पटना: इंटरनेट ने आपकी और हमारी जिंदगी को आसान और सरल बना दिया है. जॉब से लेकर स्टडी तक और जीवन के उपयोग की सभी चीजें आसानी से यहां से मिल जाती है. लेकिन इसने परेशानी भी बढ़ गयी है. अपराध जगत की दुनिया में तेजी से बदलाव आ रहा है. आईटी हब में डार्क नेट के माध्यम से अपराध की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. आर्थिक अपराध इकाई का मानना है कि बिहार के लोग भी डार्कनेट का उपयोग करने लगे हैं. करोना काल में भी कुछ घटनाएं ऐसी आई थी जिनमें लोगों ने करोना का प्लाज्मा तक इस डार्क नेट से आर्डर किया था.
डार्क नेट से सावधान
सुपारी किलिंग, प्रतिबंधित दवाओं की मांग, ड्रग्स ऑर्डर, हवाला कारोबार जैसे घटनाओं को अंजाम डार्क नेट के माध्यम से दिया जा रहा है. हालांकि बिहार में इस तरह का अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है. लेकिन आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा इस तरह की घटना बिहार में ना घटित हो इसको लेकर एक टीम तैयार की जा रही है. जो डार्कनेट क्रिप्टो करेंसी और सोशल मीडिया के माध्यम से बढ़ते अपराध को पकड़ने करेगी. साथ ही साथ रोकथाम भी करेगी.
आर्थिक अपराध इकाई की नसीहत
देश के विभिन्न राज्यों में डार्क नेट के माध्यम से मर्डर जैसी वारदात को भी अंजाम दिया जा रहा है. आर्थिक अपराध इकाई का मानना है कि बिहार में भी इसका पांव पसरने से पहले इसे रोकना जरूरी है .इसके लिए आर्थिक अपराध इकाई द्वारा करीबन 1 दर्जन लोगों की विशेष टीम का गठन करने की तैयारी की जा रही है.
टीम का गठन
आर्थिक अपराध इकाई के साइबर एक्सपर्ट अभिनव सौरभ की माने तो बिहारराज्य में डार्क नेट के माध्यम से अपराध का खतरा बढ़ सकता है. माना जा रहा है कि बिहार के अपराधी भी धीरे-धीरे डायरेक्ट नेट की ओर शिफ्ट हो सकते हैं. आने वाले दिनों में अपराधी वर्चुअल माध्यम से अपराध को संचालित करेंगे. जिसके मद्देनजर ही विशेष टीम का गठन किया जा रहा है ताकि इसे पहले ही रोका जा सके.