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पटना: जलवायु परिवर्तन से कृषि कार्यों पर पड़ा असर, कृषि विभाग ने की त्वरित कार्रवाई

बिहार की राजधानी पटना में कृषि विभाग के सचिव एन सरवण कुमार ने बताया कि जलवायु परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. लेकिन जलवायु परिवर्तन से होने वाले फसलों की क्षति को लेकर कृषि विभाग की ओर से त्वरित कार्रवाई की जा रही है. इसके साथ ही किसानों को राहत राशि भी दी जा रही है.

crops damage caused of climate change
जलवायु परिवर्तन से फसल हो रहे नष्ट

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Published : Jul 31, 2020, 10:21 AM IST

पटना: कृषि विभाग के सचिव एन सरवण कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कृषि विभाग के कार्यों को लेकर जानकारियां दी. कृषि सचिव ने बताया कि जलवायु परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है और इसका असर सभी क्षेत्रों में पड़ रहा है. कृषि के क्षेत्र में इसका ज्यादा कुप्रभाव पड़ रहा है. पिछले एक साल में 7.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लगी खरीफ फसलों की क्षति हुई है. वहीं रबी मौसम में 5.24 लाख हेक्टेयर में लगी फसल की क्षति हुई है.


फसल क्षति पर त्वरित कार्रवाई
कृषि सचिव ने कहा कि फसल क्षति को लेकर कृषि विभाग की ओर से त्वरित कार्रवाई की गई है. फसल इनपुट अनुदान योजना के अंतर्गत पिछले एक साल में किसानों के बैंक खातों में 1,220 करोड़ रूपये की राशि ट्रांसफर की गई है. खरीफ फसल के लिए 652 करोड़ रूपये और रबी फसल के लिए 588 करोड़ रूपये की राशि किसानों के खाते में ट्रांसफर की गई. खरीफ फसल की क्षति को लेकर 16.32 लाख किसानों और रबी फसल के लिए 18.39 लाख किसानों के खातों में सीधे राशि ट्रांसफर की गई
है. अतिवृष्टि, अल्पवृष्टि और बाढ़ को लेकर किसानों को कफी दिक्कतें हुई हैं. लेकिन सरकार ने त्वरित कार्रवाई कर फसल क्षति की भरपाई करने को लेकर काम किया है.


इस वर्ष 48 प्रतिशत ज्यादा बारिश
कृषि विभाग के सचिव एन सरवण कुमार ने बताया कि रबी मौसम में लॉकडाउन को लेकर किसानों को हार्वेस्टिंग में समस्या हो रही थी. लेकिन सरकार ने इसमें छूट दी है. किसानों ने लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए खेती की है. खरीफ मौसम में इस बार समय पर बारिश हुई है. 01 जून से लेकर 30 जुलाई तक नार्मल बारिश 506.4 मिलीमीटर के विरुद्ध राज्य में 740.4 मिलीमीटर बारिश हुई है. इस बार 48 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है. इसके कारण कई जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. अभी तक की जानकारी के अनुसार 33 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई के विरुद्ध 29.22 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है. यानि लगभग 90 प्रतिशत धान की रोपनी का काम पूरा हो चुका है. कृषि सचिव ने बताया कि 11 जिलों में बाढ़ के कारण स्थिति थोड़ी खराब है. इसे लेकर पानी घटने के बाद फसल क्षति का आंकलन किया जाएगा.


सर्वे का काम करने के लिए निर्देश
जिला पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे सर्वे करने का काम करें. सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पूर्णिया, सुपौल, कटिहार और समस्तीपुर में फसल क्षति को लेकर सर्वे का काम जारी है. पाक को लेकर कृषि विभाग अलर्ट है. किसानों को हुई फसल क्षति को लेकर आपदा प्रबंधन प्रावधान के अनुसार समय मदद पहुंचायी जाएगी. इसे लेकर कृषि विभाग ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है.


बड़े पैमाने पर किसी में टेक्नोलॉजी का प्रयोग
कृषि विभाग के सचिव एन सरवण कुमार ने बताया कि कृषि विभाग में बने पैमाने पर टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है. वहीं पिछले एक साल से बीज वितरण का ऑनलाइन आवेदन लिया रहा है. बीज का होम मिलिवरी का सिस्टम भी शुरू कर दिया गया है. बांका जिले में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम शुरू कर दिया गया था. खरीफ के मौसम में अभी तक 6.40 लाख किसानों के बीच बीज का वितरण किया जा चुका है. इसमें से 40 हजार किसानों को बीज की होम डिलिवरी की गई है. बिहार में पहली बार ऐसा हुआ है कि आने वाले दिनों में बड़ी संख्या में बीज की होम डिलिवरी की जाएगी. वहीं अगली फसल के लिए भी ऑनलाइन आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अब तक हजार किसानों के ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हो चुके हैं. इसमें से 4,600 किसानों ने होम डिलिवरी की इच्छा व्यक्त की है. लॉकडाउन के दौरान भी ऑनलाइन और होम डिलिवरी की सुविधा किसानों को देने में सफल हो रहे हैं.


हर खेत में सिंचाई को लेकर सर्वे शुरू
कृषि विभाग के सचिव एन सरवण कुमार ने बताया कि हर खेत में पानी पहुंचाने को लेकर सर्वे करने का काम कृषि विभाग के माध्यम से किया जा रहा है. हर खेत में सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध कराने को लेकर प्लॉट वाइज सर्वे शुरू किया गया है. इसके अंतर्गत सिंचाई के उपलब्ध स्त्रोतों का सर्वे किया जा रहा है. इसके साथ ही असिंचित क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर सर्वेक्षण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. टिड्डी दलों के भी समय पर कृषि विभाग ने कंट्रोल किया है. बाढ़ के कारण 11 जिलों में 4 लाख 87 हजार हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित होने का प्रारंभिक अनुमान है.

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