पटना:बिहार में विधानसभा का चुनाव अक्टूबर-नवंबर तक होने की संभावना है, लेकिन चुनावी माहौल की तपिश अभी से ही महसूस की जा सकती है. सियासी दल सत्ता पर काबिज होने के लिए अलग-अलग तरीके से लगे हुए है. ऐसे में नेताओं को चुनाव आते ही 'मुखिया जी' याद आ गए हैं.
सोमवार को बिहार विधान परिषद में कई सदस्यों ने पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाने की मांग की. आरजेडी ने इनका वेतन और भत्ता बढाने की मांग बिहार विधान परिषद में रखा तो बाकी दलों ने भी इस मांग का समर्थन कर दिया.
पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाने की मांग
सदन की कार्यवाही के दौरान विधान पार्षदों का कहना था कि पंचायत स्तर पर सरकार की सभी योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायत प्रतिनिधियों की अहम भूमिका होती है. लेकिन उनका मानदेय बहुत कम है. आरजेडी के विधान पार्षद सुबोध राय ने कहा, सरकार को ना सिर्फ उनका मानदेय बढ़ाना चाहिए बल्कि उनके लिए पेंशन भी लागू करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मंत्री और विधायकों का वेतन वृद्धि होता है, यात्रा भत्ता मिलता है, तो पंचायत प्रतिनिधियों का क्यों नहीं?
मानदेय महीनों से बकाया
एमएलसी का तर्क था कि एक तरफ जहां विधायकों और विधान पार्षदों को हजारों-लाखों रुपए प्रति महीने मिलते हैं और पेंशन भी दिया जाता है. वहीं, दूसरी तरफ पंचायत प्रतिनिधियों को महज 2,000 से 5,000 तक प्रति महीने मिलते हैं. उसपर भी कई पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय महीनों से बकाया है.
पंचायत प्रतिनिधियों को वेतन मात्र 500 रुपये
औरंगाबाद से विधान पार्षद राजन कुमार सिंह ने कहा कि ज्यादातर विकास कार्य पंचायत स्तर के प्रतिनिधियों के ही माध्यम से ही होता है. ऐसे में यदि उसका मानदेय बढ़ाया जाएगा तो विकास कार्यों पर भी इसका सकारात्मक असर दिखेगा. राजन सिंह ने कहा पंचायत प्रतिनिधियों को मात्र 500 वेतन के रूप में मिलता है. उन्होंने राज्य सरकार से इस पर विचार करने लिए कहा.