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2015 से अधर में बोर्ड-निगम आयोग के गठन की मांग, NDA घटक दलों ने सरकार पर बढ़ाया दबाव - patna latest news

बिहार में बोर्ड निगम आयोग के गठन को लेकर एक बार फिर आवाज उठने लगी है. इस बार तो जदयू नेता भी भाजपा नेताओं के साथ खड़े हैं. सभी का मानना है कि लंबे समय से प्रक्रिया अधूरी है, जो पूरी होनी चाहिए.

एनडीए के नेता
एनडीए के नेता

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Published : Jun 27, 2022, 11:28 AM IST

पटनाःबिहार विधान मंडल का मानसून सत्र (Monsoon session of Bihar Legislature) शुरू हो चुका है. एक बार फिर बोर्ड निगम आयोग (Demand for formation of Board Corporation Commission) के गठन को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ गया है. भाजपा नेताओं ने गठन की वकालत की है. इस बार जदयू नेता भी भाजपा नेताओं के सुर में सुर मिला रहे हैं.

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2015 से ही कार्यकर्ताओं को है इंतजारःबिहार में बोर्ड निगम आयोग के गठन को लेकर एक बार फिर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. विधानसभा सत्र से ठीक पहले विधानमंडल दल की बैठक के दौरान भाजपा नेताओं ने बोर्ड निगम आयोग के गठन के मामले को जोर-शोर से उठाया. भाजपा प्रवक्ता अजफर शमसी ने कहा है कि बोर्ड निगम आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए मुख्यमंत्री इस मुद्दे को लेकर गंभीर हैं, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के शीर्ष नेता जब बैठेंगे तो सहमति बन जाएगी.

"देखिये गठबंधन की सरकार है, एनडीए में तो सब मिलजुल कर ही ना होता है. उसके मुखिया नीतिश कुमार हैं. जो भी बोर्ड निगम आयोग की प्रक्रिया है, वो पूरी की जाएगी. सारे काम होते ही रहते हैं, सरकार करती ही है. इसमें कोई इफ और बट की बात नहीं है"- अजफर शमसी, प्रवक्ता भाजपा

एनडीए के घटक दलों के एक सुरः वहीं, हम पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय यादव ने कहा है कि जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर कई बार बोर्ड निगम आयोग के गठन को लेकर चर्चा की है, आश्वासन भी मिला है लेकिन अब तक गठन की प्रक्रिया अधूरी है. जदयू के प्रदेश सचिव अनुरंजन गिरी ने कहा है कि बोर्ड निगम आयोग का गठन होना चाहिए. लंबे समय से प्रक्रिया अधूरी है और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को उम्मीदें रहती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जल्द ही प्रक्रिया को पूरी कर लेंगे.

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गठन की प्रक्रिया अब तक अधूरीः आपको बता दें कि बिहार में 100 से ज्यादा बोर्ड निगम और आयोग हैं. इसके अलावा भाषाई अकादमी भी अस्तित्व में है. राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में साल 2015 से ही बोर्ड निगम आयोग के गठन की प्रक्रिया अधूरी है. महिला आयोग तक अस्तित्व में नहीं है. बोर्ड निगम आयोग जब अस्तित्व में थे तो कई तरह की अनियमितता और घोटाले प्रकाश में आए थे और प्रशासन में हड़कंप मचा था. मिसाल के तौर पर महादलित घोटाला, छात्रवृत्ति घोटाला और दवा घोटाला ने सरकार की खूब किरकिरी कराई थी.


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