पटना: राजधानी पटना में गांधी मैदान में चल रहेपटना पुस्तक मेला (Patna Book Fair) में युवाओं की रुचि साहित्यिक किताबों के प्रति अधिक दिख रही है. चाहे साइंस बैकग्राउंड के छात्र हो या मैनेजमेंट के साहित्यिक किताबों को खरीदने में अपनी रुचि दिखा रहे हैं. प्रेमचंद, दिनकर, रेणु, शरद जोशी, गीतांजलि श्री जैसे साहित्यकारों की पुस्तक खरीद रहे हैं और उन्हें पढ़कर अपना ज्ञान भंडार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. नए लेखकों में पटना के अंशुमान की पुस्तक खूब बिक रही है. इस पुस्तक की 300 से अधिक कॉपी मेले में अब तक बिक चुकी है और इनकी नई पुस्तक दर्द का देवता भी खूब डिमांड में है.
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पुस्तक मेले में पुस्तक प्रेमियों की भीड़: ईटीवी से बातचीत में अंशुमान ने बताया कि किराए की गर्लफ्रेंड पुस्तक समाज के यथार्थ से है कि कैसे गांव से युवा शहर में बड़े-बड़े सपने लेकर पढ़ने आते हैं. कोई आईएएस बनना चाहता है कोई डॉक्टर बनना चाहता है लेकिन हुस्न की दुनिया में ऐसे उलझते हैं कि कभी लेखक बन जाते हैं कभी वकील बन जाते हैं कभी बेरोजगार होकर रोजगार ढूंढने लगते हैं. अंशुमान ने बताया कि दर्द का देवता उन्होंने जो पुस्तक लिखी है यह लॉकडाउन के समय की कहानी है. इसमें उन्होंने लिखा है कि कैसे उस समय जब अस्पतालों में बेड नहीं मिलता था तो बड़े-बड़े लोग, पैसे वाले लोग, नास्तिक प्रवृत्ति के लोग, विज्ञान से जुड़े हुए लोग अपने परिजनों के स्वास्थ्य और खुशी के लिए झाड़-फूंक ओझाई और तंत्र मंत्र कराने जाते थे जो आज तक अपने जीवन में कभी नहीं किए थे. अंशुमान ने बताया कि इस पुस्तक में उन्होंने दर्द का देवता उन्हें कहा है जो भूखे बच्चों को लॉकडाउन के समय खाना बनाकर ले जाकर खाना खिलाते थे, अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाते थे, मरीज को प्लेटलेट्स की आवश्यकता होती थी तो उन्हें ब्लड डोनेट करते थे. उन्होंने बताया कि दर्द का देवता पुस्तक की काफी एडवांस बुकिंग भी हो गई है.
पुस्तक मेला में पुस्तक ढूंढ रहे पंकज ने बताया कि उन्होंने कुछ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की किताबें खरीदी हैं और कुछ उपन्यास ढूंढ रहे हैं. पढ़ने का आनंद किताब नहीं आता है और लंबे समय के बाद पुस्तक मेला लगा है तो वह ढेर सारी किताबें खरीदने के लिए आए हुए हैं. पंकज ने बताया कि कंप्यूटर पर भी बुक मिलते हैं लेकिन स्क्रीन टाइम का मेमोरी अच्छा नहीं रहता और उसे आगे कहीं हुबहू कोट करने में परेशानी आती है. जेहन में जल्दी नहीं आता लेकिन जो किताब में पढ़ी बात रखती है वह खूब हो मेमोरी में रहती है और उसे कोट करना आसान रहता है.
मोटिवेशनल किताबों की मांग:सोनाली ने बताया कि वह सेल्फ हेल्प बुक ढूंढ रही हैं. अच्छे लेखकों की मोटिवेशनल किताबें ढूंढ रही है. आजकल पढ़ाई का सिलेबस तक हो गया है और ऐसे में खुद को मोटिवेट करने के लिए ऐसे सेल्फ हेल्प बुक जरूरी हो गए हैं. बीएससी के छात्र सौरभ कुमार ने बताया कि वह पुस्तक मेले में साहित्यिक किताबों को ढूंढने आए हैं. ₹10000 तक के पुस्तक खरीदने का उन्होंने लक्ष्य लेकर घर से निकला है और लगभग 30 से 35 किताबें उन्होंने खरीदी है जिसमें सभी साहित्यिक है और कुछ कविताओं की भी पुस्तकें हैं. उन्हें साहित्यिक पुस्तक पढ़ना अच्छा लगता है और इन पुस्तकों को पढ़कर वह खुद को ढूंढने की भी कोशिश करते हैं.