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सावधान: कहीं मौत के मुंह में तो नहीं धकेल रहा आपका सैनिटाइजर?

सैनिटाइजर जहां बैक्टीरिया को खत्म करने में कारागर है. वहीं, सही सैनिटाइजर के चुनाव नहीं करने से कई तरह की समस्याएं झेलनी पड़ती है. देखें ये रिपोर्ट...

Patna
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Published : Aug 29, 2020, 1:58 PM IST

Updated : Aug 29, 2020, 8:01 PM IST

पटनाः पूरा विश्व कोरोना महामारी का दंश झेल रहा है. सभी क्षेत्रों में इसका नकारात्मक असर पड़ा है. वहीं, कुछ क्षेत्रों में आपदा में अवसर जैसा सकरात्मक पहलू देखने को मिला है. इसमें कोरोना से बचाव के लिए सुझाए जा रहे सैनेटाइजर का नाम भी शामिल है. महामारी के इस दौर में जहां अन्य उत्पादों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई वहीं, सैनिटाइजर हर घर में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा.

पनपता सैनिटाइजर व्यवसाय
कोरोना वायरस के दस्तक देने से पहले महज कुछ ही लोग सैनिटाइजर का प्रयोग करते थे. ज्यादातर लोग हॉस्पिटल में किसी मरीज से मिलने जाने या देखभाल करने के समय ही इसका प्रयोग करते थे, लेकिन कोविड के दौर में लोग साबुन से ज्यादा सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे मार्केट में भी इसकी खपत बढ़ गई है.

देखएं रिपोर्ट

छोटे और बड़े पैमाने पर सैनिटाइजर का निर्माण
सैनिटाइजर की डिमांड और अन्य व्यवसाए में हो रहे घाटे को देखते हुए छोटे से लेकर बड़े उद्योग भी इसका निर्माण करने लगे. आज के समय में ब्रांडेड के साथ लोकल कंपनियां भी सैनिटाइजर बना रही हैं. बांका जिले के शराब फैक्ट्री में रोज पांच लीटर हैंड सैनिटाइजर बनाने की शुरूआत की गई. जिसमें सुगंध के लिए लेमनग्रास के तेल का उपयोग किया जाने लगा. जिससे लेमनग्रास की खेती करने वाले किसानों को फायदा हुआ.

लेमनग्रास की खेती

वहीं, सीतामढ़ी के रीगा चीनी मिल के डिस्टलरी डिवीजन में सैनिटाइजर का उत्पादन शुरू किया गया. जिसकी आपूर्ति सीतामढ़ी जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग के अलावा कोलकाता और मुंबई में की जा रही है.

सैनिटाइजर का उत्पादन

आइसोप्रोपिल और इथाइल अल्कोहल का उपयोग
अल्कोहल का इस्तेमाल बाहरी किसी जर्म या बैक्टीरिया को मारने में किया जाता है. ज्यादातर सैनिटाइजर में आइसोप्रोपिल और इथाइल अल्कोहल का इस्तेमाल होता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर ही प्रभावशाली होते हैं और इसमें कम से कम 60 प्रतिशत अल्कोहल होना जरूरी है. अधिकतर सैनिटाइजर में पाए जाने वाला आइसोप्रोपिल अल्कोहल शराब में उपयोग होने वाली अल्कोहल से अलग होती है. विशेषज्ञों के अनुसार इथाइल अल्कोहल से बने सैनिटाइजर ही बेहतर होते हैं.

मिलावटी सामग्री का उपयोग
कई जगह सस्ती कीमत पर सैनिटाइजर का निर्माण करने के लिए मिलावटी सामग्री का उपयोग किया जाता है. जिससे ज्यादा लाभ कमाया जा सके. पीएमसीएच में चर्म रोग विभाग के डॉ. विकास शंकर ने बताया कि सैनिटाइजर में 60 से 75 फीसदी अल्कोहल होना जरूरी है. लोकल स्तर पर बनाए जाने वाले सैनिटाइजर में मानकों की अनदेखी की जाती है.

