पटनाः बिहार में 5 अप्रैल 2016 को पूर्ण शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) कानून लागू कर दिया गया. प्रदेश में अपराध और घरेलू हिंसा के मामलों को कम करने के मकसद से सूबे के मुखिया नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने राजस्व के भारी नुकसान के बावजूद शराबबंदी कानून लागू करने का फैसला लिया था. लेकिन आज भी यह कानून सवालों के घेरे में है.
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बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू होने के बाद भी ग्रामीण इलाकों में छिप कर देसी शराब बनाने और पिलाने का धंधा जारी है. लगभग रोज शराब बरामद किए जा रहे हैं. दूसरे राज्यों से शराब तस्करी की खबरें भी लगभग रोज आती रहती हैं. यहां तक कि आम आदमी के साथ अधिकारियों और कर्मचारियों के शराब पीने का वीडियो भी वायरल होते रहता है. ग्रामीण क्षेत्रों में तो शराबबंदी कानून लागू होने के बाद सैकड़ों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है.
ताजा मामले में राजधानी पटना से सटे हाजीपुर के राघोपुर प्रखंड के जुड़वनपुर थाना क्षेत्र के हाजीपुरवा महादलित बस्ती में रविवार की रात कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से मौत हो गई. अन्य चार लोगों का इलाज पीएमसीएच में चल रहा है.
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जानकारी के अनुसार बस्ती के कुछ दूरी पर स्थित मिडिल स्कूल में इन लोगों ने मछली-भात और शराब की पार्टी की थी. लोकल मेड चुलाई शराब पीने से 3 लोगों की मौत हो गई, जबकि 4 लोगों की हालात खराब हो गई, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया.
परिजनों और ग्रामीणों के द्वारा प्रदर्शन के बाद हाजीपुर एसडीओ और एसडीपीओ जांच दल के साथ गांव पहुंचे और लोगों से पूछताछ शुरू कर दी है. यह घटना जहरीली शराब से हुई है या नहीं, इसकी जांच की जा रही है.
इधर, हाल ही में बेतिया के लौरिया थाना क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से 16 लोगों की संदिग्ध मौत हो गई थी. इनमें से 12 लोगों के परिजनों ने लिखित बयान देखर मृतकों के जहरीली शराब पीने की बात स्वीकार की थी. परिजनों ने बताया था कि शराब पीने के बाद ही उनकी तबीयत खराब हुई, और फिर जान चली गई.
मामला जब तुल पकड़ा तो आनन-फानन में डीएम-एसपी सब एक्शन मोड में आ गए. करीब 16 गिरफ्तारियां हुईं. तमाम न्यायिक प्रक्रियाएं जारी रहीं. कार्रवाई के नाम पर लौरिया थाने के सभी पुलिसकर्मियों का लाइन हाजिर किया गया. प्रभारी लौरिया थानाध्यक्ष पुलिस अवर निरीक्षक कृष्णा प्रसाद के साथ तीन चौकीदारों को भी निलंबित भी किया गया.
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लेकिन, इसके बाद भी पश्चिमी चंपारण के जोगिया में भी जहरीली शराब से 3 लोगों की मौत का मामला सामने आया. इसके बाद भी जैसा होता आया है, वही हुआ. रामनगर थाने में जहरीली शराबकांड को लेकर चौकीदार ने आवेदन दिया. इसके बाद पुलिस शराब माफियाओं की गिरफ्तारी में जुट गई.
साल 2020 में जहरीली शराब पीने से बिहार के आरा जिले में 21 लोगों की मौत की घटना भूल गए? इस मामले में निचली अदालत ने 14 लोगों को सजा सुनाई थी. नवादा में इसी कारण से 17 लोगों की जान जाने के बाद 4 लोगों को उस समय गिरफ्तार किया गया था. केवल 2016 में जहरीली शराब पीने से 16 लोगों की जानें गईं.
इन सब घटनाओं को एक नजर देखने के बाद आपको क्या लगा? यही न कि प्रशासनिक दावे एक तरफ और सूबे में शराब का कारोबार एक तरफ. शराबबंदी कानून को रोज ताक पर रखा जा रहा है. कहीं, पुलिस की सुस्ती नजर आ रही है, तो कहीं संलिप्तता. हर जगह लोगों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं.