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कोरोना के चलते भुखमरी की करार पर पहुंचे दिहाड़ी मजदूर, नहीं मिल रहा काम

कोरोना के चलते रोज कमाने खाने वाले दिहाड़ी मजदूरों के सामने अब भुखमरी की स्थिति आ गई है. अब ये अपने परिवार को खिलाने के लिए राशन तक नहीं जुटा पा रहे हैं. इन लोगों ने बताया कि कोरोना से ज्यादा खतरा तो भूख का है. अगर खाने की व्यवस्था नहीं हुई तो हमलोग कोरोना से पहले भूख से मर जाएंगे.

Poor troubled by corona
कोरोना से परेशान गरीब

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Published : Apr 21, 2021, 9:35 PM IST

पटना:बिहार में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण का जनजीवन पर असर पड़ रहा है. रोज कमाने खाने वाले दिहाड़ी मजदूरों के सामने अब भुखमरी की स्थिति आ गई है. पटना के हार्डिंग पार्क पुल के नीचे झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को काम नहीं मिल रहा है.

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अब ये अपने परिवार को खिलाने के लिए राशन तक नहीं जुटा पा रहे हैं. पटना के कई ऐसे इलाके हैं जहां पुल के नीचे तंबू लगाकर गरीब लोग रहते हैं. इनमें से ज्यादातर रिक्शा व ठेला चलाते हैं या लोगों से मांगकर गुजर-बसर करते हैं. इन लोगों ने बताया कि कोरोना से ज्यादा खतरा तो भूख का है. अगर खाने की व्यवस्था नहीं हुई तो हमलोग कोरोना से पहले भूख से मर जाएंगे.

देखें रिपोर्ट

पिछले साल से बदतर है स्थिति
पिछले साल लॉकडाउन लगा था तो इन लोगों की मदद के लिए सरकार के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी आगे आए थे. इन्हें राशन मुहैया कराया गया था. इस बार इनकी स्थिति पिछले साल से भी बदतर हो गई है. इस बार न सरकार से राशन मिला है और न कोई सामाजिक कार्यकर्ता कुछ देने आया है.

कोई काम नहीं मिल रहा
"कोरोना महामारी के कारण खाने-पीने की आफत आ गई है. रोजी रोजगार छिन गया है. बच्चों को खाना खिलाना काफी मुश्किल हो गया है. दिनभर पुल के नीचे समय गुजारना पड़ रहा है, लेकिन कोई काम नहीं मिल रहा है."- राम कुमार

"कोरोना के डर से हमलोगों से कोई काम नहीं करवा रहा है. लोग वापस लौटा देते हैं. काम नहीं मिलेगा तो परिवार कैसे चलेगा? मेरे पति रिक्शा चलाते हैं. वह कमाकर लाते हैं तो घर का चूल्हा जलता है."- रामावती देवी

कोरोना के चलते इन बच्चों को दो वक्त का खाना मुश्किल से मिल रहा है.

"मोदी सरकार ने कोरोना-कोरोना कहकर काम-धंधा बंद करवा दिया है. रोजी रोजगार करने जाते भी हैं तो लोग दूर भगा देते हैं. कोरोना के नाम पर कोई काम नहीं देता है. ऐसे तो आदमी मर जाएगा. जब काम ही नहीं मिलेगा तो खाएंगे कहां से? कोई मदद भी नहीं कर रहा है. दिन भर कमाते हैं तो घर का चूल्हा जलता है. अब तो रिक्शा पर लोग उतना बैठता भी नहीं है, जिससे घर परिवार चले."- बुधन राम

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