पटना:बिहार में ब्यूरोक्रेसी (Bureaucracy In Bihar) किस कदर हावी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले कुछ महीने पहले मंत्री मदन सहनी ने नाराज होकर इस्तीफे की पेशकश तक कर दी थी. हम संरक्षक और पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने भी बेलगाम अफशाही (Bureaucracy Unbridled In Bihar) पर कई बार सवाल उठाए हैं लेकिन इस बार तो आरोपों पर मुहर लगती दिख रही है. सैकड़ों की संख्या में बिहार कैबिनेट से एजेंडों को पारित तो कर दिया गया लेकिन आजतक लागू नहीं किया जा सका है.
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बिहार में बेलगाम ब्यूरोक्रेसी!: बिहार में डबल इंजन की सरकार है और आम लोगों की अपेक्षा भी सरकार से ज्यादा है. नीतीश सरकार के द्वारा जीडीपी के मामले में अव्वल होने का दावा किया जाता है. लेकिन इन दावों की पोल तब खुल गई जब मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए निर्णय धरातल की सर जमीं पर नहीं उतर पाए. 17 नवंबर 2020 से 19 जुलाई 2022 तक कुल मिलाकर शामिल प्रस्ताव की संख्या2050है जिसमें 825 प्रस्ताव स्वीकृत हुए और 851 को अनूप पारित किया गया जबकि 374 प्रस्ताव का अनुपालन अभी लंबित है.
सैकड़ों एजेंडे लंबित: मंत्रिपरिषद द्वारा पारित सैकड़ों एजेंडे पिछले कुछ सालों से लंबित हैं और विभाग के द्वारा कार्रवाई नहीं की गई. कैबिनेट, नीति निर्धारण के मामले में सर्वोच्च संस्था है. सरकार अपनी नीतियों का क्रियान्वयन कैबिनेट के जरिए ही करती है. कैबिनेट की सहमति मिलने के बाद विभाग प्रस्ताव से संबंधित नियम बनाती है. फिर उससे अधिकारियों को सूचित किया जाता है. तब जाकर विकास योजनाएं शुरू होती हैं.
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अपर मुख्य सचिव के पत्र से हड़कंप: कैबिनेट के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ (Principal Secretary Dr. S. Siddhartha) के एक पत्र से हड़कंप मच गया है. पत्र में कहा गया कि विभागों के द्वारा मंत्री परिषद के निर्णय का पूर्ण अनुपालन नहीं किया जा रहा है. इसकी सूचना मंत्रिमंडल सचिवालय को नहीं दी जा रही है. वहीं अपने-अपने विभागों को वेब साइट पर नियमित रूप से प्रकाशन को लेकर भी आदेश निर्गत किए गए हैं. कैबिनेट सचिवालय के द्वारा जो पत्र निर्गत किया गया है उसके मुताबिक कुल मिलाकर 374 ऐसे एजेंडे हैं जिस पर कैबिनेट सचिवालय को एक्शन टेकन रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है.
स्वास्थ्य विभाग के 78 एजेंडे लंबित: नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार क्यों फिसड्डी आता है वह आप आंकड़ों के जरिए समझ सकते हैं. स्वास्थ्य और शिक्षा के मामले में बिहार क्यों पिछड़ जाता है. कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग पर सबसे अधिक दारोमदार है और तेजतर्रार अधिकारी प्रत्यय अमृत विभाग को नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के कुल 103 प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में शामिल किए गए जिसमें 102 को स्वीकृति मिली 24 का अनुपालन किया गया और 78 अभी लंबित हैं.