व्यवस्था करनी होगी. इसके अलावा बड़ी संख्या में मंदिर निबंधन के लिए प्रक्रियाधीन है.आपको बता दें कि बिहार के मठ मंदिर और वक्फ बोर्ड के पास अरबों रुपए की संपत्ति है मठ मंदिरों के परिसंपत्तियों के देखरेख का जिम्मा जहां न्यास बोर्ड के पास है. वहीं मस्जिदों की संपत्तियों के देखरेख का जिम्मा वक्फ बोर्ड के पास है.