पटनाः नशे में गाड़ी चलाने से रोड एक्सीडेंट होना आम बात है. बिहार में साल 2016 से ही शराबबंदी है. अब इस शराबबंदी का लोहा पूरा देश ने माना है बिहार इकलौता ऐसा राज्य है, जहां एनएच पर शराब पीकर वाहन चलाने की वजह से एक भी हादसा पिछले साल नहीं हुआ है.
दरअसल केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की राज्यसभा में पेश की गई रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि बिहार में 5300 किलोमीटर से अधिक एनएच गुजरता है. इसके बावजूद यहां 2019 में शराब पीकर वाहन चलाने से दुर्घटना का एक भी मामला सामने नहीं आया है. बिहार में 2016 से हुई पूर्ण शराबबंदी का ही यह सुखद परिणाम है.
देश के 9 प्रदेशों में बिहार से कई गुना अधिक दुर्घटनाएं
जानकारी के अनुसार, बिहार से छोटे राज्यों में कई गुना अधिक दुर्घटनाएं शराब पीकर वाहन चलाने से घटित हुई हैं. असम, पंजाब, उड़ीसा, हरियाणा और झारखंड जैसे छोटे राज्य सहित देश के 9 प्रदेशों में बिहार से कई गुना अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं. आंकड़े बताते हैं कि साल 2015 में शराब पीकर गाड़ी चलाने की वजह से 867 लोगों ने अपनी जान गंवाई हैं, वहीं 2016 में यह संख्या कम होकर 326 हो गई थी.
हाल में इस तरह की दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाईवे के 500 मीटर के भीतर आने वाले शराब की दुकानों पर भी बैन लगा दिया था. हालांकि राज्य में सड़क हादसों में 4 फीसदी की वृद्धि हुई है. सबसे अधिक जान नेशनल हाईवे पर जा रही हैं. स्टेट हाईवे और अन्य सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाएं चिंतित करने वाली हैं.
2018 के मुकाबले 2019 में 407 घटनाएं
बिहार पुलिस द्वारा हाल ही में तैयार किए गए सड़क हादसो के आंकड़े के अनुसार 2018 के मुकाबले 2019 में 407 घटनाएं अधिक हुई हैं. ज्यादातर हादसे ओवर स्पीड और यातायात के नियमों को अनदेखी के कारण हुए हैं. बिहार में 5 हाईवे पर 20 सवार्धिक दुर्घटनाओं वाले क्षेत्र सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बिहार में 20 स्थानों को सबसे ज्यादा दुर्घटना वाला क्षेत्र ब्लैक स्पॉट माना है. इनमें सबसे अधिक स्थान एनएच 28 पर है.
इसमें भी अकेले 9 ब्लैक स्पॉट गोपालगंज जिले में आते हैं. इसके बाद जब मोतिहारी में पिपराकोठी, समस्तीपुर में तेजपुर, मुसरीघरारी और दलसिंह सराय मेन क्रॉसिंग पर भी सबसे अधिक हादसे होते हैं. खगड़िया में एनएच 107 पर दो जगह को चिन्हित किया गया है.
एनएच पर गाड़ियों के साथ दौड़ रही मौत
पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, एनएच पर गाड़ियों के साथ मौत भी दौड़ रही है. सड़क हादसों में सबसे ज्यादा एनएच पर लोगों की जान गई है. बिहार में साल 2019 में 10,007 सड़क हादसे रिपोर्ट किए गए हैं. इन हादसों में 7,205 की जान गई हैं. जबकि 7,206 जख्मी हुए हैं. 3,436 मौतें नेशनल हाईवे पर सड़क हादसे के दौरान हुईं हैं.
संजय अग्रवाल, परिवहन सचिव बिहार पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं नेशनल हाईवे पर हो रही हैं. बिहार के 5 नेशनल हाईवे पर सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना हुई है.
इन हाईवे पर सबसे ज्यादा हादसे..
- एनएच-31 पहला स्थान
- एनएच-28 दूसरा स्थान
- एनएच-2 तीसरा चौथे
- एनएच-57 चौथा स्थान
- एनएच-80 पांचवां नंबर
वहीं, एनएच-31 पर हुए सड़क हादसे में 427 तो एनएच-28 पर 386 लोगों की मौत हुई है. कुल 1,449 लोगों की जान स्टेट हाईवे पर गई हैं. एनएच पर एक साल में 1,945 दुर्घटनाएं हुई हैं. जिनमें से 1,628 व्यक्ति जख्मी हुए हैं. ग्रामीण सड़क संपर्क पथ और नगर निगम के अधीन पड़ने वाली सड़कों पर साल 2019 में हुए हादसों में 2,320 लोगों की मौत हुई है.
