पटना:बिहार सरकार ने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन करने वाले शिक्षकों मान्यता देने से इंकार कर दिया है. सरकार के फैसले से एनआईओएस से प्रशिक्षित शिक्षकों का प्राथमिक शिक्षक नियोजन में बहाली का दरवाजा बंद हो गया. अब इन शिक्षकों ने पटना हाईकोर्ट में गुहार लगाते हुए सरकार के खिलाफ केस फाइल की है.
पटना हाईकोर्ट में D.El.Ed शिक्षकों ने लगाई गुहार नियोजन सें वंचित रखने के खिलाफ केस फाइल
शिक्षकों ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि सरकार के फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट की शरण में आये हैं. शिक्षकों ने बताया कि बिहार और केंद्र सरकार ने जख्म दिया है. करीब ढाई लाख शिक्षक सरकार के फैसले से हताश और परेशान हैं. सरकार के फैसले से शिक्षक सड़कों पर आ रहे हैं. बहाली की प्रक्रिया में एनआईओएस से प्रशिक्षित शिक्षकों को वंचित रखने के खिलाफ हाईकोर्ट में केस फाइल किया गया है. आशा है कि कोर्ट से न्याय मिलेगा.
ईटीवी भारत से बातचीत करते शिक्षक 'अन्य राज्यों में मान्य तो बिहार में क्यूं नहीं?'
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए एक शिक्षिका ने बताया कि नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन करने वाले को सिक्किम सरकार ने मान्यता दे दी है. अन्य राज्यों में इसकी मान्यता देने की बात चल रही है. जबकि इसी डिग्री को बिहार सरकार मानने से इनकार कर रही है. कोर्ट में बिहार सरकार और एनसीटीई को पार्टी बनाते हुए यह जवाब मांगा है कि आखिर क्यों इस डिग्री की मान्यता नहीं दी गई?
पटना हाईकोर्ट में केस दाखिल करने के बाद बाहर निकलते शिक्षक 18 सितंबर से शुरू हो रही है नियोजन की प्रक्रिया
बता दें कि 18 सितंबर से बिहार में प्राथमिक शिक्षक नियोजन के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो रही है. एनआईओएस से डीएलएड कर चुके शिक्षक बिहार के प्राथमिक शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में भाग लेना चाहते हैं.
सरकार के फैसले पर नाराजगी
सरकार के फैसले पर एनआईओएस अध्यक्ष सीबी शर्मा नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में कहा था कि मुझसे बिना पूछे एनसीटीई ने एकतरफा फैसला सुना दिया. जब नॉदर्न रीजनल कमेटी ने एनआईओएस D.El.Ed को पूरी तरह मान्यता दी है. ऐसे में एनसीटीई को इस मामले में एकतरफा फैसला लेने का अधिकार नहीं है. एनआईओएस ने डीएलएड कोर्स को पूरे देश में मान्य करार दिया है. एनआईओएस के चेयरमैन सीबी शर्मा ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में दावा किया कि एनसीटीई को यह फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं है. इस बारे में एनआईओएस या फिर एनआरसी ही कोई मार्गदर्शन दे सकती है.