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पटना: स्टेरॉयड के यूज को लेकर सरकार से गाइडलाइन जारी करने की मांग - कोरोना संक्रमण

कोरोना मरीजों को समय से पहले स्टेरॉयड का डोज देना शुरू कर दिया जाता है. अधिक समय तक इसका प्रयोग खतरनाक हो जाता है. इससे मरीज में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है. कोरोना संक्रमण में बुखार के तीसरे से चौथे दिन में स्टेरॉयड का डोज देना शुरू करना चाहिए.

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Published : May 19, 2021, 9:00 AM IST

पटना: प्रदेश में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले को देखते हुए मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर्स अब कोरोना मरीजों में स्टेरॉयड के प्रयोग को लेकर सरकार से गाइडलाइन जारी करने की मांग कर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि स्टेरॉयड का अधिक और बेवजह यूज मरीजों के लिए खतरनाक हो रहा है और ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों का एक प्रमुख कारण यह भी है.

सरकार इसके यूज को लेकर एक गाइडलाइन जारी करे कि किन मरीजों को और संक्रमण काल के कब और कितना स्टेरॉयड का डोज देना है.

स्टेरॉयड का सही डोज हानिकारक नहीं
पीएमसीएच के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुनील अग्रवाल ने बताया कि कोरोना मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड की जरूरत पड़ती है. सही समय पर स्टेरॉयड का सही डोज अगर दिया जाता है तो यह हानिकारक नहीं होगा.

कई बार ऐसा होता है कि समय से पहले मरीजों को स्टेरॉयड का डोज देना शुरू कर दिया जाता है और अधिक समय दिया जाता है. यह खतरनाक हो जाता है और मरीज में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है.

उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण में बुखार के तीसरे से चौथे दिन से स्टेरॉयड का डोज देना शुरू करना चाहिए और संक्रमण के नौवें दिन के बाद से बंद कर देना चाहिए. क्योंकि कोरोना संक्रमण की गंभीर स्थिति चौथे दिन से लेकर नौवें दिन तक रहती है. इसके बाद स्वत: कोरोना कम होने लगता है और इसी बीच अगर एस्ट्रॉयड दिया जाए है तो यह लाभकारी होगा.

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अधिक स्टेरॉयड लेना हानिकारक
डॉ. सुनील अग्रवाल ने बताया कि डायबिटीज से ग्रसित कोरोना पेशेंट को अगर स्टेरॉयड दिया जाता है तो शुगर लेवल की इस दौरान सुबह-शाम मॉनिटरिंग करनी चाहिए. डायबिटीज पेशेंट का इम्यूनिटी लेवल पहले से कम होती है और जब स्टेरॉयड का डोज दिया जाता है तब मरीज की इम्युनिटी और कम हो जाती है और शुगर लेवल बढ़ जाता है. ऐसे में ब्लैक फंगस का खतरा भी काफी बढ़ जाता है.

उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस का स्पोर्स हमारे वातावरण में घूमते रहता है और जहां गंदगी होती है, मिट्टी होती है, सड़े गले कूड़े होते हैं वहां अधिक रहता है. सामान्य स्थिति के स्वस्थ मरीज को ब्लैक फंगस का स्पोर्स कोई नुकसान नहीं पहुंचाता मगर जब शरीर का इम्यूनिटी कमजोर हो जाता है तब उस व्यक्ति को ब्लैक फंगस का संक्रमण हो जाता है.

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डॉक्टरों की सलाह पर लें स्टेरॉयड
कई बार इस फंगस की शिकायत उन मरीजों में भी देखने को मिली है जिनका ऑक्सीजन थेरेपी हुआ है. ऑक्सीजन पाइप समय पर चेंज नहीं किया गया है, ह्यूमिडिफायर का पानी रेगुलर चेंज नहीं किया गया है, उनमें ब्लैक फंगस की शिकायत आ रही है. छोटे-मोटे प्राइवेट अस्पतालों में शुरू में ही कोरोना मरीज को ठीक करने के लिए एस्ट्रॉयड दे दिया जा रहा है और अधिक दिन तक चला दिया जा रहा है, ऑक्सीजन पाइप और ह्यूमिडिफायर के हाइजीन का ख्याल नहीं रखा जा रहा है ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने वाले गंभीर कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस का मामला ज्यादा सामने आ रहा है. डॉ सुनील अग्रवाल ने कहा कि ऐसे में सरकार को चाहिए कि स्टेरॉयड के यूज को लेकर स्वास्थ्य विभाग एक एडवाइजरी करे किन मरीजों को किस स्थिति में कितने दिनों तक स्टेरॉयड का डोज दिया जाना चाहिए.

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