'सड़क हादसों की बड़ी वजह तेज रफ्तार'
परिवहन विभाग के सचिव संजय अग्रवाल की माने तो सड़क हादसों की बड़ी वजह तेज रफ्तार और बेतरतीब ड्राइविंग करना है. पिछले साल जितनी मौतें सड़क हादसे में हुई हैं उनमें सबसे ज्यादा ट्रक की वजह से हुई है. ट्रक की लापरवाही की वजह से 2528 लोगों की जान गंवानी पड़ी है. 2019 में स्टेट हाईवे पर हुए 1,945 हादसे में 1,449 मौतें और 1,628 घायल हुए हैं. शराब पीकर एक भी हादसा बिहार में नहीं हुआ है.
बिहार में 2019 में सड़क दुर्घटनाएं-10,007
बिहार में 2018 में सड़क दुर्घटनाएं- 9,600
वहीं, सिर्फ पटना में NH पर 280 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 219 लोग घायल हुए और 81 लोगों की मौत हुई. इनमें शराब के नशे में वाहन चलाने से एक भी हादसा नहीं हुआ है.
बढ़ रही है वाहनों की संख्या
परिवहन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि बिहार में रोजाना सड़कों की गुणवत्ता बेहतर हो रही है. वाहनों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है. जहां पहले 25 लाख वाहन थे वहां आज बढ़कर 60 लाख से अधिक वाहन हो गए हैं. बिहार में पहले सिंगल लेन हुआ करता था फिर डबल लेन, फोर लेन और अब बिहार में कुछ जगह पर सिक्स लेन सड़क भी बन चुकी है. वाहनों की संख्या बढ़ते देख सड़कों को भी बेहतर बनाया जा रहा है.
'रफ्तार को रोकने के लिए लाई जाएगी नई मशीनें'
संजय अग्रवाल ने बताया कि सड़क हादसों में कमी लाने को लेकर दूसरे राज्यों की तरह वाहनों की रफ्तार 1 किलोमीटर दूर से नाप लेने वाली इंटरसेप्टर व्हीकल जल्द ही पुलिस के लिए खरीदी जाएगी. यह आधुनिक तरीके से 1 किलोमीटर दूर वाहन की स्पीड के साथ गाड़ी के नंबर प्लेट की भी मॉनिटरिंग को नोट करेगा.
माना जा रहा है कि बिहार में भी नियमों की धज्जियां उड़ाकर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने वालों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. दिल्ली और महाराष्ट्र समेत कुछ राज्यों में पुलिस द्वारा गाड़ी का इस्तेमाल ओवरस्पीडिंग पर रोक लगाने के लिए इस आधुनिक मशीन का उपयोग किया जा रहा है.
'ट्रैफिक नियमों का सख्ती से होगा पालन'
परिवहन विभाग के सचिव की मानें तो सड़क हादसों की बड़ी घटनाओं की वजह जानने के लिए जिला स्तरीय 4 सदस्यों की कमेटी इन मामलों की जांच को लेकर बनाई गई है. यह कमेटी हादसों के कारण और बचाव के लिए सुझाव देगी. बिहार में बड़े सड़क हादसे क्यों और किस वजह से हुए हैं, इसका कारण जाने का प्रयास किया जाएगा.
वहीं, समय समय पर ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान भी चलाया जा रहा है. साथ ही 1 सितंबर 2019 से देश में लागू नए ट्रैफिक नियमों के सख्ती से पालन कराने को कहा गया है.
नशे में ड्राइविंग करने से नहीं हुई मौत
बता दें कि साल 2019 में बिहार में 7000 से ज्यादा लोगों को सड़क हादसे में अपनी जान गंवानी पड़ी है. आंकड़े बताते हैं कि बीते वर्ष सड़क दुर्घटना में 7,184 मौतें हुई हैं. वहीं 7,177 लोग जख्मी हुए हैं. साल 2018 में यह आंकड़ा 9,600 था. जिसमें 6,729 लोगों की मौत हुई थी और 6,679 लोग जख्मी हुए थे. लेकिन राहत देने वाली बात ये है कि साल 2019 में बिहार के 53 किलोमीटर से अधिक एनएच पर एक भी मौत नशे में ड्राइविंग करने से नहीं हुई हैं. जिसे राज्य में शराबबंदी की कामयाबी के रूप में देखा जा सकता है.