पटना: प्रसिद्ध साहित्यकार और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित दया प्रकाश सिन्हा (Daya Prakash Sinha) के नाटक 'सम्राट अशोक' पर जेडीयू ने सियासी भूचाल मचा रखा है. इस मसले को मुद्दा बनाकर जेडीयू के बड़े लीडर बीजेपी पर हमलावर हैं. जेडीयू ने पद्मश्री पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस लेने की भी मांग सरकार से कर डाली. प्रेशर पॉलिटिक्स का असर ये हुआ कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने लेखक दया प्रकाश सिन्हा पर FIR दर्ज करा दी. हालांकि इस मसले पर अब दया प्रकाश सिन्हा की मीडिया में सफाई आई है. उन्होंने कहा कि 10 साल पहले 'सम्राट अशोक' नाम से नाटक लिखा था. उसमें दूर दूर तक औरंगजेब से कोई वास्ता नहीं. किताब मार्केट में है कोई भी पढ़ सकता है.
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हाल ही में एक अखबार को दिए इंटरव्यू में दया प्रकाश सिन्हा ने सफाई देते हुए कहा कि सम्राट अशोक और औरंगजेब के बीच तुलना नहीं हो सकती. पूरी दुनिया में अशोक को महान मानती है. डीपी सिन्हा ने कहा कि सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया लेकिन किसी दूसरे पर थोपने का काम नहीं किया. अशोक सभी धर्मो को समान भाव से देखते थे. तत्कालीन शिलालेखों में इस बात का प्रमाण भी मिलता है. उस समय बौद्ध श्रमण को जो सम्मान मिलता था उतना ही सम्मान वैदिक ब्राह्मणों को भी देने का आदेश था. दूसरी ओर औरंगजेब कट्टर था, जबकि अशोक सभी धर्मों का समान भाव से आदर करते थे.
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दया प्रकाश सिन्हा ने साफ किया कि उनकी बात को गलत तरीके से उछालकर उन्हे बेवजह विवाद में घसीटा गया. कहीं गलतफहमी हुई है तो वो उसे दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. डीपी सिन्हा ने बीजेपी से संबंधों पर भी सफाई दी और कहा कि वो 2010 से बीजेपी से अलग हैं उनका बीजेपी से कोई संबंध नहीं.
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