नकली सैनिटाइजर फैक्ट्री का उद्भेदन

सैनिटाइजर में ट्रॉइक्लोसान नामक केमिकल होता है, जिसे हाथ की स्किन सोख लेती है. इसके बार-बार इस्तेमाल से जलन और खुजली जैसी समस्याएं होती हैं. सैनिटाइजर में अधिक मात्रा में फैथलेट्स मिलाने से लीवर, किडनी, फेफड़े और प्रजनन तंत्र को नुकसान पहुंचता है.

मिथाइल अल्कोहल है घातक
बाजार में मिथायल अल्कोहल के मिश्रण के सैनिटाइजर आ रहे हैं, जो किसी की भी मौत का कारण बन सकते हैं. मिथायल अल्कोहल के सैनिटाइजर से आंखों की रोशनी जा सकती है. मुंह में जाने पर किसी की जान भी जा सकती है. मिथायल अल्कोहल जी मिचलाना, चक्कर आना, चेतना की हानि, थकान व कमजोरी का होना और धुंधली दृष्टि का कारण बन सकती है. यह बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से हानिकारक है.

सैनिटाइजर के गुणवत्ता की जांच

निर्माताओं को मानकों को ध्यान में रखकर नजर सैनिटाइजर का निर्माण करने के निर्देश दिए गए हैं. मार्केट में आ रहे नकली सैनिटाइजर पर नकेल कसने के लिए आबकारी विभाग और स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर जांच और कार्रवाई करती रहती है.

सैनिटाइजर बनाने की तैयारी

मिलावट की शिकायत
वैशाली जिले के सदर थाना के दिघी कला गांव स्थित एक मकान में नकली सेनेटाइजर फैक्ट्री का पुलिस ने उद्भेदन किया. ब्रांड प्रोडक्शन कंपनी की सूचना पर सदर थाना पुलिस ने छापेमारी कर लगभग 15 लाख रुपए से अधिक के सैनिटाइजर बरामद किए. साथ ही एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया.

कैसे करें सही सैनेटाइजर का चयन

डॉक्टरों के अनुसार लाल, पीला, हरा, नारंगी और कई कलर में बने सैनिटाइजर लोगों को फायदे की जगह नुकसान पहुंचाते हैं. इसिलिए सोच समझकर ही सैनिटाइजर का चयन करना चाहिए.

सैनिटाइजर खरीदते समय इन बातों का रखे ध्यान-

⦁ अल्कोहलिक स्मेल आनी चाहिए

⦁ सैनिटाइजर खरीदते समय लेबल का ध्यान रखना चाहिए

⦁ टेस्टेड और विश्वसनीय ब्रांडों के सैनिटाइजर ही खरीदने चाहिए

⦁ कम से कम 60 प्रतिशत अल्कोहल का होना जरूरी

⦁ यह जरूर देखें कि सैनिटाइजर मानक एजेंसियों से सर्टिफाइड है या नहीं

⦁ इंग्रीडिएंट्स पर रखें ध्यान

मिलावटी सैनिटाइजर के उपयोग करने के परिणाम

⦁ नकली सैनिटाइजर में ट्रॉइक्लोसान नामक केमिकल होता है, जिसे हाथ की स्किन सोख लेती है

⦁ खराब क्वालीटी का सैनिटाइजर बार-बार इस्तेमाल करने से स्किन में खुजली, खुश्क त्वचा, लाल दाग, त्वचा रोग, कैंसर जैसी समस्याएं होती है

⦁ सैनिटाइजर में अधिक मात्रा में फैथलेट्स मिलाने से लीवर, किडनी, फेफड़े तथा प्रजनन तंत्र को नुकसान पहुंचता है

⦁ मिथायल अल्कोहल के मिश्रण वाले सैनिटाइजर से आंखों की रोशनी जा सकती है और मौत भी हो सकती है

नकली सैनिटाइजर से हो सकती है मौत

सैनिटाइजर के निर्धारित मानकों पर खड़े नहीं उतरने पर स्वास्थ्य संबंधी गंभीर परेशानियां या मृत्यु तक हो सकती है. पीएमसीएच के डॉक्टर ने बताया कि नकली सैनिटाइजर के 20 प्रतिशत मरीज रोज स्किन की समस्याओं को लेकर अस्पताल पहुंचते हैं.

Last Updated : Aug 29, 2020, 8:01 PM IST

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