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बंगले का हकदार कौन? LJP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फैसला - बिहार

बिहार (Bihar) में सियासी बवाल जारी है. अब लोजपा (LJP) में पार्टी के सुप्रीम पद पर कौन बैठेगा इसका फैसला राष्ट्रीय कार्यकारिणी में तय होगा. वहीं, इस बैठक में पार्टी की भविष्य और चिराग पासवान (Chirag Paswan) की पार्टी में हैसियत की पटकथा भी लिखी जाएगी. पढ़ें पूरी खबर...

पटना
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Published : Jun 15, 2021, 6:11 PM IST

पटना:बंगले का हकदार कौन होगा इसे लेकर लोजपा (LJP) में खेल शुरू हो चुका है. दरार पड़ चुकी पार्टी में दोनों तरफ से खुद को असली साबित करने का होड़ लगा हुआ है. साथ ही वर्तमान लोजपा प्रमुख चिराग पासवान (LJP supremo) की सियासी भविष्य दांव पर लग चुकी है. इसी बीच पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी (LJP National Executive) की बैठक होने वाली है. इस बैठक में पार्टी की सियासी सफर की कहानी लिखी जानी है. यही बैठक चिराग की राजनीतिक भविष्य की पटकथा भी लिखेगा.

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पशुपति पारस ने ठोकी ताल
पार्टी पर जहां चिराग पासवान अपना वाजिबन हक जता रहे हैं. वहीं, 5 सांसदों और अन्य नेताओं की लामबंदी के बाद पशुपति पारस (Pashupati Paras) लोक जनशक्ति पार्टी पर अपना ताल ठोक रहे हैं. लोक जनशक्ति पार्टी की संविधान के मुताबिक, पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को ही अधिकार है कि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) को हटाए या उसे बनाए रखें. जिस कारण राष्ट्रीय कार्यकारिणी ही यह तय करेगी की पार्टी की कमान किसके हाथ होगी.

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राष्ट्रीय कार्यकारिणी का फैसला होगा अंतिम
पार्टी में दो फाड़ की साजिश जदयू(JDU) पर लग रही है. इसी बीच जदयू नेता भी पशुपति पारस को लोजपा का असली हकदार बताना शुरू कर चुके हैं. जदयू के पूर्व विधान पार्षद रामबदन राय ने कहा कि लोजपा पर वाजिब हक पशुपति पारस का होना चाहिए. क्योंकि उनके साथ सांसदों की संख्या ज्यादा है. लोकतंत्र में बहुमत के आधार पर फैसले होते हैं.

'लोकतंत्र का महत्व है. जिसका बहुमत है. वह पार्टी का अध्यक्ष होगा. चिराग का कैरियर पार्टी और चाचा पशुपति पारस तय करेंगे'.- रामबदन राय, जदयू

रामबदन राय, जदयू नेता

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भाजपाई भी चिराग से बनाने लगे दूरी
वहीं, चिराग पासवान से अब भाजपाई भी दूरी बनाना शुरू कर चुके हैं. भाजपा (BJP) के वरिष्ठ नेता नवल किशोर यादव (Naval Kishore Yadav) ने भी कहा कि लोकतंत्र में फैसला बहुमत के आधार पर होना चाहिए. लेकिन दोनों ओर से जब पार्टी पर दावे किए जाएंगे, तो कई तरह की कानूनी अड़चन है. लोकसभा अध्यक्ष, चुनाव आयोग (Election Commission) और फिर न्यायालय (Court) की भूमिका भी इस पूरे मामले में हो सकती है.

'फैसला हमेशा बहुमत के आधार पर होता है. पार्टी का संविधान फैक्टर होता है, लेकिन वह आदमी के अधिकार का हनन नहीं कर सकता है. संवैधानिक जगह है कोर्ट, जाना चाहिए'.-नवल किशोर यादव, बीजेपी नेता

नवल किशोर यादव, बीजेपी नेता

राह नहीं आसान
राजनैतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि असली लोजपाई कौन है, यह तय कर पाना बहुत आसान नहीं होगा. क्योंकि राष्ट्रीय कार्यकारिणी का फैसला अहम होता है. उसके बाद पार्टी की पार्लियामेंट्री बोर्ड की भूमिका भी होती है. दावों का दौर चलेगा तो मामला न्यायालय से ही सुलझेगा.

'लड़ाई तो होगी. चिराग तो अध्यक्ष है. पार्टी की विरासत तो चिराग को ही दी गई थी. लेकिन जो अंदरूनी कहल हुआ, उसके बाद पशुपति पारस खुद को अलग कर लिए'.- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

चुनाव आयोग कर सकता है मामले में हस्तक्षेप
वहीं, उन्होंने कहा कि लोजपा के संविधान (LJP Constitution) के मुताबिक पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ही तय करेगी कि पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा. कमान किसके हाथ होगा. लेकिन विवाद अगर बढ़ता है, तो चुनाव आयोग इसमें हस्तक्षेप करेगा. संभव यह भी है कि दोनों ओर से अगर दावे किए जाएंगे. वैसी स्थिति में बंगला चुनाव चिन्ह फ्रीज कर दिया जाएगा. दोनों को अलग-अलग चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिया जाए.

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